दिल्ली में बीजेपी जीत रही तो सवाल उठना लाजमी है कि BJP सीएम बनाएगी? आज तक न्यूज चैनल के इस सवाल के जवाब में भोजपुरी फिल्म ऐक्टर और सांसद रविकिशन कहते हैं कि 'न नायब सैनी को पता था, न खट्टर साहब को पता था, न भजनलाल जानते थे और योगी बाबा को भी नहीं पता था कि वे सीएम बनेंगे. यही तो इस भाजपा संगठन की खूबसूरती है. देखियेगा कि दिल्ली में भी कोई अद्भुत व्यक्तित्व आ जाएगा, और सब मुंह खोलकर देखते रह जाएंगे.' भारतीय जनता पार्टी में सीएम का पद किसे मिलने वाला है इस पर केवल अटकलें ही लगाईं जा सकती हैं. लेकिन रविकिशन के इस बात में दम है कि दिल्ली में कोई 'अद्भुत व्यक्ति' ही सीएम बनेगा. जिस तरह की परिस्थितियां दिल्ली में बन रही हैं, उसके चलते बीजेपी को बहुत सोच समझकर फैसला करना है. आइये देखते हैं कि बीजेपी इन परिस्थितियों में किस पर भरोसा करने वाली है.
1-जाट-गुर्जर-पंजाबी या पूर्वांचली , किस समुदाय से बन सकता है सीएम?
दिल्ली में सीएम बनने वाले चेहरों में जो नाम सबसे आगे चल रहे हैं उनमें प्रवेश वर्मा, रमेश बिधूड़ी और मनोज तिवारी और वीरेंद्र सचदेव का नाम है.
प्रवेश वर्मा नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़े हैं. अभी तक यहां पर कांटे की टक्कर चल रही है. कुछ कहा नहीं जा सकता कि दोनों में से कौन चुनाव जीतेगा. अगर प्रवेश वर्मा चुनाव जीतते हैं तो यह उनके लिए बड़ी उपलब्धि होगी. दूसरी बात कि वो जाट कम्युनिटी से आते हैं. अगर बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बनाती है तो दिल्ली ही नहीं यूपी-हरियाणा और राजस्थान तीनों में ही बीजेपी की लोकप्रियता में बढ़ोतरी हो सकती है.
वीरेंद्र सचदेवा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष हैं और पार्टी की पंजाबी लॉबी को भी रिप्रजेंट करते हैं. दिल्ली में मूल रूप से पंजाबी वोटर्स की बहुतायत रही है. पंजाबियों को साधे बिना दिल्ली पर कभी राज नहीं किया जा सकता. दिल्ली में अगर बीजेपी जीतती है तो यही कहा जाएगा कि उनके नेतृत्व में बीजेपी ने यह कमाल दिखाया है. नैतिक रूप से उनका भी अधिकार बनता है कि दिल्ली का सीएम उन्हें बनाया जाए.
मनोज तिवारी दिल्ली बीजेपी में सबसे चर्चित चेहरे है. उनका भोजपुरी फिल्मों का हीरो होना प्लस पॉइंट है. दिल्ली के पूर्वांचली समाज के वे बीजेपी में सबसे बड़े नेता बनकर उभरें हैं.मनोज तिवारी की बॉडी लैंगवेज विभिन्न मौकों पर खुद को दिल्ली का सबसे बड़ा नेता के रूप में दिखाती रही है. टीवी पर उनके विजुअल्स को देखकर लगता है कि उनके मन में भी दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने को लेकर उत्साह मचल रहा है.
पर दिल्ली में बीजेपी शायद ही इन तीन नामों को सीएम पद के लिए आगे बढ़ाए . क्योंकि पार्टी किसी भी सूरत में किसी भी समुदाय को नाराज नहीं करना चाहेगी. अगर कोई पूर्वाचली सीएम बनता है तो जाहिर है कि पंजाबी समुदाय में एक संदेश जाएगा कि दिल्ली में उनका महत्व कम हो गया है. यही हाल किसी जाट या गुर्जर को मुख्यमंत्री बनाने में भी होगा. इसलिए ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए कि इन समुदायों से डिप्टी सीएम जरूर बनाए जाएंगे.
2- क्या कोई महिला बन सकती है सीएम?
ऐसे कठिन परिस्थितियों में भारतीय जनता पार्टी के पास एक ट्रंप कार्ड है, जिसका इस्तेमाल करके वो एक तीर से दो शिकार कर सकती है. किसी महिला को सीएम बनाकर बीजेपी यह दिखा सकती है कि उसे इस समुदाय की चिंता है.लोगों को किसी महिला सीएम के मिलने से आप की सीएम आतिशी और दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित का अहसास होगा.
दूसरी बात यह भी होगी कि एक महिला के सीएम बनने से दूसरे समुदायों का जो कंपटीशन है वह भी कम हो जाएगा. पंजाबी बनाम पूर्वांचली या जाट बनाम गुर्जर की बात भी खत्म हो जाएगी.
तीसरी बात यह भी है कि बीजेपी के पास महिला सीएम बनाने के लिए कई तेजतर्रार योग्य कैंडिडेट मौजूद हैं. जो भविष्य में बीजेपी के लिए असेट बन सकती हैं. इसमें बांसुरी स्वराज, मीनाक्षी लेखी और स्मृति ईरानी का नाम लिया जा रहा है. ये तीनों ही महिलाएं काम करने वाली, योग्य और जनता के बीच लोकप्रिय हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इनके टक्कर के पुरुष कैंडिडेट फिलहाल बीजेपी में नजर नहीं आ रहे हैं.चौथी बात दिल्ली में महिलाएं आम आदमी पार्टी की बहुत बड़ी सपोर्टर रही हैं उसका काट भी महिला सीएम के जरिए संभव हो सकेगा.
3- क्यों विजेंद्र गुप्ता हैं सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदार
दिल्ली बीजेपी में विजेंद्र गुप्ता वो शख्सियत हैं कि जो घनी काली तूफान वाली रात में भी बीजेपी का दिया जलाए रखने का काम किया है.2015 में जब दिल्ली विधानसभा में केवल 3 विधायक थे तो उनमें से एक विजेंद्र गुप्ता थे. इसके बाद 2020 के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने अपनी सीट बचाए रखी. विधानसभा में बहुत कम संख्या में होने के बावजूद भी आम आदमी पार्टी के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे. कायदे से देखा जाए तो मुख्यमंत्री पद के लिए उनका नाम सबसे आगे होना चाहिए. दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाते हुए दिल्ली की समस्याओं का जितना ज्ञान उन्हें है उतना किसी के पास नहीं है. बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री बनाती है तो किसी अन्य समुदाय को प्रॉब्लम भी नहीं होने वाला है. वो बनिया समुदाय से आते हैं और अरविंद केजरीवाल भी इसी समुदाय से आते हैं. इस तरह दिल्ली के लिए विजेंद्र गुप्ता सबसे बेहतर विकल्प हो सकते हैं.
4. यदि संदेश ही देना हो तो दुष्यंत गौतम की भी लॉटरी लग सकती है
दिल्ली में सीएम पद के लिए दुष्यंत कुमार गौतम का नाम भी पिछले दिनों बहुत तेजी से उभरा है. बीजेपी उन्हें भी मुख्यमंत्री बना कर खेल कर सकती है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वह दलित समाज से आते हैं और पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं. कांग्रेस ने जिस तरह बीजेपी के खिलाफ दलित विरोधी अभियान चला रखा है उसकी काट के रूप में भी दुष्यंत गौतम सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है. बीजेपी आलाकमान भी उन पर भरोसा करता है और वे बीजेपी के नेशनल जरनल सेक्रेटरी भी हैं. हालांकि खबर लिखे जाने तक वो साढ़े आठ हजार वोट से पीछे चल रहे थे.