सुबह साढ़े 4 बजे घंटी बजती, जिसके बाद से पूरा दिन बिना रुके काम करना होता. शाम को सुगंधित साबुन से नहा, बालों-चेहरे को सजाने की ट्रेनिंग मिलती कि पति का मन न ऊबे. दावा ये कि स्कूल से लौटकर गई बीवियों के शौहर उन्हें रानी बनाकर रखेंगे. कुल मिलाकर, बंगाली बाबा के वशीकरण की चाइनीज नकल था स्कूल.
साल 2017 के आखिर में भारी बवाल के बाद इंस्टिट्यूट बंद हो गया, लेकिन अच्छी चीजें भला कहां मरती हैं! तो अब पैरेंट्स खुद ही बच्चियों को आज्ञाकारिता की ट्रेनिंग दे रहे हैं. ऑनलाइन ट्रेनिंग चल रही है, जिसमें कुकिंग-ग्रूमिंग के बहाने नेक बीवियां बनाई जा रही हैं.
पैसे दीजिए, और भली बीवी बनने के सारे गुर सीख लीजिए.
ये तो हुई चीनी पत्नियों की बात, लेकिन हमारा हिंदुस्तान भी कहां पीछे रहेगा. तो, कुछ ऐसी ही सीख हमारे यहां भी मिल रही है, लेकिन जरा अलग अंदाज में.
यहां आज्ञाकारी बेटी बनाई जा रही है.
पैरेंट्स चेता रहे हैं कि भली लड़की की तरह चुपचाप घर पर रहो. कोई छेड़े तो गुस्सा मत करो, बस घर आ जाओ. प्यार जताए तो भी गूंगी गुड़िया बनकर घर आ जाओ. और खबरदार! जो दिल में इश्क नाम के फितूर को हवा दी. जैसे सोडियम हवा में आते ही भक्क से आग पकड़ लेता है, बिल्कुल वही हाल प्यार में पड़ी लड़की का होगा. वो या तो जल जाएगी, या 35 टुकड़े करके जंगल-जंगल बिखरा दी जाएगी. श्रद्धा हत्याकांड के बाद से ‘टुकड़ा-थ्योरी’ वो पट्टा बन गई, जिसे गले में डालकर लड़की पर काबू पाया जा सके.
‘पैरेंट्स की बात मान लेती तो ऐसी मौत न मरती!’ पिछले कुछ दिनों में ये बात इतनी- इतनी बार दोहराई गई, कि इकट्ठा करें तो एक छोटा-मोटा मुल्क खड़ा हो जाएगा. चेतावनियों का मुल्क!
हर कदम पर एक चेतावनी मुंह फाड़े इंतजार करती है कि ज्यों ही औरत सामने आए, टप्प से उसे गड़प कर जाओ. लेकिन चुपचाप नहीं, पूरे रुआब के साथ ताकि पीछे चल रही हर औरत घचपचाकर घरों की तरफ दौड़ पड़े और घरवाले जिससे कहें, ब्याह रचा ले. लेकिन बोलने की छूट इसके बाद भी नहीं. और बहस की तो किसी हाल में नहीं. ये वो आग है, जो परिवार को जलाकर राख कर देती है.
पति से बात मनवानी ही हो, तो कुछ अलग अपनाना होगा. जैसे बंदूक की गोली की तरह भन्नाकर बोल पड़ने की बजाए थोड़े नखरे करें. होंठों को बिचकाकर, आंखों में मोटे-मोटे आंसू ले आएं. फिर देखिए, भला कौन-सा पति आपकी बात नहीं सुनेगा!
बिल्कुल यही सीख अमेरिकी लेखिका हेलेन ने ‘फैसिनेटिंग वुमनहुड’ नाम की किताब में दी. और एकदम यही सीख हमारे यहां हैदराबाद में दी जा रही है.
‘दुल्हन कोर्स’ नाम से एक ट्रेनिंग का पर्चा कुछ समय पहले ट्विटर पर वायरल हुआ, जिसपर लिखा था- घर और शादीशुदा जिंदगी को कामयाबी से गुजारने के लिए ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट. सिर्फ जनानियों के लिए बने इस ट्रेनिंग सेंटर में सिलाई-बुनाई, कुकिंग, ब्यूटी, मेहंदी और होम मैनेजमेंट टिप्स दिए जाते. साथ में लिखा था- क्लासेज ऑन- हाउ टू लिव सक्सेसफुल मैरिड लाइफ!
No, really, what the actual fuck is this? Hyderabad, you are far more fucked up than I thought! Are they any classes for men or the entire onus of making a marriage work is on the woman alone? When is our society going to change & stop putting the entire burden on the woman! pic.twitter.com/tnaea7HgtF
— Amena (@AmenaAAzeez) September 2, 2019
सक्सेसफुल करियर, सक्सेसफुल लाइफ नहीं, सक्सेसफुल वाइफ बनने के नुस्खे यहां मिलते.
हैदराबाद की अपनी एक मित्र से इस बारे में पूछा तो चिड़चिड़ाते हुए पलटकर पूछने लगी- चुपचाप सुनने की ट्रेनिंग का नहीं बताया उस पोस्टर में!
चुप रहकर बात मानना. ये एक ऐसी खूबी है, जो औरत को प्यारी बेटी, प्यारी बीवी और प्यारी मां बनाती हैं.
नूडल्स के सांचे से मैगी भी उतनी तरतीब से नहीं निकलती है, जितना जोर एक खास सांचे में ढली औरत पर है. तो चुप रहकर मर्दों के दिल को भाने वाली औरतें बनाने के लिए दुनियाभर में कई ट्रेनिंग सेंटर चलने लगे. ये उन्हें चुप रहना सिखाते. और सबसे जरूरी- बात मानना सिखाते. फिर चाहे माता-पिता की हो, या फिर प्रेमी-पति की.
कुछ साल पहले एक किताब आई- द ह्यूमन वॉइस.
इसकी लेखिका एन कार्फ ने बताया कि चुप रहकर काम करते-करते औरतों की आवाज धीमी हो चुकी है. लेखिका ने लगभग 50 सालों की स्टडी के हवाले से बताया कि महिलाओं की आवाज 23 हर्ट्ज तक कम हो चुकी है क्योंकि ज्यादातर समय वे चुप करवाई जाती हैं.
काम पर चुप. शादी पर चुप. बंद कमरे में मारपीट पर चुप. बोलेगी तो मार दी जाएगी. आफताब तथाकथित प्रेमी था. मौका मिले तो पिता-भाई मार देंगे. बीते साल ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक भाई ने प्रेम कर चुकी बहन का सिर काटकर पूरे मोहल्ले में नुमाइश की. उसकी लाश ने प्रेम का सारा कलंक धो दिया.
यूनाइटेड नेशन्स की मानें तो हर 5 में से 1 ऑनर किलिंग हमारे यहां होती है. ये कच्चे आंकड़े हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो का कहना है कि हर साल लव-रिलेशन के कारण हजारों बच्चियां गायब हो जाती हैं. कहां? पता नहीं.
श्रद्धा की हत्या को किसी क्राइम से ज्यादा, सबक की तरह देखा जा रहा है. सबक, जो लड़कियों को पेरेंट्स की बात मानना सिखा देगा.
पत्रकारिता में आई ही थी, जब लव-मैरिज करने वाली किसी युवती की मौत पर एक पुरुष पत्रकार ने कहा- ‘‘ऐसियों’ का यही हाल होता है.’ बोलने वाला पुराना था. तनकर बैठा हुआ. चेहरे पर सही कहने का भाव. कमरे में मैं अकेली लड़की थी. चुप देखती रही. उस चुप्पी को बाद के कई मौकों पर तोड़ा, लेकिन तब कुछ न कह पाना आज भी गले में दर्द की तरह अटका है.
अमेरिकी लेखिका अर्सुल ली गुइन (Ursula Le Guin) ने एक बार कहा था- सदियों से चुप रहकर बात मानती हम औरतों के भीतर ज्वालामुखी है. जब फटेगा, दुनिया के नक्शे बदल जाएंगे. नए पहाड़ बनेंगे. नए द्वीप बसेंगे.
तो बोल पड़ो औरतों. बताओ कि श्रद्धा की मौत, ‘ऐसियों’ का मामला नहीं. ये सिर्फ एक चुनाव था, जो गलत निकला. अगर घर के दरवाजे खुले होते, तो चमकीली आंखों वाली लड़की शायद जिंदा होती. कहो- कि लाश पर समझाइशों की खेती रुक सके.