अप्रैल, 2023 में चेहरे पर तिरंगा पेंट कर गोल्डन टेंपल पहुंची एक लड़की का वीडियो वायरल हुआ था. वो लड़की जब अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पहुंचती है तो उसे अंदर जाने से रोक दिया जाता है.
वीडियो में देखा गया था, जब लड़की के साथ का व्यक्ति उसे रोकने वाले सिख से पूछता है, गुड़िया को जाने से क्यों रोका?
तो जवाब मिलता है, अपने चेहरे पर तिरंगा बना रखा है इसलिए रोका.
जब ये कह कर काउंटर किया जाता है कि क्या ये इंडिया नहीं है, तो सुनने को मिलता है - ये इंडिया नहीं है... ये पंजाब है, इंडिया नहीं है.
वीडियो सामने आने के बाद बवाल बढ़ने पर SGPC के महासचिव गुरचरण ग्रेवाल आगे आये थे और कहा कि लड़की के साथ हुई घटना को लेकर अफसोस है. साथ ही ये सफाई भी दी कि स्वर्ण मंदिर श्री गुरु रामदास जी का दरबार है - और इसमें किसी भी जाति, धर्म, देश के व्यक्ति को आने से नहीं रोका जाता, न रोका जा सकता है.
देश का नाम इंडिया रहे या भारत ये राजनीतिक बहस तो हाल फिलहाल होने लगी है, लेकिन केंद्र सरकार के प्रति शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी SGPC और अकाल तख्त का स्टैंड तो ऐसा लग रहा है जैसे वे किसी और देश में रहते हों. चेहरे पर तिरंगा पेंट कर गोल्डन टेंपल पहुंची लड़की के साथ हुई घटना पर SGPC की तरफ से भले ही अफसोस जताया गया हो, लेकिन हरदीप सिंह निज्जर के पक्ष में तो ऐसे खड़े हैं जैसे किसी बेगुनाह को इंसाफ दिलाने की मुहिम चला रहे हों.
सवाल ये है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी किसे इंसाफ दिलाने की लड़ाई लड़ रही है? किसके हक की लड़ाई लड़ रही है? भारतीय सिखों की या कनाडाई खालिस्तानियों की?
SGPC को निज्जर क्या लगता है - हीरो या गुनाहगार?
खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जांच के आदेश दिये थे - और G20 सम्मेलन से लौटने के बाद भारतीय एजेंसियों की भूमिका पर सवाल भी खड़ा कर दिये थे. भारत की तरफ से ट्रूडो के बयान पर सख्त ऐतराज जताया गया और उनके दावों को खारिज कर दिया गया.
लेकिन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से जारी बयान देख कर तो ऐसा लगा जैसे देश में सिखों के हितों की रक्षा के लिए बनी संस्था नहीं बल्कि अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहा कोई एनजीओ या मानवाधिकारों के लिए काम करने वाला एक्टिविस्ट बोल रहा हो.
जरा SGPC के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के बयान पर नजर डालिये और गंभीर होकर सोचिये भी. हरजिंदर सिंह धामी की सलाहियत है, दोनों मुल्कों की सरकारों को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिये.
सोशल मीडिया साइट X पर जारी बयान में कहते हैं, "सिख समुदाय को कई बार तकलीफदेह दौर से गुजरना पड़ा है... श्री हरमंदिर साहिब और अकाल तख्त पर 1984 का सैन्य हमला, 1984 में सिखों का कत्लेआम और सिख नौजवानों की गैर-कानूनी तरीके से करीब एक दशक तक हत्या जैसे मामले शामिल हैं."
हरजिंदर सिंह धामी का कहना है कि जिस तरीके से कनाडा की सरकार ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारतीय राजनयिक को निकाला है, और भारत ने आरोपों को खारिज करते हुए प्रतिक्रिया में कनाडा के साथ भी बिलकुल वैसा ही व्यवहार किया है - ये मामला काफी गंभीर है और दुनिया भर में रह रहे सिखों से जुड़ा है. और उनको प्रभावित करने वाला भी है.
एसजीपीसी अध्यक्ष चाहते हैं कि भारत और कनाडा मिल कर इस मसले को सुलझायें और विदेशों में रह रहे सिखों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए उचित समाधान निकालें - और दोनों देशों को चाहिये कि आपसी रिश्तों को अच्छा बनाये रखते हुए मिल कर काम करें ताकि जो आरोप लगे हैं उसमें से सच सामने आ सके.
यहां तो SGPC अध्यक्ष का बयान न सिर्फ एकतरफा लग रहा है, बल्कि स्टैंड भी सीधे सीधे देश के खिलाफ महसूस हो रहा है. क्या SGPC के लिए भारत सरकार की तरफ से कनाडा को दिया गया जवाब पर्याप्त नहीं लगता?
आखिर कनाडा सरकार की तरफदारी क्यों की जा रही है? क्या सिर्फ इसलिए क्योंकि जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत की तरफ उंगली उठायी है?
अकाल तख्त किसकी तरफ है - भारत या कनाडा सरकार के?
एसजीपीसी अध्यक्ष के बाद अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी वैसा ही राग अलापा है. हरदीप सिंह निज्जर के नाम से पहले 'भाई' कह कर संबोधित कर रहे अकाल तख्त के जत्थेदार ने घटना को बेहद सनसनीखेज बताया है, और कहा है कि इस खबर ने पूरी दुनिया के सिखों का दिल झकझोर कर रख दिया है.
ज्ञानी रघबीर सिंह को भी निज्जर से एसजीपीसी अध्यक्ष की ही तरह हमदर्दी नजर आ रही है, जब वो कहते हैं - इस घटना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार, 1984 के सिख नरसंहार और पंजाब में नौजवानों के कत्लेआम की याद दिला दी है. जत्थेदार रघबीर सिंह का कहना है कि अगर निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियां शुमार हैं तो ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
और इसके साथ ही अकाल तख्त के जत्थेदार ने भारत सरकार से पूरे मामले पर सफाई भी मांग ली है. सोशल साइट X पर ही जारी बयान में कहा है, भारत सरकार को कनाडा के प्रधानमंत्री के आरोपो पर अपनी पोजीशन साफ करनी चाहिये - और पूरी दुनिया में सिखों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिये.
ये हाल तब है, जब निज्जर कई मामलों में वॉन्टेड था!
2023 के शुरू में ही वारिस पंजाब दे चीफ अमृतपाल सिंह अलग खालिस्तान की मांग के साथ बवाल मचाने लगा था. अपने साथियों को छुड़ाने के लिए उसने ने पंजाब के एक थाने पर ही हमला बोल दिया था.
जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार खालिस्तान आंदोलन को आगे नहीं बढ़ने देगी, तो उनको भी धमकी देने लगा था. बाद में जब घिरने लगा तो अपने बयान पर सफाई भी देने लगा, लेकिन पहले तो अमृतपाल सिंह का कहना था, 'मैंने कहा था कि इंदिरा गांधी ने भी ऐसा ही किया था. अगर आप भी ऐसा ही करेंगे तो आपको उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.'
अमृतपाल सिंह के काफी दिनों तक फरार रहने के बाद में पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी कर लिया. फिलहाल उसे डिब्रूगढ़ की जेल में रखा गया है - गौर करने वाली बात ये है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से उसे अब कानूनी मदद भी मुहैया करायी जा रही है.
किसी को कानूनी मदद मुहैया कराना गलत नहीं है. देश के कानून के तहत तो पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को भी कानूनी मदद उपलब्ध करायी गयी थी, लेकिन सिर्फ अपने कौम का होने भर से कोई संस्था जघन्य अपराधों में शामिल किसी शख्स को बेकसूर करार दे - ये तो कोई बात नहीं हुई.
ऐसा तो नहीं लगता कि भारत में रहते हुए SGPC को देश के कानून की फिक्र नहीं होगी. जिस हरदीप सिंह निज्जर के लिए एसजीपीसी सवाल खड़े कर रही है, वो 2007 में एक सिनेमा हाल में हुए बम विस्फोट सहित कई मामलों में वॉन्टेड है. बम विस्फोट में 6 लोग मारे गये थे और 40 लोग घायल हुए थे. ऐसे ही निज्जर 2009 में रुल्दा सिंह की हत्या का भी आरोपी रहा है.
Hear #Trudeau’s favorite #Khalistani & “innocent” Cdn citizen.
— Puneet Sahani (@puneet_sahani) September 20, 2023
Ofc celebrating sμicide bοmbing, assassinations of democratically elected PM & CM while they were in office —is just part of democratic rights in #cdnpoli!
CC @PierrePoilievre such is the evil!pic.twitter.com/aImjSzt2Xa
भारत सरकार से पोजीशन साफ करने की मांग करने से पहले तो ऐसी संस्थाओं को अपनी पोजीशन के बारे में भी गंभीरतापूर्वक सोच समझ लेना चाहिये - और देश के सामने अपना स्टैंड भी साफ कर देना चाहिये.