भारत की राजनीति में पिछले एक दशक से विपक्ष के लिए सबसे बुरी शख्सियत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हुआ करते रहे हैं. सभी मिलकर उन्हें ही हटाने का दम भरते रहे हैं. पर लगता है कि अब स्थितियां बदल रही हैं. फिलहाल कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को अब लगता है कि नरेंद्र मोदी से भी कोई चतुर नेता है तो वो आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं . गुरुवार को बादली विधानसभा क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी से भी ज्यादा झूठ बोलते हैं अरविंद केजरीवाल. उन्होंने कहा- केजरीवाल झूठ बोलते रहते हैं, जिस तरह पीएम मोदी झूठ बोलते हैं, उसी तरह केजरीवाल भी झूठ बोलते हैं, उनमें ज्यादा अंतर नहीं है. फिर राहुल कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी से भी अधिक चालाक हैं. यहां स्पष्ट कर दें कि यहां चालाक शब्द का इस्तेमाल होशियार या बुद्धिमान होने से नहीं है, यह शब्द शातिर होने के लिए यूज किया गया है. अब सवाल उठता है कि ऐसी क्या दुश्वारियां हो गईं कि राहुल गांधी और कांग्रेस को अचानक अरविंद केजरीवाल में बहुत सारी बुराइयां नजर आने लगी हैं. इसके लिए पिछले कुछ दिनों से देश की बदलती राजनीति की ओर देखने की जरूरत है.
1-क्या इंडिया गुट के एकतरफा कांग्रेस के विरोध में और AAP के साथ आने से ये हुआ?
दरअसल राहुल गांधी और कांग्रेस का अरविंद केजरीवाल को लेकर यह रौद्र रूप जो दिख रहा है उसमें इंडिया गुट के दलों की बड़ी भूमिका है. दिल्ली चुनावों को लेकर इंडिया गठबंधन के अधिकतर दलों का एकतरफा कांग्रेस की बजाए अरविंद केजरीवाल का खुलकर सपोर्ट कर देना पार्टी को नहीं भाया है. टीएमसी, समाजवादी पार्टी, शिवसेना उद्धव आदि ने जिस तरीके से दिल्ली में आम आदमी पार्टी को सपोर्ट किया है उससे यही लगता है कि सभी दलों की आंख में कांग्रेस ही चुभ रही है. वास्तव में इंडिया गुट के दलों के लिए आदर्श स्थिति यही रहती कि दिल्ली में वो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों से समान दूरी बनाकर चलते. पर ऐसा न करके इन दलों से कांग्रेस को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने का मौका दे दिया. आखिर कांग्रेस अपनी बरबादी का जश्न कब तक मनाती?
2-क्या राहुल गांधी को सबसे अधिक भ्रष्ट बताने के चलते पानी सिर के ऊपर पहुंचा?
आग में घी का काम किया आम आदमी पार्टी का वो पोस्टर जिसमें देश के सबसे भ्रष्ट लोगों में राहुल गांधी को भी शामिल कर लिया गया. एक तरफ तो राहुल गांधी अपनी सभाओं में अरविंद केजरीवाल के लिए कोई भी शब्द ऐसा नहीं बोल रहे थे जिससे उन्हें शर्मिंदा होने की नौबत आए. कांग्रेस के स्थानीय नेता भले ही केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे थे पर कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व उन पर हमले करने से बच रहा था. अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को भी इसी नियम पर चलना चाहिए था. पर आम आदमी पार्टी के हैंडल से जिस तरह राहुल गांधी को भ्रष्टतम लोगों में शामिल किया वो सर तक पानी पहुंचना ही था. गौरतलब है कि आज से करीब एक हफ्ते पहले आम आदमी पार्टी ने एक पोस्टर जारी किया था जिसमें बीजेपी और कांग्रेस के कई भ्रष्ट नेताओं के नाम और फोटो शामिल किया था जिसमें राहुल गांधी भी शामिल थे. यह भी कहा गया कि अरविंद केजरीवाल उन्हें छोड़ेंगे नहीं.
3- कांग्रेस समझ गई है कि बीजेपी की जीत बेहतर है पर AAP की नहीं
कांग्रेस को यह बात अब समझ में आ गई है कि आम आदमी पार्टी को खत्म किए बिना दिल्ली में रास्ता बनाना आसान नहीं है. इतना ही नहीं कांग्रेस नेता यह भी समझ चुके हैं कि अगर भारत की राजनीति में सर्वाइव करना है तो उसे भारतीय जनता पार्टी के बजाय समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों को कमजोर करने के बारे में सोचना होगा. दरअसल कांग्रेस जिन वोटर्स की बदौलत देश पर कई दशकों तक राज किया उनका वोट आज भी बीजेपी को कम ही जाता है. कांग्रेस का असल नुकसान आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसी क्षेत्रीय पार्टियां कर रही हैं.
दलित और मुसलमान वोटर्स जो कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स रहे हैं अगर एक बार फिर से पार्टी की तरफ झुकते हैं तो देश की राजनीति में बहुत उलट फेर संभव हो सकेगा. नेशनल कॉन्फिडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस के एक सर्वे का कहना है कि दिल्ली में हो रहे आगामी चुनावों में 21 फीसदी दलित मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट देने की बात कही है. जबकि 2020 के विधानसभा चुनावों में 11 प्रतिशत दलितों ने ही कांग्रेस को वोट दिया था. यही हाल मुस्लिम समुदाय का है. अरविंद केजरीवाल सॉफ्ट हिंदुत्व कई बार बीजेपी से भी भारी हो जाता है. ऐसी स्थिति में पूरे देश में मुसलमानों को लगता है कि कांग्रेस ही उनकी अपनी पार्टी है. मतलब साफ है कि कांग्रेस की ओर दलित और मुसलमान आ रहे हैं.अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस अगले चुनावों तक कम से कम दिल्ली और पंजाब में अपना पुराना रुतबा को हासिल करने की राह पर होगी. इसका प्रभाव अन्य राज्यों पर भी पड़ेगा.