प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक चैलेंज दिया था. ये चैलेंज लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से जुड़ा है. लेकिन, ये चुनौती सीधे सीधे राहुल गांधी को नहीं मिली है. बल्कि, राहुल गांधी का नाम लेकर ये चुनौती विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के नेताओं को दी गई है, जिसमें निशाने पर विशेष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हैं.
मुद्दा भी ऐसा है, जिस पर राहुल गांधी स्वाभाविक तौर पर भड़क सकते थे, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. वरना, राहुल गांधी ऐसा कोई मुद्दा नहीं छोड़ते जिससे संघ के विचारक रहे विनायक दामोदर सावरकर का जिक्र किया गया हो.
चूंकि मोदी के चैलेंज में शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे का भी नाम जुड़ा है, इसलिए उद्धव ठाकरे ने मोदी के ही बयान का हवाला देकर पलटवार किया है, और राहुल गांधी को न सिर्फ क्लीन चिट दी है, बल्कि तारीफ भी की है.
बीते वक्त में ये जरूर देखने को मिला है कि राहुल गांधी जब भी सावरकर के बारे में कुछ कहते हैं, उद्धव ठाकरे और उनके साथी संजय राउत तत्काल रिएक्ट करते हैं. संजय राउत तो ये भी कह चुके हैं कि वो नेहरू और गांधी का सम्मान जरूर करते हैं, लेकिन सावरकर का अपमान नहीं सहने वाले हैं.
मोदी का चैलेंज, उद्धव का जवाब
महाराष्ट्र की चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्धव ठाकरे का नाम लिये बगैर चैलेंज किया था. और, ये चैलेंज भी ऐसा था कि उद्धव ठाकरे के लिए जवाब देना काफी मुश्किल हो सकता था, लेकिन मोदी का ही एक पुराना बयान शिवसेना (यूबीटी) नेता के लिए वरदान बन गया है.
राहुल गांधी के लिए युवराज शब्द का इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'मैंने इनको चुनौती दी है... अघाड़ी वाले जरा मेरी चुनौती को स्वीकार करें... उनके युवराज के मुंह से, वीर सावरकर की तारीफ में एक भाषण करवा दें जरा... मैं अघाड़ी के साथियों को कहता हूं... अगर उनमें दम हो तो उनके युवराज के मुंह से बाला साहेब ठाकरे की जरा तारीफ करवाके सुनवायें महाराष्ट्र को... साथियों, कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसके पास न नीति है न नीयत है, और नैतिकता का नामोनिशान नहीं है.'
मोदी के चैलेंज का जिक्र करते हुए उद्धव ठाकरे कहते हैं, प्रधानमंत्री मोदी नांदेड़ में थे... मैं भी वहीं से आ रहा हूं... सौभाग्य से मुझे उनके दर्शन नहीं हुए, ये मेरा नसीब... उन्होने मुझे चुनौती दी है... चुनौती ऐसी दी है की राहुल गांधी बाला साहेब ठाकरे के लिए दो अच्छे शब्द बोलकर दिखायें.
उद्धव ठाकरे ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान जब शिवाजी पार्क पर महाविकास आघाड़ी की सभा थी, तब राहुल गांधी ने बाला साहेब ठाकरे के स्मृतिस्थल पर जाकर उनका अभिवादन किया था. उद्धव ठाकरे ने कहा, मोदी जी अगर आपकी टीम ने ये वीडियो आपको भेजा नहीं होगा, तो वो वीडियो मैं आपको भेजता हूं.
और फिर सख्त शिकायती लहजे में उद्धव ठाकरे कहते हैं, राहुल गांधी ने कभी भी मुझे नकली संतान नहीं कहा... वो पाप आपने किया है.
उद्धव ठाकरे उस बात से काफी नाराज रहते हैं, और कई बार अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. मोदी से मिले चैलेंज की वजह से ये मौका फिर से मिल गया है. शिवसेना के बीजेपी से गठबंधन तोड़ देने से खफा प्रधानमंत्री मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा था, मैं जरा बाला साहेब ठाकरे के... नकली शिवसेना के, जो उनके संतान हैं... जरा बालासाहेब को याद करो... मैं उनकी नकली संतानों को पूछना चाहता हूं... मैं उनके बुजुर्ग नेता से भी पूछना चाहता हूं. असल में, ये बातें भी मोदी ने कांग्रेस को टार्गेट करते हुए ही कही थी.
सावरकर के मुद्दे पर राहुल का बचाव नहीं कर पाते उद्धव
मोदी के चैलेंज के आधे हिस्से (बाल ठाकरे वाले) का तो उद्धव ठाकरे ने अपने बयान से बखूबी जवाब दे दिया है, लेकिन सावरकर के मामले में वो चुप रहे. राहुल गांधी खुलेआम सावरकर की बेइज्जती करते रहे हैं. उद्धव ठाकरे और शरद पवार के ऐतराजों के बावजूद. इसीलिए उद्धव ठाकरे जब मोदी के चैलेंज का जवाब देते हैं तो सावरकर का जिक्र वे भी नहीं करते. यानी, मोदी के चैलेंज का आधा हिस्सा अब भी बरकरार है. सावरकर का नाम महाराष्ट्र में काफी संवेदनशील है. राहुल और उद्धव दोनों इस बात को समझते हैं. इसलिए वे मोदी की फेंकी गई गुगली को खेलने से बच रहे हैं. लेकिन, देखने वाली बात है कि ऐसा कब तक होगा. सावरकर के मुद्दे पर राहुल गांधी को कठघरे में लाने का महाराष्ट्र चुनाव से बेहतर मौका और कब होगा?
सावरकर पर राहुल गांधी का रुख क्या नर्म होगा?
हाल ही में बीकेसी यानी बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में महाविकास आघाड़ी की तरफ से स्वाभिमान सभा का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम में सहयोगी दलों के नेताओं के साथ साथ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल हुए थे - और चर्चा इस बात की थी कि वहां पर वीडी सावरकर लिखित गीत 'जयस्तुते' गाया गया. हालांकि, ये गीत कांग्रेस नेताओं के भाषण से पहले ही गाया गया था.
सावरकर के मुद्दे पर राहुल गांधी का विरोध जगजाहिर है. यहां तक कि भारत यात्रा के दौरान और लंदन के एक कार्यक्रम में भी राहुल गांधी ने सावरकर पर अपनी राय जाहिर की थी. सावरकर पर राहुल गांधी का पहला चर्चित बयान दिल्ली के रामलीला मैदान की रैली में सुनने को मिला था. रैली से ठीक पहले राहुल गांधी के झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान 'रेप इन इंडिया' कहने पर संसद में माफी मंगवाने को लेकर बीजेपी नेताओं ने काफी हंगामा किया था.
हंगामे के अगले ही दिन कांग्रेस की 'भारत बचाओ रैली' में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बब्बर शेर और शेरनियां बताते हुए कहा था कि कांग्रेस कार्यकर्ता किसी से नहीं डरता. ये बात भी राहुल गांधी ने बीजेपी नेताओं को लेकर ही कही थी.
और फिर बोले, मेरा नाम... राहुल सावरकर नहीं, राहुल गांधी है... सच्चाई के लिए कभी माफी नहीं मांगूंगा... मैं मर जाउंगा, लेकिन माफी नहीं मांगूगा...
राहुल गांधी के बयान पर तब भी काफी बवाल मचा था. बीजेपी की कौन कहे, शरद पवार से लेकर उद्धव ठाकरे और संजय राउत तक को बयान देने पड़े थे, क्योंकि महाविकास आघाड़ी में सब साथी बन चुके थे.
संजय राउत का कहना था, वीर सावरकर को लेकर राहुल गांधी ने जो कुछ भी कहा, वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. संजय राउत ने सलाह दी थी कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं को दिल्ली जाकर राहुल गांधी को सावरकर की किताबें गिफ्ट करनी चाहिए, ताकि वो सावरकर को समझ सकें और उनकी गलतफहमी दूर हो सके.
संजय राउत का कहना था, कांग्रेस के कई नेताओं ने आजादी की लड़ाई लड़ी और जेल में रहे... चाहे वो जवाहर लाल नेहरू हों, महात्मा गांधी हों या सरदार पटेल हों या फिर सुभाष चंद्र बोस हों. हम भारत की आजादी में इनके योगदान को स्वीकार करते हैं, और इनका सम्मान करते हैं.
चुनावी राजनीति में ऐसी चीजें चलती रहती हैं, और कई बार तो इतनी घटिया बातें होने लगती हैं कि लगता है मर्यादा की कोई हद ही नहीं रग गई है - लेकिन, सवाल ये भी है कि जब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चर्चित धारदार स्लोगन 'बंटेंगे तो कटेंगे' बीजेपी नेता पंकजा मुंडे और एनसीपी नेता अजित पवार को बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तो क्या राहुल गांधी से सावरकर के बारे में तारीफ के दो शब्द की अपेक्षा की जा सकती है?