दिल्ली से लेकर पटना तक की राजनीति में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हलचल मचा रखी है.दिल्ली में शुक्रवार (29 दिसंबर) को जेडीयू की बैठक होने वाली है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बैठक को भले सामान्य बता रहे हैं लेकिन कुछ बड़ा हो सकता है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. राजनीतिक विश्लेषक नीतीश कुमार से संबंधित बीजेपी, आरजेडी और जेडीयू के हर कदम को डिकोड कर रहे हैं. पर नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. अंतिम मौके तक उन्हें समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है. आरजेडी का साथ छोड़कर जब वो एनडीए में आए थे या एनडीए का साथ छोड़कर जब फिर से आरजेडी के साथ हुए तब भी उन्होंने इसी तरह भ्रम बनाए रखा. आइये देखते हैं कि पिछले 24 घंटे के राजनीतिक घटनाक्रम नीतीश कुमार के अगले कदम के बारे में क्या कहते हैं.
1- दिल्ली में लगे नीतीश के पोस्टर क्या दे रहे हैं संदेश
दिल्ली स्थिति जेडीयू कार्यालय के बाहर नीतीश कुमार को लेकर नए पोस्टर लगे हैं. ये पोस्टर नीतीश कुमार के अगले कदम की कहानी बयां कर रहे हैं. पोस्टरों पर लिखा गया है, 'प्रदेश ने पहचाना, अब देश भी पहचानेगा'. सबसे बड़ी बात है कि पोस्टर में कहीं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की तस्वीर नहीं है.मतलब साफ है कि ललन सिंह का पत्ता कटना तय है. इसके साथ ही नीतीश कुमार केंद्र की राजनीति करने की अपनी छटपटाहट भी छुपा नहीं पा रहे हैं. यह भी है कि उनके साथ अब बिहार की राजनीति से निकलने की मजबूरी भी है. इसके पहले भी जेडीयू पार्टी के कई नेता लगातार पोस्ट और पोस्टर के जरिए यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके मुख्यमंत्री पीएम मैटेरियल हैं. जेडीयू की ओर से पटना में इस तरह का पोस्टर पहले लग चुका है. अभी 19 दिसंबर को दिल्ली में इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक के दौरान भी इस तरह का एक पोस्टर लगाया गया था जिस पर लिखा गया था,'अगर सच में जीत चाहिए तो फिर, एक निश्चय एक नीतीश चाहिए'.
2-अरुण जेटली की जयंती पर नीतीश ने किया प्रतिमा पर माल्यार्पण और याद दिलाया बीजेपी के साथ बीते दिन
नीतीश कुमार ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की जयंती पर उन्हें याद करते हुए उनको नमन किया और उनसे अपने व्यक्तिगत संबंध होने की बात बताई. कंकड़बाग स्थित पार्क में उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण कर सीएम नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ अपने पुराने दिनों को याद किया. और बताया कि किस तरह अरुण जेटली उनके लिए खास थे.नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने देश के लिए बहुत काम किया , बहुत कम उम्र में वो चले गए.2005 और 2010 में एनडीए सरकार को लेकर उनकी भूमिका काफी सराहनीय रही.हम अलग हो गए उसके बाद भी हमारा संपर्क बना रहा.जब पत्रकारों ने उनसे आज की बीजेपी के लिए सवाल पूछे तो उन्होंने कहा अब छोड़िए इ सब. मतलब जहां मौकै मिलते ही बीजेपी पर बिलो द बेल्ट हमला करते थे अब वही नीतीश कुमार बचते नजर आ रहे हैं.हालांकि वे जेटली की जयंती पर प्रतिमा के माल्यार्पण करने इसके पहले भी जाते रहे हैं. पर अभी अगस्त महीने में उनकी पूण्यतिथि पर वे नहीं पहुंचे थे जबकि वे पटना में ही थे. उनके न आने पर रविशंकर प्रसाद आदि ने नीतीश कुमार पर तंज भी कसा था.तो क्या जेटली की मूर्ति पर माल्यार्पण करने पहुंचे नीतीश को एनडीए के लिए ग्रीन सिग्नल समझा जाए.
3-गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे के बचैनी भरे बयान
नीतीश कुमार के एनडीए में जाने के अटकलों पर बिहार के 2 बीजेपी नेताओं ने करारा तंज कसा है. बेगुसराय में पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए गांव के कार्यकर्ता से लेकर दिल्ली ऑफिस तक के सभी दरवाजे खिड़की बंद हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार इस तरह का माहौल लालू यादव को डराने के लिए बनाते रहते हैं कि 'मैं मयके चली जाउंगी तुम देखते रहियो'. एक और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने तो नीतीश कुमार को इलाज तक कराने की सलाह दे डाली है. अगर इन नेताओं के बयानों को आधार बनाएं तो मतलब यह निकलता है कि नीतीश कुमार के दरवाजे एनडीए के लिए बंद है.पर राजनीति में जो दिखता है वह होता नहीं है.
4-ललन के भविष्य पर नहीं दिया कोई जवाब
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंच रहे हैं. दिल्ली रवाना होने से पहले पटना में जब नीतीश कुमार से मीडिया ने सवाल पूछे तो वह जवाब देने से बचते हुए नजर आए. उन्होंने पार्टी अध्यक्ष बनने से इनकार किया और कहा की दिल्ली यात्रा नियमित है. पार्टी बैठक को लेकर उन्होंने कहा ये NORMAL बैठक है जो हर साल होती है. मीटिंग की परंपरा है. कुछ खास नहीं है.
29 दिसंबर को जेडीयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है. इस बैठक में नीतीश अध्यक्ष पद को लेकर बड़ा फैसला ले सकते हैं. जेडीयू के अध्यक्ष ललन सिंह भी दिल्ली में हैं, जिनके इस्तीफे को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. दिल्ली रवानगी से पहले पटना में नीतीश कुमार ने ललन सिंह के इस्तीफे के सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया. इसका सीधा मतलब यही निकल रहा है कि ललन सिंह को बाहर का दरवाजा दिखाने की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है जिस पर कार्यकारिणी की बैठक के दौरान मुहर लगाया जाना बाकी है.
5- 11 विधायकों के सीक्रेट मीटिंग की खबरें
दिल्ली से बिहार तक के सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार की सारी एक्सरसाइज पार्टी बचाने के लिए ही है. नीतीश कुमार जानते हैं कि खतरा बीजेपी और आरजेडी दोनों ही ओर से है. सूत्रों की मानें तो पटना में JDU के 11 विधायकों की सीक्रेट मीटिंग हुई, जिसकी जानकारी नीतीश कुमार को भी हो गई. कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में पार्टी के एक सीनियर मंत्री भी शामिल हुए. यही कारण है कि गुरुवार 28 दिसंबर को ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली पहुंच रहे हैं. यहां वह पार्टी के बड़े नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. सवाल यह है कि नीतीश कुमार पार्टी को बचाने के लिए क्या ऐलान करने वाले हैं. तय है कि इससे विपक्षी गठबंधन में बड़ी दरार पड़ेगी या फिर बिहार के सियासी समीकरण बदल जाएंगे.
नीतीश कुमार ने इसके पहले आरसीपी सिंह की बीजेपी के साथ साठगांठ के चलते पर कतरे थे. अब पार्टी के अंदर और बाहर ललन सिंह पर आरजेडी के साथ ज्यादा हमदर्दी रखने की चर्चाएं हैं. पार्टी बचाने के लिए कुछ भी करेंगे नीतीश कुमार.