भारत में आतंकी हमलों के लिए वांछित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का शीर्ष कमांडर अबू कतल उर्फ़ क़ातिल सिंधी 15 मार्च की रात पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के झेलम क्षेत्र में अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा मार दिया गया. बताया जाता है कि हमले के दौरान 43 वर्षीय कतल, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफ़िज़ सईद के साथ ही था. हाफिज सईद इस हमले में बाल-बाल बच गया. कतल एक आतंकी संगठन का प्रमुख ऑपरेशनल कमांडर था और जम्मू-कश्मीर के पूंछ-राजौरी क्षेत्र में कई हमलों की योजना बनाने में शामिल था.
पाकिस्तान की एजेंसियों ने उसकी मौत को टार्गेट किलिंग करार दिया है. पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि कतल की हत्या लश्कर के अंदरूनी झगड़े का नतीजा थी या यह घटना पाकिस्तान में आतंकियों की रहस्यमय हत्याओं के क्रम में एक और हत्या है? पाकिस्तान के लोग तो यही मानते हैं कि कतल की हत्या उसी कड़ी का हिस्सा है. पाकिस्तान में बड़ा तबका इसके पीछे भारत की एजेंसी रॉ का हाथ मानता है. पाकिस्तान के पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार कमर चीमा का कहना है कि भारत ने पाकिस्तान में एक खास ऑपरेशन चला रखा है. चीमा यह भी कहते हैं कि कताल की हत्या मोदी सरकार की ओर से हाफिज सईद के लिए स्पष्ट मैसेज है. पर सवाल यह उठता है कि अगर भारत इन घटनाओं के पीछे है तो पाकिस्तान कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो की तरह खुलकर भारत पर आरोप क्यों नहीं लगा रहा है.
अगर ऐसा है तो पाक पीएम शहबाज शरीफ कनाडाई पूर्व पीएम की तरह खुलकर भारत को इसके लिए जिम्मेदार क्यों नहीं ठहराते हैं. हालांकि छिटपुट पाकिस्तानी अफसरों और नेताओं की ओर ऐसे बयान आते रहते हैं जिसमें भारत को हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. पर अब तक इस संबंध में कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट पाकिस्तान का न आना संदेहास्पद स्थितियों को जन्म देता है. हालांकि पाकिस्तान की चुप्पी की कई वजहें हो सकती हैं, जो उसकी आंतरिक और बाहरी राजनीति, कूटनीतिक समीकरण और रणनीतिक हितों से जुड़ी हुई है.
1-पाकिस्तानी सरकार और ऑर्मी खुद को भारत से कमतर नहीं दिखाना चाहतीं
पाकिस्तान के साथ समस्या यह है कि उसके पास भारत के खिलाफ अगर कोई ठोस सबूत भी मिल जाए तो भी अपनी जनता के सामने यह बताने से हिचकेगा कि भारत जैसा देश उसके यहां हत्याएं करा रहा है. पाकिस्तान की सरकार हो या फौज, अपनी जनता के बीच यही कहते हैं कि हमने भारत से कभी कोई युद्ध नहीं हारा. पाकिस्तान अपनी जनता के बीच यही कहता रहा है कि हमने मुंबई हमले और संसद पर हमले करके भारत को थर्रा दिया था.
करगिल युद्ध करके भारत को छकाया. हम भारत के हिस्सा का आधा कश्मीर अपने पास रखे हुए हैं. इस तरह की बात करने वाली सरकार और आर्मी किस मुंह से अपने देश में हुए हमले का आरोप भारत पर मढ़ सकेगी? पाकिस्तान की सरकार और उसकी खुफिया एजेंसी ISI लंबे समय से लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के जरिए भारत को समर्थन देती रही है. इन संगठनों के कई शीर्ष कमांडर पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (POK) में मारे गए हैं. इसके साथ ही पाकिस्तान के सामने यह भी संकट है कि दुनिया के सामने वह कैसे स्वीकार करेगा कि ये आतंकी उसके संरक्षण में रह रहे थे.
2. अंतरराष्ट्रीय दबाव और FATF की चिंता
पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि उसे कई इस्लामी देशों से लोन मिलना बंद हो चुका है. पाकिस्तान लगातार आईएमएफ से और कर्ज लेने की कोशिश में लगा हुआ है. अगर पाकिस्तान भारत पर इस तरह का आरोप लगाता है तो भारत पाकिस्तान पर आतंकवाद को पनाह देने के आरोपों को साबित कर देगा. पाक पहले ही फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट में रह चुका है. अगर वह इन हत्याओं को लेकर ज्यादा हंगामा करता है, तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह साबित हो सकता है कि पाकिस्तान अभी भी आतंकियों को पनाह दे रहा है. अगर पाकिस्तान एक बार फिर ब्लैकलिस्ट होता है तो जाहिर है कि कर्ज मिलने की संभावना पूरी तरह खत्म हो जाएगी.
3. भारत के साथ टकराव मोल न लेना
2024 में भारतीय चुनावों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक और मजबूत सरकार बनी है, जिसने पहले भी सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) जैसे कदम उठाए थे. पाकिस्तान जानता है कि अगर वह इस मुद्दे पर ज्यादा आक्रामक रुख अपनाएगा, तो भारत से कड़ा जवाब मिल सकता है, जिससे उसकी सुरक्षा और कूटनीति पर असर पड़ेगा. दूसरे भारत के साथ आज रूस और अमेरिका दोनों ही हैं. चीन भी भारत के खिलाफ पाकिस्तान के मामले सामने नहीं आएगा. चीन के बहुत से हित भारत से जुड़े हुए हैं. एक समय था कि ऐसे मौकों पर पाकिस्तान के साथ अमेरिका खुलकर भारत के विरोध में आ जाता था. पर आज स्थितियां बदल चुकी हैं.
4. कनाडा और पाकिस्तान की स्थिति में फर्क
कनाडा और पाकिस्तान की स्थिति में फर्क है. कनाडा 5 आई का मेंबर है. कनाडा की बात पर विश्व के सबसे ताकतवर पश्चिमी देश उसी की भाषा में बोलने को मजबूर हो जाते हैं. कनाडा की आर्थिक स्थिति भी पाकिस्तान जैसी नहीं है.कनाडा में खालिस्तानी तत्व खुलेआम काम कर रहे हैं और वहां की सरकार ने उन्हें सहानुभूति दी है.कनाडा के जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाए क्योंकि वे भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना चाहते थे. लेकिन पाकिस्तान की स्थिति उलटी है—अगर वह भारत पर आरोप लगाएगा, तो दुनिया उससे पूछेगी कि ये आतंकी वहां कर क्या रहे थे?
5-बोलने से ज्यादा चुप रहने की रणनीति पर काम कर रहे हैं शरीफ
पाकिस्तान की सरकार अल्पमत वाली सरकार है जो सेना की इच्छा पर चल रही है. पाकिस्तान में सही बोलने वालों के साथ क्या सुलूक होता है यह शाहबाज शरीफ भी जानते हैं. इसलिए वह बोलने से ज्यादा चुप रहने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. किसी तरह कुर्सी बचाकर सरकार चलाने की रणनीति ही उनके लिए बेहतर भी है. शरीफ जानते हैं कि ज्यादा महत्वाकांक्षा का मतलब पाकिस्तान में जेल या फांसी पर चढना होता है. अगर वह खुलकर भारत के खिलाफ आरोप लगाएंगे, तो उसे अपने आतंकियों को समर्थन देने की सफाई भी देनी पड़ेगी. इसलिए, पाकिस्तान सरकार इन हत्याओं को कभी गैंगवार, कभी आंतरिक संघर्ष तो कभी अनजान हमलावरों की करतूत बताकर अपनी इज्जत बचाने की कोशिश कर रही है.