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बच्चों को प्राइवेट पार्ट्स पहचानने की पढ़ाई... मोहन भागवत और एलन मस्क के निशाने पर वामपंथ

आरएसएस चीफ स्कूलो में केजी 2 के बच्चों को उनको प्राइवेट पार्ट पहचान कराने के खिलाफ यूं ही नाराज नहीं हैं. वामपंथी ईकोसिस्टम से उनको बहुत सी शिकायतें रही हैं. आखिर क्यों?

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मोहन भागवत
मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्कूलों में बच्चों के प्राइवेट पार्ट के बारे जानकारी मांगे जाने को घोर आपत्तिजनक बताया है. उन्होंने इसके लिए वामपंथ के ईकोसिस्टम को जिम्मेदार ठहराया है. आरएसएस चीफ ने अमेरिकी संस्कृति को भी दूषित करने के लिए वामपंथियों को जिम्मेदार ठहराया है. वो यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि वामपंथ न केवल हिंदुओं या भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के विरोधी हैं. 
 
इसी बीच अमेरिकी राइटर और जर्नलिस्ट वाल्टर इसाकसन (Walter Isaacson) की इसी हफ्ते आई किताब ‘एलन मस्क’ से पता चलता है कि दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार एलन मस्क ने भी अपने बच्चे के जेंडर चेंज के लिए स्कूल में जेंडर पहचान जैसे कार्यक्रम को जिम्मेदार बताया था. मस्क भी इसके लिए वामपंथी ईकोसिस्टम को ही जिम्मेदार मानते रहे हैं. 

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आरएसएस चीफ मोहन भागवत गुजरात के एक प्राइवेट स्कूल का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि बच्चों से उनके निजी अंगों के नाम पूछना वामपंथी परिवेश का हमला है. भागवत कहते हैं कि क्या केजी के बच्चे अपने निजी अंगों के बारे में जानते हैं? मुझे केजी के एक निर्देश में दिखाया गया जिसमें लिखा था कि अध्यापकों को यह पता लगाने के लिए कहा गया है कि क्या केजी के बच्चे अपने निजी अंगों के बारे में जानते हैं? 

यह सब सुनने मे बहुत सामान्य लगता है . हम यह भी कह सकते हैं कि अगर बच्चों से उनके प्राइवेट पार्ट की पहचान कराई जा रही है तो इसमें क्या बुराई है.बहुत से लोग सेक्स एजुकेशन दिए जाने के पक्षधर भी हैं. सिर्फ प्राइवेट पार्टों की पहचान तो सेक्स एजुकेशन भी नहीं है.तो क्या आरएसएस चीफ का इशारा कहीं और तो नहीं था ? क्यों वह अपनी बात को  कहते समय अमेरिका के स्कूलों का उदाहरण देते हैं. इसलिए ऐसा लगता है कि भागवत की चिंता सिर्फ बच्चों को उनके अंगों की पहचान कराए जाने तक तो सीमिति नहीं ही है.

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शायद आरएएसएस चीफ ने बहुत गंभीर समस्या पर बात कर रहे हैं. यह केवल बच्चों से उनके अंगों के नाम पूछने से संबंधित नहीं है.संघ प्रमुख ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के बाद अमेरिका में पहला आदेश स्कूल से संबंधित था, जिसमें अध्यापकों से कहा गया था कि वह बच्चों से उनके लिंग के बारे में बात न करें. बच्चे खुद इसके बारे में फैसला करें, अगर कोई लड़का कहता है कि वह अब लड़की है तो लड़के को लड़कियों के लिए बने शौचालय का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जानी चाहिए. दरअसल अमेरिका में बढ़ते जेंडर चेंज जैसे मामलों को लेकर आ रहे चिंता को देखते हुए ऐसा फैसला लिया गया था.

हाल ही में आई एलन मस्क के जीवन पर आधारित बुक में मस्क कुछ ऐसी ही चिंता करते नजर आ रहे हैं. 2022 में जब अमेरिका के एक स्टेट में एंटी गे बिल पास हो रहा था, उससे ठीक एक साल पहले मस्क की बेटी जेवियर अलेक्जेंडर मस्क ने कोर्ट में अपना नाम बदलने की अर्जी दाखिल की . बुक के अनुसार ये अर्जी सिर्फ नाम बदलने के लिए ही नहीं थी, बल्कि जेवियर अलेक्जेंडर मस्क ने अपनी जेंडर आइडेंटिटी भी बदलने की अनुमति मांगी थी. इसके साथ ही उन्होंने अपने बायोलॉजिकल पिता यानी एलन मस्क से अलग होने की इच्छा भी जताई थी. 

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मस्क अपने बच्चे के जेंडर चेंज होने से पहले वाला नाम लेते हुए कहते हैं कि जेवियर से रिश्ते सुधारने की मैंने बहुत कोशिश की. लेकिन स्कूल ने उसका ऐसा ब्रेनवॉश किया था कि मैं कुछ नहीं कर सका.यह सब एक पिता के लिए बहुत दर्द भरा समय था.जेवियर अब कम्युनिस्ट बन गई और उसकी इस विचारधारा के लिए उसका स्कूल जिम्मेदार है जिसे मैंने हर साल 50,000 डॉलर फीस के तौर पर दिए हैं. 

आरएसएस चीफ आजकल लगातार सामाजिक विषयों पर बोलकर आम जनमानस का मन टटोलते हैं. अभी कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था कि 2000 साल से दलितों और पिछ़ड़ों पर अत्याचार हुआ है तो कम से कम 200 साल तक आरक्षण तो रहना ही चाहिए. एलजीबीटी  जैसे मुद्दे पर भी उन्होंने जरासंध के दो सेनापतियों का उदाहरण देकर अपने समर्थकों को दंग कर दिया था. उन्होंने कहा था कि हंस और डिंभक दोनों इतने अच्छे मित्र थे कि अफवाह फैलने पर कि हंस मर गया उसके दोस्त डिंभक ने आत्महत्या कर ली थी.उनका कहना था कि मनुष्यों में यह प्रकार के संबंध पहले से रहे हैं जब से मनुष्य आया है तब से.

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