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शिंदे को तोड़ने के बावजूद NDA के लिए महाराष्ट्र में हो रही मुश्किल, क्यों चौंका रहे सर्वे के नतीजे?

सी वोटर के मूड ऑफ द नेशन सर्वे के नतीजों ने सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के लोगों को चौंकाया है. अगर आज चुनाव हुए तो महा विकास आघाडी यानी कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) को 34 सीटें मिल सकती हैं, इससे महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मच गई है. सर्वे के नतीजे महाराष्ट्र के लोगों को चौंका रहे हैं. आइए समझते हैं इसका गणित...

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साहिल जोशी
साहिल जोशी

Aajtak सी वोटर के मूड ऑफ द नेशन सर्वे के नतीजे बाकी देश में ज्यादा चौंकानेवाले ना लग रहे हों, लेकिन महाराष्ट्र में इन नतीजों ने सबको चौंका दिया है. एक तरफ देश में मोदी मैजिक बरकरार दिख रहा है, तो वहीं जनवरी 2023 में लोकसभा चुनाव होते हैं तो महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी यानी कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) को 34 सीटें देकर इस सर्वे ने सबको चकित कर दिया है. उद्धव ठाकरे की नाक के नीचे से 40 विधायक और 13 सांसद लेकर एकनाथ शिंदे फरार हुए और बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली, लेकिन फिर भी उसका असर ना के बराबर दिख रहा है. लेकिन इस सब के बावजूद बीजेपी शिंदे गुट 20 सीटें तक नहीं जीत पाएगा. इसपर सिर्फ उन्हें ही नहीं, लेकिन विपक्ष कांग्रेस, एनसीपी के कई नेताओं को भी विश्वास नहीं हो पा रहा है. आखिर क्या है इसका गणित...

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दरअसल जब से मोदी नाम पर बीजेपी चुनाव में जीत हासिल कर रही है तब से महाराष्ट्र के चुनाव के नतीजे और हर पार्टी को मिलने वाले वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो कई चीजें साफ हो जाती हैं. 2014 में बीजेपी और शिवसेना ने 23 और 18 सीटें जीत कर 27.6 % और 20.3 % वोट हासिल किये थे. जबकी एक सीट उनकी सहयोगी पार्टी को मिली थी. एनडीए ने 51% वोट शेयर हासिल कर 48 में से 42 सीटें हासिल की थीं.

कांग्रेस एनसीपी ने 16.1% और 18% वोट प्रतिशत लेकर 6 सीटें जीतीं. यूपीए का वोट प्रतिशत 35% रहा. लेकिन कुछ ही महीनों बाद हुए विधान सभा चुनाव में सारी पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. ध्यान देने की बात ये है कि इसके बावजूद सभी प्रमुख पार्टियों के वोट शेयर में खास फर्क नहीं पड़ा. 27.8% वोट शेयर के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी रही. शिवसेना का वोट प्रतिशत घटा लेकिन 19.35% लेकर वो दूसरी बड़ी पार्टी रही. जबकि 17.95% और 17.24% हासिल कर कांग्रेस और एनसीपी ने अपना जनाधार भी कायम रखा.

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ये वो दौर था, जब मोदी लहर की वजह से देश और महाराष्ट्र में बीजेपी की सीटें और वोट शेयर में काफी बढ़ोतरी दिख रही थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यही करिश्मा जारी रहा. 2019 में फिर बीजेपी शिवसेना साथ आए, वहीं कांग्रेस एनसीपी ने साथ में चुनाव लड़ा. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी एक बार फिर बीजेपी ने 23 और शिवसेना ने 18 सीटें जीतीं, लेकिन बीजेपी का वोट शेयर 2014 की तरह 27.84% और शिवसेना का 23% रहा. एक बार फिर 51% वोट प्रतिशत लेकर एनडीए ने 41 सीटें जीतीं.

जबकि, 2014 की तरह 33 % वोट लेकर कांग्रेस एनसीपी और सहयोगी पार्टीयों ने  यानी युपीए ने 6 सीटें जीती. एक बात साफ नजर आई की मोदी का करिश्मा चरम पर होने का बावजुद बालाकोट स्ट्राइक के बाद मोदी सरकार की लोकप्रियता बढ़ने के बावजूद हर हाल में महाराष्ट्र मे बीजेपी विरोधी यूपीए का वोट शेयर 34% कायम है . जबकी बीजेपी 27/28 % और शिवसेना का अपना 20 % वोट प्रतिशत देखा गया. अब इस गणित को नये राजनीतिक समीकरण में देखते हैं.

अब शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी के साथ तीनों पार्टियों का एकसाथ वोट प्रतिशत 54% हो जाता है, लेकिन शिवसेना में हुई भारी फूट के बाद सी वोटर इंडिया टुडे के सर्वे के मुताबिक अगर जनवरी 2023 में लोकसभा चुनाव होते हैं तो उद्धव ठाकरे कम से कम 10% तक शिवसेना का वोट अपने पास रख पाएंगे. जिससे कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना उद्धव गुट वाली महा विकास आघाडी का वोट शेअर 44% तक पहुच सकता है, जबकि बीजेपी और शिंदे गुट 37% तक वोट अपने पास रख सकते हैं. इस वजह से ये अनुमान लगाया जा रहा है कि महा विकास आघाडी 34 तक लोकसभा सीटें जीत सकती है.

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कई बार आंकड़ों का गणित चुनावी गणित के सामने कमजोर पड़ जाता है, जिसकी वजह से 2019 में उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के साथ में आने के बावजूद वो बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक नुकसान नहीं पहुंचा पाए . महाराष्ट्र में एनडीए के पास इस गणित को सुधारने का मौका है . चुनाव आयोग शिंदे गुट के पक्ष मे फैसला दे या किसी वजह से महा विकास आघाडी में सीटों के बंटवारे को लेकर अनबन रही तो इसका फायदा बीजेपी को हो सकता है. साथ ही लोकसभा के पहले होने वाले बीएमसी चुनाव में शिवसेना उद्धव गुट कमाल नहीं दिखा पाया तो भी यह शिंदे गुट के लिये फायदेमंद साबित हो सकता है. लेकिन उससे भी ज्यादा खुद एकनाथ शिंदे अगर अपने आप को मुख्यमंत्री के रूप में साबित कर पाये तो ये गणित बदल सकता है.

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