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दिल्‍ली सीएम की शपथ से पहले एलजी ने क्‍यों पेश कर दिया यमुना सफाई का प्लान?

यमुना की सफाई को लेकर दिल्‍ली के एलजी वीके सक्‍सेना ने न सिर्फ तीन साल के एक्‍शन प्‍लान का एलान किया है, बल्कि पानी साफ करने वाली कई मशीनें यमुना में उतार दी हैं. ये ऐसा काम है, जिसकी शुरुआत का क्रेडिट जल्‍द ही शपथ लेने वाली भाजपा की सरकार लेना चाहती है. लेकिन, इससे पहले की डबल इंजन दिल्‍ली की पटरी पर उतरते, एलजी अपने डिब्‍बे लेकर चल पड़े हैं. चलिये, जो भी है, यमुना साफ हो जाए. बस.

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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और यमुना को साफ करने पहुंची बड़ी मशीनें.
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और यमुना को साफ करने पहुंची बड़ी मशीनें.

दिल्ली में यमुना नदी की सफाई एक बार फिर शुरू हो गई है. दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय ने बताया कि यमुना की सफाई को लेकर एक चार स्तरीय रणनीति तैयार की गई है, जिसके तहत न सिर्फ नदी के पानी को स्वच्छ किया जाएगा बल्कि आसपास के गंदे नालों और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर भी नजर रखा जाएगा. फिलहाल यमुना नदी को साफ करने के लिए बड़ी बड़ी मशीनें पानी में उतर गईं हैं. पर सवाल उठने लगा है कि उपराज्यपाल को इतनी जल्दी क्या थी? जब दिल्ली की नई सरकार बनने ही वाली है तो उसका इंतजार क्यों नहीं किया गया?

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दरअसल यमुना का दुर्भाग्य ही है कि जब भी यहां सफाई शुरू होती है तो प्रक्रियागत दोष का सवाल उठने लगता है. यमुना की सफाई से ज्यादा चिंता दिल्ली के तथाकथित बुद्धिजीवियों को इस पर रहती है कि यमुना की सफाई के लिए सही प्रक्रिया अपनाई गई है या नहीं ? यह जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है कि दिल्ली की सफाई 2023 में एनजीटी के ऑर्डर पर शुरू हुई थी. पर आम आदमी पार्टी ने प्रक्रियागत दोष के चलते सुप्रीम में अर्जी डालकर एनजीटी के आदेश पर बनी कमेटी को ही भंग करवा दिया और यमुना की सफाई रोक दी गई थी. अब एक बार फिर एलजी ने सफाई काम शुरू करवाया है. जाहिर है कि सवाल उठने शुरू हो गए. बस दुआ करिए कि यमुना की सफाई को फिर किसी की नजर न लगे. 

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तीन साल की चार स्‍तरीय रणनीति का एलान

एलजी कार्यालय का कहना है कि तीन साल में यमुना को साफ करने का प्लान है. इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड (DJB), सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग (I&FC), नगर निगम (MCD), पर्यावरण विभाग, लोक निर्माण विभाग (PWD) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) सहित कई एजेंसियों को काम करने का निर्देश दिया गया है. इनकी निगरानी साप्ताहिक आधार पर होगी. यमुना की सफाई के लिए 4 रणनीति बनाई गई है.

पहली रणनीति में, यमुना नदी से कचरा, मलबा और गाद हटाई जाएगी. साथ ही, नजफगढ़ ड्रेन, सप्लीमेंटरी ड्रेन और अन्य प्रमुख नालों की सफाई का काम भी शुरू किया गया है.

दूसरी रणनीति में नजफगढ़ नाला, सप्लीमेंट्री नाला और अन्य सभी प्रमुख नालों की सफाई का काम भी शुरू हो जाएगा.

तीसरी रणनीति में मौजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की क्षमता और उत्पादन पर रोजाना निगरानी रखी जाएगी.

चौथी रणनीति के अंतर्गत नई एसटीपी और डीएसटीपी के निर्माण के लिए एक समयबद्ध योजना तैयार की गई है, ताकि लगभग 400 एमजीडी गंदे पानी की वास्तविक कमी को पूरा किया जा सके.

आखिर इतनी जल्‍दी में क्‍यों हैं एलजी?

अब सवाल यह उठता है कि उपराज्यपाल वीके सक्सेना को यमुना की सफाई की इतनी जल्दी क्यों है? एलजी के इस कार्य को पॉजिटिव तरीके से लेना चाहिए. दरअसल यमुना सफाई को लेकर एलजी पहले से ही सक्रिय रहे हैं. 2023 में एनजीटी के आदेश पर यमुना की सफाई के लिए 5 सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी . एनजीटी ने एलजी के इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया था. यमुना की सफाई के लिए तब भी बड़ी बड़ी मशीनें में पानी में उतर गईं थीं. नवंबर 2023  में छठ पूजा के अवसर पर खुद एलजी ने ट्वीट किया था कि जब यमुना की हालात सुधरने लगी थी, तब दिल्ली सरकार ने कुचक्रपूर्वक सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश में संशोधन करवाया... उपराज्यपाल ने लिखा कि जब NGT के निर्देशों के तहत सफाई कार्य शुरू हुआ और बाढ़ के मैदानों की सफाई, सीवेज ट्रीटमेंट में सुधार, नए एसटीपी के लिए भूमि तथा जल गुणवत्ता में हल्के सुधार जैसे बदलाव दिखने लगे, तभी सरकार ने जटिल तरीके से माननीय सुप्रीम कोर्ट से NGT के आदेश में संशोधन करवा लिया.

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जुलाई में, सुप्रीम कोर्ट ने NGT के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें उपराज्यपाल को यमुना की सफाई के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति का प्रमुख नियुक्त किया गया था. जाहिर है कि कहीं न कहीं उपराज्यपाल को उस समय यमुना की सफाई का काम रोकने का टीस तो होगा ही. क्योंकि सफाई का काम उनके नेतृत्व में शुरू हुआ था. पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि, चूंकि जनता से चुनी हुई सरकार के रहते एलजी को क्यों सफाई कमेटी का हेड बनाया गया है. जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश को रोक दिया. जाहिर है कि दिल्ली के एलजी उस समय शुरू किए गए अपने काम को हर हाल में अपने कार्यकाल में पूरा करना चाहते होंगे.

यमुना में सफाई के लिए मशीनें भेजीं, ये तो पहले भी हो सकता था?

दूसरा सवाल यह उठाया जा रहा है कि यमुना में जिस तरह सफाई के लिए मशीनें अब भेजी गईं हैं, क्या एलजी इसे पहले नहीं भेज सकते थे? पर एलजी पर आरोप लगाने से पहले दिल्ली की राजनीति को समझना होगा. 2023 में एनजीटी के आदेश पर हो रही सफाई को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करके रोक दिया. इसका कारण केवल यही था यमुना की सफाई का श्रेय एलजी को न मिल जाए. आप सरकार चाहती थी कि यमुना की सफाई का श्रेय उसे मिले .  AAP सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से निर्देश देने की मांग की कि NGT का आदेश असंवैधानिक है और जुलाई 2018 तथा 11 मई को आए संविधान पीठ के दो लगातार फैसलों का उल्लंघन करता है. AAP सरकार ने कहा कि 9 जनवरी 2023 का NGT आदेश निर्वाचित सरकार को दरकिनार कर देता है और एक “गैर-निर्वाचित व्यक्ति को नियुक्त करता है, जिसे अपने दम पर कोई अधिकार प्राप्त नहीं है, सिवाय इसके कि वह निर्वाचित दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह पर कार्य करे.

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एलजी ने कहा कि जो वादा किया था, वो पूरा किया, तो क्‍या एलजी ने कोई चुनावी वादा किया था?

रविवार से राजधानी दिल्ली में यमुना नदी की सफाई के लिए ट्रैश स्कीमर, वीड हार्वेस्टर और ड्रेज यूटिलिटी क्राफ्ट जैसी आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल शुरू हो गया है. दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने शनिवार को मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण) से मुलाकात की और उन्हें तुरंत काम शुरू करने को कहा है. कहा जा रहा है कि एलजी को यह कहने की क्या जरूरत थी जो वादा किया था वो पूरा किया गया. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान यमुना नदी की सफाई का वादा किया था. बीजेपी की जीत के बाद सरकार गठन से पहले अगर इस पर काम शुरू हो चुका है तो इस पर सवाल उठाना गैरवाजिब ही कहा जाएगा. पहले तो यह समझ लेना चाहिए कि एलजी केंद्र सरकार का ही प्रतिनिधि होता है. अगर पीएम कोई सार्वजनिक हित का वादा आम लोगों से करते हैं, और एलजी उस संबंध में कोई कदम उठाते हैं तो उसका विरोध नहीं होना चाहिए. दूसरी बात केंद्र सरकार कानून बनाकर दिल्ली की चुनी हुई सरकार पर एलजी को एज दे चुकी है. बीजेपी की सरकार बनने पर भी एलजी का पावर ही दिल्ली में सर्वोपरि होगा. इसलिए अगर एलजी किसी शुभ कार्य को इनिशिएट करते हैं तो उसका विरोध करना न कानून सम्मत और न ही व्यवहारिक है. 

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