करीब चार महीने पहले दिल्ली शराब घोटाले में बेटी के. कविता की तिहाड़ जेल से रिहाई के बाद के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) को अब अपने बेटे के.टी. रामा राव (केटीआर) के खिलाफ बड़े राजनीतिक और व्यक्तिगत संकट का सामना करना पड़ रहा है. तेलंगाना में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने केटीआर के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
आरोप है कि 2023 में हैदराबाद में आयोजित Formula-E रेस के दूसरे संस्करण के दौरान, केटीआर ने 55 करोड़ रुपये लंदन की एक कंपनी को ट्रांसफर किए. हालात को और गंभीर बनाते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केटीआर के खिलाफ एक सूचना रिपोर्ट दर्ज की है.
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केटीआर पर क्या हैं आरोप?
आरोप यह है कि हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (HMDA) से Formula-E Operations को 55 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए, लेकिन इसके लिए कोई औपचारिक मंजूरी नहीं ली गई. केटीआर ने इन आरोपों पर सफाई दी है कि इसमें गबन की कोई बात नहीं है, क्योंकि पैसे ट्रांसफर की बात और उनके उपयोग को खुद पैसा मिलने वाले ने स्वीकार किया है. इसे सिर्फ एक प्रक्रिया से जुड़ी चूक कहा जा सकता है.
BRS पार्टी का कहना है कि रेवंत रेड्डी इन मामलों को राजनीतिक रूप से बदनाम करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. केटीआर ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने ही मंत्री के तौर पर स्पेशल चीफ सेक्रेटरी अरविंद कुमार (जो इस मामले में दूसरे आरोपी हैं) को पैसे रिलीज करने को कहा था.
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रेवंत रेड्डी बनाम बीआरएस
रेवंत रेड्डी और बीआरएस के पहले परिवार के बीच दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है. चुनाव प्रचार के दौरान रेवंत ने कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो वह इस परिवार को जेल भिजवाएंगे. रेवंत रेड्डी को 2015 में कैश-फॉर-वोट केस में जेल में बिताए अपने एक महीने का भी गुस्सा है. तब वे टीडीपी विधायक थे और एक निर्दलीय एमएलसी को पैसे ऑफर करते हुए वीडियो में कैद हुए थे. यह मामला भी ACB ने दर्ज किया था और अब वही ACB केटीआर के मामले को देख रही है.
राजनीतिक दांव-पेच
रेवंत रेड्डी कांग्रेस में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखने के लिए बीआरएस को कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे. केटीआर के खिलाफ ACB जांच का आदेश देकर उन्होंने एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है. तेलंगाना हाईकोर्ट ने केटीआर की गिरफ्तारी पर 30 दिसंबर तक रोक लगा दी है. लेकिन अगर उनकी गिरफ्तारी होती है, तो यह पार्टी को या तो उभार सकता है या कमजोर कर सकता है. इससे बीआरएस के कुछ विधायक भी पार्टी छोड़ सकते हैं.
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बीजेपी का रोल
बीजेपी इस पूरे मामले में बैकग्राउंड में सक्रिय नजर आ रही है. राज्यपाल ने ACB को केस पर आगे बढ़ने की अनुमति दी, जिससे BRS को शक है कि रेवंत रेड्डी ने दिल्ली में बीजेपी से समर्थन लिया है.
कांग्रेस की चुनौती
रेवंत रेड्डी ने आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की गिरफ्तारी से सबक लिया है. नायडू की गिरफ्तारी से उनके लिए सहानुभूति की लहर पैदा हुई थी, जिससे वह 2024 में सत्ता में लौटे. केटीआर की लोकप्रियता खासतौर पर युवाओं और शहरी क्षेत्रों में है. ऐसे में रेवंत को बेहद सावधानी से कदम उठाने की जरूरत है.
तेलंगाना की राजनीति इस समय उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. अब देखना यह है कि केटीआर और BRS इस संकट का सामना कैसे करते हैं और कांग्रेस इस राजनीतिक दांव को कैसे खेलती है.