कांग्रेस और समाजवादी पार्टी वैसे तो सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत की मेज पर बैठे दिखाई दे रहे हैं. चार राउंड की बातचीत दोनों में हो भी चुकी है, लेकिन सीटों पर सहमति अभी तक नहीं बन पाई है. वजह है दोनों पार्टियों के बीच अंदर खाने सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है.
अंदर खाने चर्चा यह है कि कांग्रेस पार्टी सीटों पर फैसला लेने में देर कर रही है जिसे समाजवादी पार्टी ब्लैकमेलिंग की तरह देख रही है. दरअसल कांग्रेस पार्टी उन सीटों की मांग रही है जो सपा की भी मजबूत सीटों की लिस्ट में हैं और सपा किसी सूरत में उसे कांग्रेस पार्टी को नहीं देना चाहती.
पहले जान लीजिए कांग्रेस पार्टी ने किन-किन सीटों की मांग समाजवादी पार्टी से की है. वैसे तो कुल 28 सीटों की लिस्ट कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को सौंपी है, लेकिन 28 में 10 ऐसी सीटें हैं जो मुस्लिम बहुल भी हैं और समाजवादी पार्टी इन्हें अपनी सीट मानती है.
कांग्रेस पार्टी की नजर उन सीटों पर है जो 2009 में पार्टी ने जीती थीं. पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक और तराई से लेकर बुंदेलखंड तक कांग्रेस पार्टी ने 28 सीटों की जो लिस्ट दी है, उसमें वह 20 सीटों पर कम से कम लड़ना चाहती है और सबसे अहम मुद्दा जो दोनों पार्टियों की बातचीत में निकाल कर सामने आया है वह बड़े चेहरों के लिए ऐसी सीटें तलाशना है, ताकि उनकी जीत से कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में अपने पांव जमा सके.
पूर्वांचल में कांग्रेस पार्टी की नजर बलिया और भदोही सीट पर है, जहां से वह अपने दो बड़े चेहरों, बलिया से प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और भदोही से राजेश मिश्रा को लड़ाना चाहती है. महाराजगंज से सुप्रिया श्रीनेत के लिए सीट चाहती है तो डुमरियागंज, बहराइच और बाराबंकी भी कांग्रेस पार्टी अपने खाते में चाहती है ताकि बाराबंकी से पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को वह चुनाव लड़ा सके.
सपा से कौन-सी सीटें चाहती है कांग्रेस?
कांग्रेस की लिस्ट में उन्नाव कानपुर के साथ-साथ बहराइच, खीरी, रामपुर और मुरादाबाद भी है. प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले पुराना कांग्रेसी परिवार रवि वर्मा और पूर्वी वर्मा (हाल ही में सपा से कांग्रेस में लौटे) के लिए कांग्रेस पार्टी खीरी की सीट चाहती है. बेगम नूर बानो के लिए रामपुर की सीट और बसपा से कांग्रेस में आए दानिश अली मुरादाबाद की सीट लड़ना चाहते हैं. इसलिए कांग्रेस पार्टी दानिश अली के लिए मुरादाबाद की सीट मांग रही है.
हालांकि समाजवादी पार्टी ने साफ कर दिया है कि भले ही आजम खान और उनके परिवार चुनाव के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया हो लेकिन रामपुर और मुरादाबाद दोनों आजम खान के कोटे की सीटें हैं. इसलिए बगैर आजम खान की सहमति के इन सीटों पर कोई चर्चा नहीं की जा सकती.
किन नेताओं के लिए कौन-सी सीटें मांग रही कांग्रेस?
कांग्रेस पार्टी इस बार इमरान मसूद के लिए सहारनपुर की बजाय बिजनौर की सीट मांग रही है क्योंकि इमरान मसूद इस बार सहारनपुर लड़ना नहीं चाहते. सपा कांग्रेस को सहारनपुर देने को तैयार है, लेकिन बिजनौर छोड़ने को तैयार नहीं. बड़े नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुइस खुर्शीद लगातार फर्रुखाबाद में लोगों के बीच घूम रही है और पार्टी हर हाल में फर्रुखाबाद सीट सलमान खुर्शीद के लिए लेना चाहती है, जबकि समाजवादी पार्टी का कहना है कि सिर्फ मुस्लिम और यादव के भरोसे फर्रुखाबाद की सीट नहीं जीती जा सकती. इसलिए उसने नवल किशोर शाक्य का नाम ऐलान कर दिया है बावजूद इसके कांग्रेस पार्टी फर्रुखाबाद सीट पर अड़ी है.
बड़े नेताओं में कांग्रेस पार्टी राज बब्बर को फतेहपुर सीकरी से लड़ाना चाहती है और यह सीट कांग्रेस मांग रही है जिसे देने में सपा को कोई परहेज नहीं है. वहीं अमेठी और रायबरेली तो कांग्रेस के कोटे में पहले से ही है.
कांग्रेस को कौन-सी सीटें देना चाहती है सपा?
समाजवादी पार्टी जो सीटें कांग्रेस को देना चाहती है, उसमें जालौन और झांसी की सीट है. आगरा, फतेहपुर सीकरी, गाजियाबाद, बुलंदशहर, सहारनपुर, गौतम बुद्ध नगर और वाराणसी है. समाजवादी पार्टी जो सीट छोड़ सकती है उसमें महाराजगंज सुप्रिया श्रीनेत के लिए, बाराबंकी पुनिया परिवार के लिए, कानपुर और फतेहपुर सीकरी कांग्रेस के बड़े चेहरों के लिए, बाकी ज्यादा सीटों पर समाजवादी पार्टी किसी समझौते के मूड में नहीं है.
कैसे होगा दोनों दलों में सीटों का बंटवारा?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा का जो रूट तय किया गया है दरअसल यह वह रूट है जो कांग्रेस पार्टी 2024 की चुनाव में लड़ना चाहती है. ऐसे में तमाम नजरें इस ओर टिकी हैं कि क्या दोनों पार्टियों में सीट बंटवारे पर समझौता आसानी से हो जाएगा या फिर अखिलेश यादव बंगाल की तर्ज पर अलग लाइन लेंगे.