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दावोस: स्विटजरलैंड का एक ऐसा शहर जहां आप बहुत ही कम समय लेकर बड़ी-बड़ी मुलाकातों के लिए आते हैं. इसको हम ऐसे भी कह सकते हैं कि यहां हम हाई नेट वर्थ वाली 'स्पीड डेटिंग' के लिए आते हैं. जहां हमें अलग अलग विचारों के लोग एक ही पायदान पर नजर आते हैं. फिर चाहे वो कम्युनिस्ट हो या पूंजीवादी.
दुनियाभर के सबसे ताकतवर लोगों की इस मुलाकात में पूरी दुनिया के मुट्ठीभर लोग ही इस पूरी भीड़ का हिस्सा होते हैं. यानी कि दुनिया के लगभग एक प्रतिशत लोग और कई बार उससे भी कम, इस बात पर जोर दे रहे होते हैं कि दुनिया को और बेहतर और न्यायपूर्ण कैसे किया जाए. दुनिया की बेहतरी के वादे से लिपटी हुई ऐसी मुलाकातों का स्विट्ज़रलैंड, एक लम्बे समय से गवाह बनता आ रहा है.
लेकिन इसे अगर मैं अपने शब्दों में कहूं तो मेरे लिए यह यात्रा मिले-जुले भावों से भरी हुई रही. दावोस एक ऐसी जगह है जहां जाति, मुद्दों और उम्र की परवाह किए बिना आप स्वतंत्र रूप से अपने विचार रख सकते हैं. ऐसे में इस बार वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की सालाना मीटिंग में अपने वॉकथ्रू के दौरान मुझे ऐसे ही 12 विचार ज़ेहन में आए. हालांकि ये सभी विचार अलग-अलग समय पर मन में उठे, लेकिन अब इकठ्ठा होकर यहां लिखे जा रहे हैं...
1. लॉटरी के जरिये सरकार का चुनाव
एक ऐसा दौर जब दुनियाभर में चुनाव के साथ राजनीतिक व्यवस्थाएं असफल होती नजर आती हैं, तब मुझे लॉटरी के जरिये सरकार के चयन का विचार काफी आकर्षक मालूम पड़ता है. चुनी हुई सरकारें संस्थाओं को खोखला करके लोकतंत्र की परत को कमजोर कर सकती हैं. लॉटरी के जरिये एक समयबद्ध सरकार (time-bound government) का चयन सफल सरकार बनाने का अच्छा तरीका हो सकता है. क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि समयबद्ध होने के कारण ऐसी सरकारें अपने ऊपर ज्यादा ध्यान देने की जगह जनता और शासन पर ज्यादा ध्यान देंगी.
2. नया मौलिक अधिकार: ब्रेन प्राइवेसी का अधिकार
आपका मस्तिष्क आपका सबसे निजी और सबसे उन्मुक्त स्थान है, जहां कोई बाहरी ताकत घुसपैठ नहीं कर सकती. लेकिन क्या यह अब भी सच है? अधिकतर लोग ऐसी डिवाइस को पहनने या साथ रखने में सहज हैं, जो उनकी निजी गतिविधियों को रिकॉर्ड कर सकती हैं. अब ऐसी नई डिवाइस बाजार में आने वाली हैं, जो मस्तिष्क की गतिविधि को माप सकती है और दिमाग के मैट्रिक्स का खाका पेश कर सकती हैं. यह सतर्कता और उत्पादकता के लिए आपके मस्तिष्क को रीड कर सकती है.
लगातार बढ़ रहे ब्रेन-मशीन इंटरफेस के दौर में, खुद से सोचने और खुद के लिए सोचने की लिबर्टी (cognitive liberty) खतरे में पड़ सकती है. इसलिए इसे मानवाधिकार चार्टर का हिस्सा बना देना चाहिए. इससे यह सुनिश्चित होगा कि बायोमेट्रिक्स एक ऐसी ताकत है, जो दमन नहीं करती बल्कि मुक्त करती है. तमाम बातों के बीच कहीं न कहीं यह भी तय है कि न्यूरल सिग्नेचर (किसी खास कार्य या स्थिति से जुड़ी हुई न्यूरल एक्टिविटी का पैटर्न) भविष्य का सिक्का साबित होगा.
3. मुसीबतों को गिनना बंद करें
हम सभी ऐसी दुनिया में हैं जहां एक साथ कई मुश्किलें मुंह बाए खड़ी हैं. ऐसे में इसके लिए एक ऐसे समाधान की जरूरत है जो हर आयाम में फिट बैठे. हालांकि पत्रकारिता वैश्विक समस्याओं को हल नहीं कर सकती है, लेकिन पत्रकारिता के बिना भी जाहिर तौर पर इसे हल नहीं किया जा सकता.
मेरा मानना है कि कई पूंजीपति डरपोक होते हैं जो बैठने के लिए सुरक्षित स्थान ढूंढते हैं, लेकिन समय के साथ आगे बढ़ते हुए हमें सचेत पूंजीवाद का अभ्यास करने की जरूरत है. हमें ट्रांज़िशन के दौर को भी देखना होगा जहां लोग कोयले से सौर, एनालॉग से डिजिटल और इंसानों से बॉट्स की ओर बढ़ रहे हैं.
4. कंपनी का चेहरा बदल देने वाली बेहतरीन सलाह
अपनी कंपनी के भीतर चीजों को और बेहतर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि अपने प्लान को दुनिया के सामने रख दो. इससे तुम पर उसे पूरा करने की एक नैतिक जिम्मेदारी भी आ जाएगी और उसे सही ढंग से करने के रास्ते भी मिलेंगे. ऐसे में यह तरीका आंतरिक खींचतान को खत्म करेगा और सभी मिलकर एक साझा लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करेंगे.
इन सबके बीच प्राथमिकता देते समय उन चीजों को चुनें जो 'असंभव' के पायदान पर हैं. हालांकि इस दौरान यह एक बड़ा लक्ष्य मालूम होगा लेकिन इसे हासिल किया जा सकेगा.
5. रीह्यूमनाइज (Re-humanise)
कोरोना, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के कॉम्बिनेशन ने आइसोलेशन यानी अकेलेपन के ट्रेंड को बढ़ा दिया है, खासकर किशोरों में. हमारे आज के युवाओं में मानवीय गुण खत्म होते जा रहे हैं. युवाओं में इन मानवीय गुणों को फिर से बढ़ाना होगा. यह समझाने की जरूरत है कि उन्हें असल जिंदगी में हमेशा नकलीपन के साथ नहीं रहना है.
6. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: अच्छा, बुरा या बदसूरत
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को सही ढंग से प्रोग्राम किया जा सके, इसके लिए हमें अब उन मूल्यों की जरूरत है, जिन पर हम सभी की सहमति हो. एआई हमें डिजिटल गति से समेटता चला जा रहा है. जिसने पीएचडी के अरबों घंटों को निचोड़ कर एक वर्ष में तब्दील कर दिया है.
हालांकि यह विज्ञान की एक अभूतपूर्व छलांग है. टेक्नोलॉजी को बदलाव की गति के साथ कदम से कदम बनाकर चलने की जरूरत है. जिन कानूनों को बनाने में सालों लग जाते हैं, वे तकनीक के आने पर कुछ ही मिनटों में अपनी अहमियत खो देते हैं.
हमें एआई को पारदर्शी, जवाबदेह और ऑडिट योग्य बनाना चाहिए. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बड़े पैमाने पर गलत जानकारी भी देता है, जिसमें बायोकोड की हैकिंग भी शामिल है. एआई कई बार ऐसी चीजों को पेश करता है, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं इसलिए इस पर लगातार नजर रखने की जरूरत है.
7. यूक्रेन: महाशक्ति बनाम 'इच्छाशक्ति'
आपके पास हथियार और रणनीति हो सकती है लेकिन सबसे दुर्लभ चीज है, इच्छाशक्ति का होना और यूक्रेन ने यह कर दिखाया है. हर युद्ध बातचीत की मेज पर आकर खत्म होता है. युद्ध में कोई भी पूरी तरह से हारता या जीतता नहीं है. जितनी जल्दी हम बातचीत करेंगे, उतनी जिंदगियां हम बचा सकेंगे. ऐसे में सवाल यह है कि हम युद्ध को तेजी से समाप्त करते हैं, तो कितने लोगों की जान बचाई जा सकेगी?
8. एक नया लीडर!
इस दुनिया ने एक ऐसा नेतृत्व देखा है, जो युवा है, साहसी है, सबसे खास बात कि वह महिला है और मनुष्य होने के नाते उसे किसी चीज पर शर्मिंदगी नहीं है. मैंने यह सब फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मरीन के सेशन में देखा. वह किसी देश की प्रधानमंत्री होने की तुलना में एक रॉकस्टार अधिक लग रही थीं. उन्होंने कई मामलों पर साफगोई से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि व्यक्तित्व पर तवज्जो मत दीजिए, मुद्दे पर ध्यान दीजिए.
9. ग्रीनवॉश
ग्रीनवॉश टर्म का मतलब है कि जब ईएसजी क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां नैतिक रूप से कानूनी उत्पाद नीतियों का उपयोग नहीं करती. उनका मुख्य उद्देश्य आंखों में धूल झोंककर मोटा मुनाफा कमाना होता है. उनके ये प्रयास दरअसल सिर्फ एक हॉगवाश, यानी कि एक तरह से नॉनसेंस होते हैं. यह उस विचार की वापसी भी है जो यह मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के खतरों पर दुनिया का ब्रेनवॉश किया जा रहा है.
10. इंजीनियर्स भारत की नई संपदा
भारत की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए उसके पास सबसे अमूल्य धरोहर इंजीनियर्स हैं. इंजीनियर्स के रूप में भारत के पास दुनिया के सबसे बेहतरीन संसाधन हैं. सऊदी अरब के लिए तेल जो मायने रखता है, भारत के लिए इंजीनियर्स का वही महत्व है. साफ देखा जा सकता है कि कैसे भारतीय इंजीनियर शीर्ष कंपनियों के सीईओ और नए स्टार्टअप के संस्थापक के रूप में बदलाव लाने में मदद कर रहे हैं.
आज जहां से चीजों को देखते हैं वहां से नजरिया मायने रखता है. पश्चिमी देश जहां इस बात से संतुष्ट हैं कि उन्हें बहुत बड़े मंदी का सामना नहीं करना पड़ रहा है वहीं भारत इस बात से नाखुश है कि उसकी विकास दर मात्र 6 फीसदी है.
11. विश्वगुरु
मेंटल हेल्थ इंडस्ट्री कई ट्रिलियन डॉलर की इंडस्ट्री है. इस इंडस्ट्री में भारत एक बड़ी भूमिका निभाने की क्षमता रखता है. दुनिया को मानसिक तौर पर और बेहतर करने के लिए योग और ध्यान के क्षेत्र में अपने प्राचीन ज्ञान की पेशकश कर भारत यहां एक बड़ी मार्गदर्शक भूमिका निभा सकता है.
12. डार्क मैटर
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से ली गई इस तस्वीर ने दुनियाभर का ध्यान अपनी तरफ खींचा था. इस तस्वीर में चमकने वाली चीजों की अहमियत नहीं है बल्कि इन रोशनियों के बीच मौजूद डार्क मैटर (Dark Matter) ध्यान खींचता है और हमें इसी के बारे में सबसे ज्यादा सीखने की जरूरत है.
मसाला चाय और गरम समोसे के साथ भारत का जायका
इन सभी बातों के बीच सबसे खास बात, दावोस में भारत के स्टॉल का बोलबाला रहा. यहां भारतीय लाउन्ज में मसाला चाय और गरमागरम समोसे परोसे जा रहे थे. यहां तमिलनाडु, तेलंगाना और महाराष्ट्र के लाउन्ज थे. यहां टाटा टी ने भी अपना एक स्टॉल लगा रखा था जहां बर्फ में कांपते लोगों को चाय परोसी जा रही थी. कटिंग चाय से इससे शानदार स्वागत कभी नहीं हुआ होगा!!!