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BJP के लिए रमेश बिधूड़ी सही हैं तो नूपुर शर्मा गलत कैसे हो गयीं?

नूपुर शर्मा को लेकर एक बार अजय मिश्रा टेनी ने कहा था, बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को यूं ही नहीं छोड़ देती. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा की ये बात खुद उनके मामले में और बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी केस में भी सही लगती है, लेकिन प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा के मामले में तो भेदभाव साफ साफ दिखाई पड़ता है.

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अजय मिश्रा टेनी बने रहे, रमेश बिधूड़ी को नयी जिम्मेदारी मिल गयी, लेकिन नूपुर शर्मा को घर बिठा दिया है
अजय मिश्रा टेनी बने रहे, रमेश बिधूड़ी को नयी जिम्मेदारी मिल गयी, लेकिन नूपुर शर्मा को घर बिठा दिया है

भरी संसद में बीएसपी सांसद कुंवर दानिश अली को बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने जो कुछ भी कहा, हर कोई सुन चुका है. और एक टीवी बहस में बीजेपी की प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा के बयान से भी हर कोई वाकिफ होगा ही. ठीक वैसे ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के वे दावे भी लोगों को पता ही होंगे जो अपने बेटे की गिरफ्तारी से पहले वो कह रहे थे. 

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तीनों ही नेता अलग अलग मौकों पर अपने बयान और हरकत की वजह से विवादों में आये थे, लेकिन बीजेपी नेतृत्व ने तीनों के साथ अलग अलग तरह के व्यवहार किये - और सबसे ज्यादा नाइंसाफी किसी के साथ हुई तो वो हैं नूपुर शर्मा. 

नूपुर शर्मा को करीब सवा साल बाद सार्वजनिक तौर पर देखा गया है. नूपुर शर्मा फिल्म 'द वैक्सीन वॉर' के एक प्रमोशन इवेंट में स्टारकास्ट के साथ देखी गयीं. कश्मीर फाइल्स वाले विवेक अग्निहोत्री के आमंत्रण पर तालियों की गड़गड़ाहट और जय श्रीराम के नारे के बीच वो मंच पर पहुंची थीं. 

एक टीवी डिबेट में पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के बाद से वो गुमनामी की जिंदगी जी रही हैं. जून, 2022 के बाद से सोशल मीडिया सफाई देने के अलावा कुछ भी नहीं शेयर किया है. 

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बिधूड़ी को नयी जिम्मेदारी, मंत्री बने रहे टेनी

दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी के खिलाफ जांच कमेटी भी बनायी गयी है, और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने नोटिस देकर जवाब भी मांगा था. जांच भी हो ही जाएगी, और नोटिस का जवाब भी वो दे ही देंगे - लेकिन छोटा सा ही सही पार्टी की तरफ से पारितोषिक मिल जाने के बाद वो बाइज्जत बरी कर दिये गये तो लगते ही हैं. 

रमेश बिधूड़ी को बीजेपी ने राजस्थान में अभी तो टोंक जिले का प्रभारी बनाया है. क्या मालूम आगे कौन कौन जिम्मेदारी सौंप दी जाये. वैसे भी दिल्ली से सांसदों को बीजेपी विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में भेज ही रही है. विधानसभा का चुनाव भी लड़ा रही है. 

बिधूड़ी को टोंक भेजे जाने के पीछे दो कारण लगते हैं. एक तो ऐसा करने से वो कुछ दिन के लिए दिल्ली से दूर हो जाएंगे. फिर धीरे धीरे लोग भूल भी जाएंगे. बेचारे दानिश अली कर भी क्या लेंगे, मन मसोस कर बैठ जाने के अलावा. जब मायावती को इस वाकये से कोई खास फर्क नहीं पड़ता तो अकेले दानिश अली कहां तक लड़ पाएंगे. एक कारण ये भी है कि रमेश बिधूड़ी भी बीजेपी का गुर्जर चेहरा हैं, और टोंग में अच्छे खासे गुर्जर वोटर हैं.

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मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी अपनों से भी जूझ रही है. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे बीजेपी नेतृत्व के आंख की किरकिरी बनी हुई हैं. लगे हाथ कांग्रेस नेताओं की भी बाड़बंदी तो करनी ही थी, सबसे पहले निशाने पर सचिन पायलट आये हैं. टोंक को सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है, और वो उसी इलाके से चुनाव भी लड़ते हैं. 

अब तो रमेश बिधूड़ी के मन में अपराध भाव भी नहीं बचा होगा. जाहिर है, मन से भी माफ कर ही दिया गया होगा. बिधूड़ी के कोपभाजन के शिकार हुए बीएसपी सांसद दानिश अली ने कहा है - बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा यही है.

कैसे नहीं कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव होता

नूपुर शर्मा को लेकर एक बार मीडिया के पूछने पर अजय मिश्रा टेनी ने कहा था, बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को यूं ही नहीं छोड़ देती. अजय मिश्रा टेनी की ये बात खुद उनके मामले में और रमेश बिधूड़ी केस में भी सही लगती है, लेकिन नूपुर शर्मा के मामले में तो भेदभाव साफ साफ दिखाई पड़ता है. 

लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर निशाने पर आने के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको कैबिनेट में बनाये रखा. अजय मिश्रा टेनी के बॉस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तो लोगों की नजरें बचा कर उनको यूपी के चुनाव कार्यक्रमों में भी साथ ले गये. ये बात अलग है कि एक बार उनकी तस्वीर मीडिया में आ जाने के बाद फ्रंट से हटा लिया गया था. लेकिन सरकारी बैठकों में या दफ्तर आना जाना तो उनका कभी भी बंद नहीं हुआ. 

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दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी रमेश बिधूड़ी, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के कंधे से कंधा मिला कर चल रहे थे. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कठघरे में खड़ा करने के लिए आतंकवादियों से रिश्ता साबित करने की होड़ मची रही. बड़े बोले नेताओं में साक्षी महाराज और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से लेकर गिरिराज सिंह तक गदर मचाने के मामले में होड़ मची रही है, लेकिन सबके सब अपनी जगह बने हुए हैं. 

सवाल ये है कि आखिर नूपुर शर्मा ने कौन सा गुनाह किया है? टीवी डिबेट में संघ और बीजेपी की पार्टी लाइन पर ही तो बहस की थी? क्या बीजेपी धर्म और राजनीति में फर्क करने लगी है? जो नेता राजनीतिक बयान देगा, बीजेपी के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ अनाप शनाप बोलेगा उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. हो सकता है, इनाम भी मिल जाये. रमेश बिधूड़ी को जो मिला है, वो बहुत बड़ा तो नहीं है, लेकिन जिन हालात में मिला है कम भी नहीं कहेंगे.

अगर रमेश बिधूड़ी इनाम के हकदार हैं तो नूपुर शर्मा सजा के लायक कैसे हो गयीं? नूपुर शर्मा ये तो पूछ ही सकती हैं. है कि नहीं?
 

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