कांग्रेस के कई नेता उदयनिधि स्टालिन के बयान का सीधा सीधा सपोर्ट कर रहे हैं, तो कुछ ऐसा भी हैं जो कड़ा विरोध भी जता रहे हैं. अगर देश की राजनीति सनातन धर्म के मुद्दे पर दक्षिण और उत्तर में बंटी है, तो कांग्रेस चार टुकड़ों में नजर आ रही है.
सनातन धर्म को लेकर डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के बयान के बीच कांग्रेस बुरी तरह फंस गयी लगती है. विपक्षी गठबंधन INDIA के कई नेताओं की तरह राहुल गांधी चुप हैं, बीजेपी को चुप्पी पर सवाल उठाने का मौका मिल गया है. और मल्लिकार्जुन खड़गे तो गांधी परिवार की सहमति से ही चलते हैं, लिहाजा वो भी चुप हैं.
इस मुद्दे पर मचे चौतरफा राजनीतिक कोहराम के बीच कांग्रेस की तरफ से आधिकारिक बयान भी आया है, और अलग अलग छोर से क्षेत्रीय नेताओं के बयान भी आ रहे हैं. अगर राहुल गांधी की चुप्पी को भी एक स्टैंड मान लें तो कांग्रेस की तरफ से जो बयान आये हैं वो चार दिशाओं में जाते देखे जा सकते हैं. किसी मुद्दे पर किसी नेता की चुप्पी भी तो एक बयान ही होता है.
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे चुप हैं
विपक्ष को एकजुट करने और INDIA के बैनर तले एक साथ बनाये रखने में दिन रात एक करने वाले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का सनातन धर्म के मुद्दे पर कोई बयान नहीं आया है. वैसे जो कुछ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा है, उसे मल्लिकार्जुन खड़गे का स्टेटमेंट माना जा सकता है.
लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे की ये चुप्पी उनके बेटे प्रियंक खड़गे को नहीं भा रही है. लिहाजा उनके दिल की बात जबान पर आ जाती है, ‘कोई भी धर्म जो समान अधिकार नहीं देता, वो बीमारी के समान ही है.’
देखा जाये तो राहुल गांधी खुद भी तो देश की राजनीति को उत्तर और दक्षिण में बांट कर ही रखते हैं. केरल विधानसभा चुनाव के दौरान तो राहुल गांधी ने यहां तक कह डाला था कि दक्षिण के लोगों की राजनीतिक समझ उत्तर भारतीयों से बेहतर है. अब जबकि राहुल गांधी को ही ये सब पसंद आता है, तो बाकी नेताओं से अलग से अपेक्षा तो कर नहीं सकते.
हिंदी के मुद्दे पर भी ऐसा ही देखा गया है - जिस तरह की बात शशि थरूर हिंदी के मुद्दे पर करते हैं, कार्ती चिदंबरम भी सनातन धर्म के मुद्दे पर वही रवैया अख्तियार किये हुए हैं. और मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियंक खड़गे भी वैसा ही कर रहे हैं.
कांग्रेस को डीएमके की जरूरत ये तो समझ में आता है, डीएमके को कांग्रेस की कोई खास जरूरत नहीं है ये भी समझ में आने लगा है - क्योंकि उदयनिधि का बयान कांग्रेस के लिए ही सबसे ज्यादा सिरदर्द बन रहा है.
प्रियंक खड़गे और कार्ती चिदंबरम का खुला समर्थन है
प्रियंक खड़गे साफ तौर पर कह रहे हैं, 'कोई भी धर्म जो समानता को बढ़ावा नहीं देता है… और ये सुनिश्चित नहीं करता है कि आपको इंसान होने की गरिमा हासिल है, मेरे हिसाब से वो धर्म नहीं है… कोई भी धर्म जो आपके साथ इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करता, वो धर्म नहीं है… ये एक बीमारी जितना ही अच्छा है.’
ये तो साफ है कि प्रियंक खड़गे उदयनिधि स्टालिन के बयान का खुल कर सपोर्ट कर रहे हैं. सनातन धर्म पर छिड़ी नयी बहस में वो अलग छोर पर खड़े हैं, जिससे कांग्रेस दबी जबान दूरी बनाने की कोशिश कर रही है.
प्रियंक से पहले कांग्रेस सांसद कार्ती चिदंबरम भी उदयनिधि स्टालिन को समर्थन जता चुके हैं. कार्ती चिंदंबरम का कहना है, ‘सनातन धर्म जातिगत भेदभाव पर आधारित समाज के लिए एक संहिता के अलावा कुछ और नहीं है.’
Sanathana Dharma is nothing but code for a Caste Hierarchical Society. All those batting for it are hankering for the Good Ole Days! Caste is the Curse of India
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) September 2, 2023
कार्ती चिदंबरम आगे बढ़ कर पूछते भी हैं, ‘ऐसा क्यों है कि हर कोई जो सनातन धर्म के लिए बल्लेबाजी कर रहा है? वो विशेषाधिकार प्राप्त तबके से आता है क्या?’
केसी वेणुगोपाल ने तो जैसे रस्मअदायगी ही की है
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से पूछा जाता है तो लगता है जैसे वो कोई प्रेस नोट पढ़ कर सुना रहे हों, ‘हम सर्वधर्म समभाव में यकीन रखते हैं... कांग्रेस को इसी विचारधारा में विश्वास है,’ और लगे हाथ वो उदयनिधि को भी एक छुपा संदेश भेज देथे हैं, ‘आपको ध्यान रखना होगा कि हर राजनीतिक दल के पास अपने विचार रखने की आज़ादी है… हम सभी की मान्यताओं का सम्मान करते हैं.’
महाराष्ट्र से आने वाले नाना पटोले जैसे नेता भी हैं जो उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी से खुद को अलग कर चुके हैं. ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि कांग्रेस में वो आये तो बीजेपी और संघ की पृष्ठभूमि से ही हैं.
कमलनाथ और टीएस सिंहदेव ने सख्त विरोध जताया है
उदयनिधि स्टालिन के बयान का विरोध तो कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद ने भी किया है, हाल फिलहाल बीजेपी की तरफ उनके झुकाव की चर्चाओं के बीच कोई चाहे तो उनके स्टैंड को खारिज भी कर सकता है, लेकिन मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव की बातें तो हल्के में नहीं ली जा सकतीं.
पहले कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद की राय जान लेते हैं, ‘नेताओं में हिंदुओं को गाली देने की एक होड़ सी मची हुई है... सत्य सनातन धर्म को मिटाने की कोशिश हजारों साल से हो रही है, लेकिन सनातन को लोग मिटा नहीं पाये.’
हो सकता है कमलनाथ को मध्य प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की चिंता हो. उदयनिधि स्टालिन को लेकर कमलनाथ कहते हैं, ये उनके निजी विचार हो सकते हैं, लेकिन मैं स्टालिन से सहमत नहीं हूं.’
थोड़ी पीछे लौट कर देखें तो कांग्रेस के एक और बड़े नेता दिग्विजय सिंह ने भी कुछ ही दिन पहले कहा था, ‘एक कट्टर हिंदू होने के नाते वह सनातन धर्म में विश्वास करते हैं.’ दिग्विजय सिंह का ये बयान बजरंग दल को लेकर था.
कमलनाथ को काफी दिनों से लगातार पूजा पाठ करते देखा जा रहा है. अपने चुनाव क्षेत्र छिंदवाड़ा में वो एक हनुमान मंदिर भी बना चुके हैं - और बीजेपी नेता अमित शाह से गुजरात के बोटाद में हनुमान की मूर्ति तोड़े जाने को लेकर सवाल भी पूछ रहे हैं.
कमलनाथ वाली ही लाइन पर छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव भी चल रहे हैं, ‘सनातन धर्म भारत में सदियों से चला आ रहा है… हजारों साल से जो विचार विद्यमान रह सकता है, वो अत्यधिक गहरा होता है... सनातन धर्म की गहराइयां, वेद पुराणों की परंपरा और उसका ज्ञान अद्वितीय है… दुनिया में वेद के ज्ञान के सार से बड़ा ज्ञान का कोई सोर्स नहीं है.’