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नेपाल की जनता के बीच योगी आदित्‍यनाथ क्यों बन गए हैं पोस्टर बॉय?

गोरखनाथ मठ और नेपाल के राजाओं के बीच मधुर संबंध रहे हैं. कहा जाता है कि गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में हर साल 14 जनवरी को लगने वाले खिचड़ी मेले में गुरु गोरखनाथ को पहली खिचड़ी नेपाल नरेश के परिवार की ओर से चढ़ाई जाती है. पर योगी के नेपाल में पोस्टर बॉय बनने के पीछे केवल यही नहीं है.

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नेपाल में राजशाही समर्थकों की रैली में योगी के पोस्टर को लेकर राजनीति गर्म हो गई है.
नेपाल में राजशाही समर्थकों की रैली में योगी के पोस्टर को लेकर राजनीति गर्म हो गई है.

नेपाल की राजधानी काठमांडू में रविवार को आयोजित एक राजतंत्र बहाली समर्थक रैली में गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें लहराई गईं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि भीड़ ने योगी -योगी के नारे भी लगाए. इस घटना से नेपाल से भारत तक कि राजनीति में खलबली मच हुई है. नेपाल के सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों ने इस बात को मुद्दा बना दिया है कि भारत द्वारा नेपाल की राजनीति में हस्तक्षेप किया जा रहा है.सत्ताधारी पार्टी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी, CPN-UML) के नेता और नेपाल के पीएम के पी ओली ने कहा कि 'हम अपनी रैलियों में विदेशी नेताओं की तस्वीरें नहीं लहराते. यह हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है.' वहीं, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने इस घटना को सरकार की साजिश करार दिया. पार्टी का कहना है कि सरकार रणनीति के तहत राजशाही समर्थकों को बदनाम करना चाहती है इसलिए इस तरह के हथकंडे अपना रही है. सवाल यह है कि योगी आदित्यनाथ नेपाल की राजनीति के लिए इतने महत्वपूर्ण कैसे हो गए? राजशाही समर्थकों के लिए योगी आदित्यनाथ नेपाल में क्यों पोस्टर बॉय बन रहे हैं?

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1-गोरखनाथ मठ के पीठाधीश्वरों से पुराना नाता है नेपाल के शाही परिवार का

भारत और नेपाल संबंध केवल भौगोलिक या राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं हैं. भारत-नेपाल सीमा से करीब 94 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोरखपुर के आस पास के लोगों को पता है कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव किस हद तक है. कहा जाता है कि गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में हर साल 14 जनवरी को लगने वाले खिचड़ी मेले में गुरु गोरखनाथ को पहली खिचड़ी नेपाल नरेश के परिवार की ओर से चढ़ाई जाती है. उसके बाद ही आम जनता के बीच खिचड़ी मेले की शुरूआत हो जाती है. नाथपंथ की जड़ें भारत में गुरु मत्स्येंद्रनाथ और गुरु गोरखनाथ से जुड़ी हैं. गोरखनाथ का नेपाल से गहरा संबंध रहा है. ऐसी मान्यता है कि उन्होंने नेपाल के पहले शाह वंश के संस्थापक को आशीर्वाद दिया था.तब से ही नेपाल की राजशाही पर शाह वंश का कब्जा बरकरार है. नेपाल में पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ जैसे मंदिर नाथपंथ की विरासत को समृद्ध करते रहे हैं. 

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गोरखनाथ मठ और गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वरों का नेपाल की राजशाही से बहुत निकट का रिश्ता रहा है. गोरखनाथ पीठ के पूर्व महंत दिग्विजयनाथ ने नेपाल के राजा त्रिभुवन को सत्ता में फिर से स्थापित करने में सहायता की थी. महंत अवैद्यनाथ ने माओवादियों के खिलाफ तथा नेपाल में राजशाही एवं हिन्दू राष्ट्र का समर्थन किया. अब नेपाल के लोगों को लगता है कि योगी आदित्यनाथ एक बार फिर उन्हें कम्युनिस्ट निजाम से मुक्ति दिलाने में आगे आएंगे. 

2-क्या हिंदुत्व के सबसे बड़े ब्रांड बन गए योगी आदित्यनाथ

इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के ब्रैंड बन चुके हैं. जाहिर है कि भारत के पड़ोस में इसका प्रभाव पड़ेगा ही. नेपाल विश्व का इकलौता हिंदू राष्ट्र रहा है. पर अभी 2008 में नेपाली में नए संविधान को अपनाया गया और देश में राजतंत्र की जगह लोकतंत्र को स्थाापित किया गया. जब से देश में राजशाही खत्म हुई है नेपाल की जनता गरीब-बेरोजगारी आदि से त्रस्त है. देश की जनता इंडियन सिनेमा और टीवी देखती है. समाचार के नाम पर यहां हिंदी न्यूज चैनल ही अधिकतर देखें जातें हैं. भारत में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने योगी की कार्यशैली पसंद किया है ठीक उसी तरह नेपाल में भी उन्हें देखा जा रहा है.  भारत में तो कई बीजेपी विरोधी मुख्यमंत्रियों ने भी योगी की कार्यशैली को अपनाया है. उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर योगी की नेपाल में छवि एक सख्त प्रशासक की बन गई है. नेपाल की जनता भी यही चाहती है कि योगी की कार्य़शैली को उनके यहां के नेता अपनाएं. उत्तर प्रदेश में मुस्लिम माफिया के खिलाफ कार्रवाई का भी नेपाल की जनता पर बहुत असर पड़ा है.नेपाल की जनता के बीच यह बात बहुत तेजी से फैली है कि नेपाल में मुस्लिम जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है.  

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3-नेपाल की राजशाही से आरएसएस का पुराना रिश्ता

आरएसएस के सपने में नेपाल हमेशा से अखंड भारत का हिस्सा रहा है. इतना ही नहीं आरएसएस नेपाल को राम राज्य के मिसाल के तौर पर देखता था जो मुस्लिम शासकों के हमले से कभी अशुद्ध नहीं हुआ. जिस तरह भारत में आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने पूरे देश  भर में अपनी जड़ें फैलाईं हैं. उसी तरह नेपाल में भी आरएसएस की शाखाएं दूर दूर तक फैल चुकीं हैं. बीबीसी के अनुसार 1964 में नेपाल के राजा महेंद्र को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने नागपुर में मकर संक्रांति की रैली को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था. इस आमंत्रण को किंग महेंद्र ने स्वीकार कर लिया था, पर राजा के रुख़ से भारत की तत्कालीन कांग्रेस सरकार खुद को सहज नहीं महसूस कर रही थी. बीबीसी ने  बैटल्स ऑफ़ द न्यू रिपब्लिक के लेखक प्रशांत झा को कोट करते हुए लिखा है कि 'राजा वीरेंद्र पंचायती व्यवस्था के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन का सामना कर रहे थे. तभी विश्व हिन्दू परिषद ने काठमांडू में राजा वीरेंद्र के समर्थन में लामबंदी की थी और उन्हें विश्व हिन्दू सम्राट घोषित किया था. शाही क़त्लेआम के बाद राजा ज्ञानेंद्र को भी वीएचपी ने यही उपाधि दी थी. नेपाल के शाह वंश का गोरखपुर के गोरखनाथ मठ से ऐतिहासिक संबंध रहा है. गोरखनाथ मंदिर की नेपाल में कई संपत्तियां हैं. इनमें स्कूल और अस्पताल भी शामिल हैं.'

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