आरजेडी को तेजस्वी यादव सभी तबके की पार्टी बनाना चाहते हैं, ताकि ओबीसी वोटर के साथ साथ दलितों वोटर को भी साधा जा सके - और लगे हाथ प्रयास ये भी है कि ‘जंगलराज’ के साये से हमेशा के लिए निजात मिल सके.
2020 के बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे. चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने लालू-राबड़ी के आरजेडी शासन में जंगलराज के आरोपों को लेकर माफी भी मांगी थी, और ये भी देखने में आया था कि आरजेडी के पोस्टर और बैनर से लालू-राबड़ी सहित पूरे परिवार की तस्वीरें गायब थीं - असल में, ये जंगलराज के आरोपों से मुक्ति पाने के उपाय थे.
आने वाले बिहार चुनाव 2025 से पहले एक बार फिर तेजस्वी यादव जंगलराज के ठप्पे से निजात पाने की कोशिश कर रहे हैं. याद रहे, पिछले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव कैंपेन के दौरान तेजस्वी यादव को ‘जंगलराज का युवराज’ कह कर संबोधित किया था.
जंगलराज वाली छवि बदलने के साथ ही, तेजस्वी यादव मुस्लिम-यादव समीकरण से आरजेडी के वोट बैंक का दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. लालू यादव पिछड़ों के नेता रहे हैं, लेकिन अब आरजेडी का सपोर्ट बेस यादव और मुस्लिम वोटर तक ही सिमट कर रह गया है.
तेजस्वी यादव चुनावों की नई तारीख आने तक पूरे ओबीसी तबके से कनेक्ट होने की कोशिश कर रहे हैं. हो सकता है, ये राहुल गांधी के नये पैंतरे को काउंटर करने के लिए भी हो. महीना भर पहले पटना पहुंचे राहुल गांधी ने बिहार में हुई जातिगत गणना को फर्जी करार दिया था - लिहाजा, अब लड़ाई जातीय राजनीति के बहाने पूरे ओबीसी वोट बैंक पर काबिज होने की चल रही है.
ये भी मालूम हुआ है कि तेजस्वी यादव ईबीसी वोटर और दलित समुदाय तक भी पहुंच बनाने की कोशिश कर रहे हैं. मतलब, तेजस्वी यादव की नई मुहिम राहुल गांधी के खिलाफ ही नहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के वोटर के बीच पैठ बनाने के साथ ही, जंगलराज वाली अपनी राजनीतिक छवि को बदलने की भी है.
M-Y फैक्टर की राजनीति से आगे की रणनीति
अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. और, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव तो पहले से ही चुनावी तैयारियों में लगे हुए हैं.
बिहार के दो बार डिप्टी सीएम रह चुके तेजस्वी यादव ने सहरसा के एक राजनीतिक कार्यक्रम में अपने पिता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को भारत रत्न दिये जाने की मांग कर डाली - और देखते ही देखते उनके सारे राजनीतिक विरोधी धावा बोल दिये. लालू यादव के चारा घोटाले में सजायाफ्ता होने की दुहाई देने लगे.
तेजस्वी यादव ने अपनी डिमांड के पक्ष में दलील भी पेश की है. तेजस्वी यादव का कहना है कि लालू यादव को भारत रत्न इसलिए दिया जाना चाहिये क्योंकि उनके पिता ने ऐसे दौर में समाज के बेजुबान लोगों को आवाज दी, जब दलित समुदाय के लोग पानी के लिए कुएं का भी इस्तेमाल नहीं कर सकते थे.
ओबीसी और दलित वोटर तक पहुंचने की तेजस्वी यादव की तरफ से ये काफी गंभीर कोशिश लगती है. ऐसे कम से कम दो मौके और भी देखने को मिले जब तेजस्वी यादव अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते नजर आये.
1. महीना भर पहले, 22 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर एक रैली में तेजस्वी यादव ने लोगों से अपनी बात साझा करते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर से ही उनको राजनीति की प्रेरणा मिली है.
तेजस्वी यादव ने लोगों को ये भी याद दिलाया कि जब नीतीश कुमार के साथ वो बिहार की सरकार में शामिल थे तो उनकी पार्टी आरजेडी ने पिछड़ों और वंचितों के लिए कोटा बढ़ाने के लिए नीतीश सरकार पर लगातार दबाव बनाया हुआ था.
2. और वैसे ही 9 फरवरी को पटना में आरजेडी की रैली के जरिये तेली समुदाय तक पहुंचने की भी कोशिश देखी गई.
रैली में शामिल होकर तेजस्वी यादव ने तेली समुदाय को अपनी पार्टी का एजेंडा समझाने की कोशिश की. ध्यान देने वाली बात है कि ईबीसी में तेली समुदाय का खास दबदबा है. बिहार में तेली समुदाय की आबादी करीब 3 फीसदी है.
आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया है कि आरजेडी के कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे लोगों के बीच जाकर समझायें कि लालू यादव के शासन में उनको क्या-क्या मिला था. मृत्युंजय तिवारी के मुताबिक, आरजेडी कार्यकर्ता ईबीसी और दलित समुदाय के लोगों तक पहुंच कर तेजस्वी यादव का संदेश पहुंचाने की कोशिश में जुट गये हैं.
1. बताते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने ईबीसी समुदाय से ज्यादा नेताओं को टिकट देने पर विचार कर रही है, और सामान्य सीटों से भी दलित नेताओं को मैदान में उतारने पर विचार किया जा रहा है.
2. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी आरजेडी ने ईबीसी तबके से आने वाले तीन नेताओं को टिकट दिया था, लेकिन वे चुनाव हार गये.
MY-BAAP फैक्टर भी समझा चुके हैं तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव की तरफ से आरजेडी का राजनीतिक दायरा बढ़ाने की कोशिश पहले भी देखी जा चुकी है. पटना की एक रैली में तेजस्वी समझा चुके हैं कि वो सिर्फ M-Y फैक्टर नहीं, बल्कि MY-BAAP की राजनीति करते हैं.
जन विश्वास रैली में तेजस्वी यादव ने समझाया था कि राष्ट्रीय जनता दल सिर्फ मुस्लिम-यादव की पार्टी नहीं है. बोले, MY के साथ साथ आरजेडी BAAP की पार्टी भी है.
और फिर वो समझाते हैं, बी का मतलब बहुजन है, ए का मतलब अगड़ा, ए का मतलब आधी आबादी यानी महिलाएं और P का मतलब Poor यानी गरीब होता है. कहते हैं, आप लोग जैसी ताकत देंगे हम लोग वैसा काम करेंगे.
तेजस्वी यादव बताते हैं, हमारे साथ आप हैं और जब बाप हम बोल रहे हैं तो ए टू जेड हो गया… पूरा बहुजन, अगड़े, आधी आबादी और गरीब सभी आ गये - और अगले चुनाव से पहले एक बार फिर तेजस्वी यादव मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं.