संजय सिंह को जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद कभी अरविंद केजरीवाल की तरह सरेंडर करने की नौबत नहीं आई - और अब तो वो राज्यसभा की कार्यवाही में भी हिस्सा ले सकेंगे. राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति ने संजय सिंह का निलंबन वापस ले लिया है.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद को भी प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, लेकिन बाद में सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी को आपत्ति न होने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह को जमानत दे दी थी.
जमानत के दौरान केस की सुनवाई कर रही निचली अदालत ने शर्तें जरूर रखी हैं, लेकिन कुछ चीजें तो ऐसी हैं जो संजय सिंह के लिए सुविधाओं जैसी ही हैं. क्योंकि न तो उनकी राजनीतिक बयानबाजी पर कोई रोक लगाई गई है, न ही उनकी फिर से गिरफ्तारी होनी है, क्योंकि ट्रायल पूरे होने तक उनके जमानत मिली हुई है.
आम आदमी पार्टी मनीष सिसोदिया से लेकर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तक, सभी बातों के लिए केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराती रही है. ये संजय सिंह ही हैं जो अरविंद केजरीवाल पर तिहाड़ जेल में 24 घंटे निगरानी रखने का इल्जाम लगा चुके हैं. संजय सिंह का आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना सीसीटीवी के जरिये दिन रात जेल में बंद अरविंद केजरीवाल पर नजर रखते हैं. हाल फिलहाल तो अरविंद केजरीवाल सीबीआई की कस्टडी में हैं.
ये संजय सिंह ही हैं जो दिल्ली शराब घोटाले में सबसे पहले जमानत पर छूटे हैं. उससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया और संजय सिंह एक साथ जेल में हुआ करते थे. वैसे जेल में तो केजरीवाल के एक और साथी सत्येंद्र कुमार जैन भी हैं, और उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चल रहा है.
जेल से छूटने के बाद से ही संजय सिंह अपनी राजनीतिक गतिविधियों में लगातार सक्रिय हैं. प्रेस कांफ्रेंस से लेकर टीवी पर इंटरव्यू में भी उनको पहले की तरह ही आक्रामक रूप में देखा जा सकता है, हां - जब भी कभी दिल्ली शराब घोटाले का जिक्र आता है, ये कह कर बात बदल देते हैं कि अपने केस के बारे में वो नहीं बोलेंगे क्योंकि कोर्ट की तरफ से मनाही है.
संजय सिंह पर सबकी कृपा क्यों बरस रही है
संजय सिंह की रिहाई के वक्त बीजेपी की तरफ से कहा गया था कि संजय सिंह को जमानत मिलने के बाद अब आम आदमी पार्टी ये दावा नहीं कर सकती कि उसके नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई बदले की भावना से प्रेरित है - लेकिन जिस तरह से संजय सिंह आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े किस्मतवाला साबित हो रहे हैं - ये समझना भी दिलचस्प होता जा रहा है कि आखिर संजय सिंह पर ही इतनी कृपा क्यों बरस रही है?
पिछले साल मॉनसून सत्र में संजय सिंह राज्यसभा के सभापति की कुर्सी के पास तक चले गये थे, जिसे अमर्यादित व्यवहार मानते हुए सस्पेंड कर दिया गया था. ये तब की बात है जब विपक्ष मणिपुर हिंसा को लेकर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान देने की मांग पर अड़ा हुआ था.
तब सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि राज्यसभा में मणिपुर पर चर्चा प्रश्न काल में की जाएगी. जब संजय सिंह अनसुना करते हुए सभापति की तरफ बढ़ने लगे तब भी सभापति ने लौट जाने की हिदायत दी, लेकिन वो नहीं माने. बाद में राज्यसभा के तत्कालीन नेता पीयूष गोयल ने संजय सिंह को सस्पेंड करने का प्रस्ताव रखा, और उसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
निलंबन वापस लिये जाने के बाद संजय सिंह ने सोशल साइट X पर लिखा है, 'लगभग एक साल के बाद संसद में जाने की अनुमति प्राप्त हुई... निलंबन खत्म हुआ... माननीय सभापति उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ जी, प्रिविलेज कमेटी के सभापति और सभी माननीय सदस्यों का अत्यंत धन्यवाद और आभार.'
वैसे सूत्रों के हवाले से खबर आई है, जिसमें सांसद संजय सिंह के अपने खिलाफ चार शिकायतों की सुनवाई के लिए 26 जून को हुई राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति के सामने बिना शर्त माफी मांगने की बात कही जा रही है - और उसके बाद ही ये मामला खत्म हो सका है. आम आदमी पार्टी में माफी मांगने की परंपरा के भी संस्थापक अरविंद केजरीवाल ही हैं, और संजय सिंह तो उसी को फॉलो कर रहे हैं.
संजय सिंह ने जेल से ही राज्यसभा चुनाव में नामांकन दाखिल किया था. चुनाव बाद जब शपथ ग्रहण की बारी आई तो अदालत से इजाजत भी मिल गई थी. निलंबन वापस हो जाने के बाद अब वो संसद भी जा सकेंगे - सबसे बड़ा सवाल है, आखिर ये चमत्कार हो कैसे रहा है?
संजय सिंह का मामला सिसोदिया-केजरीवाल से अलग कैसे?
संजय सिंह को भी उसी दिल्ली शराब घोटाला केस में जेल भेजा गया था, जिसमें पहले मनीष सिसोदिया और उनके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया. फिलहाल वे दोनों जेल में हैं.
अरविंद केजरीवाल को तो हाल ही में सीबीआई ने भी गिरफ्तार कर लिया है. पहले ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था, और उसी मामले में सीबीआई भ्रष्टाचार की जांच कर रही है. सीबीआई ने ही मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद ईडी ने भी गिरफ्तार कर लिया.
सीबीआई के गिरफ्तार करने से पहले अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत से जमानत भी मिल गई थी, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी. और हाई कोर्ट के रोक लगाते ही सीबीआई ने गिरफ्तार कर कोर्ट से कस्टडी भी ले ली है.
संजय सिंह के केस में सुप्रीम कोर्ट में ईडी का पक्ष रख रहे ASG एसवी राजू ने कहा था कि अगर संजय सिंह जमानत पर रिहा हो जाते हैं तो ईडी को इससे कोई आपत्ति नहीं है - और अरविंद केजरीवाल की जमानत मंजूर होने के अगले ही दिन वही एसवी राजू दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत पर रोक लगाने की पैरवी करते हैं - और अदालत को अपनी दलील से संतुष्ट भी कर देते हैं.
राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिल जाने के बाद अरविंद केजरवाल का परिवार और पार्टी अभी राहत की सांस भी ठीक से नहीं ले पाये थे कि हाई कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा - और उससे भी बड़ा झटका उस वक्त लगा जब मालूम हुआ कि सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के आदेश पर सुनवाई से ठीक पहले सीबीआई ने झटका दे दिया.
और एक तरफ संजय सिंह की किस्मत देखिये. अभी तक तो वो सड़क पर दहाड़ रहे थे, अब वो संसद में भी शोर मचा सकेंगे - अगले साल के शुरू में दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. और इस बीच कुछ लोग सोशल मीडिया पर संजय सिंह को अरविंद केजरीवाल की जगह दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं. ऐसी पोस्ट पर रिएक्शन देखकर तो लगता है कि वे संजय सिंह के समर्थक हैं, लेकिन ये नहीं मालूम की ये मुहिम संजय सिंह की अनुमति से चलाई जा रही है या नहीं.
स्वाति मालीवाल केस में में भी संजय सिंह का अलग ही स्टैंड देखने को मिला था, और ये बात आतिशी के जरिये अरविंद केजरीवाल का रुख बाहर आने के बाद साबित भी हो गई - असल बात जो भी हो, आम आदमी पार्टी में सब कुछ ठीक तो नहीं ही है.