राहुल गांधी का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें एक पत्रकार के सवाल पूछने पर राहुल गांधी इतना नाराज होते हैं कि वो चीखने लगते हैं. बार-बार उसका नाम पूछते हैं फिर उसके बाद उसके मालिक का नाम पूछने लगते हैं. इस बीच कांग्रेस कार्यकर्ता पत्रकार को पीटने लगते हैं. घटना उत्तर प्रदेश के रायबरेली की बताई जा रही है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान रायबरेली पहुंचे राहुल गांधी एक सभा को संबोधित कर रहे थे. दरअसल भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरूआत से ही राहुल गांधी बेहद आक्रामक अंदाज में देखे जा रहे हैं. वह छोटी-छोटी बातों पर भड़क जाते हैं. बॉलिवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय को कम से कम 4 बार अनर्गल अपने भाषणों में घसीटा. ऐश्वर्या और प्रियंका चोपड़ा को नाचने वाली बता दिया. सवाल उठता है कि क्या यह सब जानबूझकर किया जा रहा है? क्योंकि आम तौर पर राहुल गांधी का व्यवहार इस तरीके का नहीं है. आम जनता में उनकी सौम्य छवि ही है. तो क्या कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को नए अवतार में जनता के सामने लाना चाह रही है. या राहुल गांधी लगातार मिलती हार और अपने साथियों के पार्टी छोड़ने से विचलित हो गए हैं और इस तरह का व्यवहार करने लगे हैं?
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पिछली कई घटनाएं सबूत हैं कि राहुल का व्यवहार बदल रहा है
रायबरेली में राहुल गांधी जिस तरह का व्यवहार मीडिया से करते दिख रहे हैं वह राहुल का स्वभाविक व्यवहार नहीं रहा है. समाजवादी पार्टी से गठबंधन के सवाल पर राहुल गांधी भड़क जाते हैं . उनकी वाणी में तल्खी साफ झलक रही है. वे कहते हैं- 'मीडिया के हैं आप? नाम क्य़ा है आपका? आप शिव प्रसाद जी हैं. आपके मालिक का क्या नाम है. क्या नाम है, नाम बताओ, नाम बताओ… ओए मारो मत यार, मारो मत उसको, नाम बताओ उसका. वो ओबीसी है, ..नहीं, वो दलित है ..नहीं, वो आदिवासी है,.. नहीं. अरबपति है वो.' राहुल गांधी अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहते हैं.'भैया मारो मत उसे आ जाओ, आ जाओ, मारना नहीं है उसे. इधर आओ, इधर आओ. आप रिलैक्स करो. शांति से बस बैठ जाओ. कोई प्रॉब्लम नहीं है, इनके मालिक अरबपति हैं ये किसानों की बात कभी नहीं करेंगे'.
राहुल की तल्खी उस समय भी देखी गई जब वे गांधी परिवार के कभी मित्र रहे अमिताभ बच्चन के लिए तू तड़ाक वाली भाषा का इस्तेमाल करते हैं. राहुल आमतौर पर अपने विरोधियों के साथ भी हमेशा सम्मानजनक भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं. बीजेपी के वोट देने वाले और मोदी को बहुत से प्रशंसक भी राहुल की इसी अदा के कायल रहे हैं.पर आजकल वो जब अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या के लिए तल्ख भाषा में नाचने वाला बोलते हैं तो उनके व्यक्तित्व के साथ उनका इस तरह का व्यवहार मैच नहीं करता है.अमेठी में जब वो आम जनता से पूछ रहे होते हैं कि आपने देखा राम मंदिर उद्घाटन में कौन था? वहां कितने ओबीसी और दलित थे? ये पूछते हुए राहुल बुरी तरह से तिलमिलाए महसूस हो रहे थे. मीडिया के बारे भी बोलते हुए उनका गुस्सा सातवें आसमान पर होता है.
राहुल की आक्रामता क्या युवाओं को लुभाने के लिए सोची समझी रणनीति है
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती है कि भारत में लोगों एंग्री यंग मैन की छवि बहुत पसंद आती रही है. कांग्रेस में कभी नरम दल और गरम दल हुआ करता था. गरम दल के नेताओं को जनता बहुत पसंद करती थी. बाद के दौर में भी गांधी और नेहरू पर सुभाष चंद्र बोस और भगत सिंह आदि की छवि लोगों को लुभाती रही. पर ये भी सही है कि गरम दल एंग्री यंग मैन की इमेज वाले लोगों को सत्ता नहीं मिलती रही है. ऐसे लोग हमेशा इतिहास के बियाबां में खो जाते रहे हैं.
राहुल गांधी ने जब जब सार्वजनिक तौर पर गुस्सा दिखाया उनकी आलोचना ही हुई है. याद कीजिए जब मनमोहन सिंह के बिल को राहुल गांधी ने प्रेस के सामने फाड़ दिया था. याद कीजिये जब राहुल गांधी ने बांहें चढ़ा ली थी.हालांकि इसमें भी कोई दो राय नहीं हो सकती कि राहुल गांधी का ये गुस्सा उन्हें एक तबके को पसंद आता है.यह संभव है कि कांग्रेस की पीआर टीम राहुल गांधी के व्यक्तित्व को और आक्रामक छवि बनाने की सोच रही हो. क्योंकि नरेंद्र मोदी के विराट व्यक्तित्व के आगे राहुल का व्यक्तित्व कमाल नहीं कर पा रहा है. राहुल को लोग पसंद तो करते हैं पर उन्हें वोट नहीं देना चाहते हैं. पर राहुल को आक्रामक बनाकर उनके व्यक्तित्व को नरेंद्र मोदी की छवि पर भारी करने का आइडिया राहुल गांधी के गले की फांस भी बन सकता है.
राहुल के व्यक्तित्व को सौम्यता ही शोभा देता है
एक कहावत है, जिसका मतलब होता है कि अपने निजी गुणों को छोड़कर किसी दूसरे की नकल करने पर अपनी भी चाल लोग भूल जाते हैं. राहुल गांधी के पास उनका अपना व्यक्तित्व बेहद सौम्य व्यक्ति का है. जिससे देश की बहुत सी जनता पसंद करती है. अब राहुल गांधी अपनी सौम्यता छोड़कर अगर आक्रामकता को अपनाना चाहते हैं तो हो सकता है कि वो न सौम्य रह जाएं और न ही वे आक्रामक बन पाएं. क्योंकि आक्रामकता उनका स्वाभाविक गुण नहीं है.यही कारण है कि जब वो आक्रामक होते हैं तो उनके विरोधियों को छोड़िए उनके कट्टर समर्थकों को भी नहीं भाता है.
आज की तारीख में राहुल गांधी के विरोधी भी यह कहते हुए मिल जाते हैं कि बंदा अच्छा आदमी है पर पार्टी ही कमजोर है. या बंदा बहुत सच्चा है और राजनीति इतने सच्चे और अच्छे लोगों के लिए नहीं बनी है.पर यही लोग जब राहुल को बुजुर्गों पर भड़कते , प्रख्यात अभिनेत्रियों को नाचने वाला कहते हुए उनके मुंह से सुनते हैं तो उन्हें निराशा होती है. कांग्रेस को ध्यान रखना चाहिए कि राहुल को चमकाने के चक्कर में उनका कबाड़ा तो नहीं कर रही है पार्टी की पीआर टीम.
लगातार हार और साथियों के साथ छोड़ने का असर तो नहीं
राहुल गांधी कांग्रेस की लगातार हार, अपने साथियों और कांग्रेस के कद्दावर नेताओं के बीजेपी जॉइन करने से परेशान भी हो सकते हैं . आम तौर पर यह देखा गया है कि लगातार असफलताओं के चलते आदमी चिड़चिड़ा हो जाता है. कांग्रेस की वर्तमान में जो हालत हो गई है उससे जाहिर है परेशानी तो बढ़ ही गई है. इंडिया गठबंधन से नीतीश के जाने, अखिलेश यादव की गठबंधन पर हर रोज धमकी, महाराष्ट्र में अशोक चह्वाण और मिलिंद देवड़ा का साथ छोड़ना आदि पार्टी ही नहीं राहुल को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. राहुल गांधी परिवार में भी अकेले पड़ रहे हैं. मां सोनिया गांधी अपने स्वास्थ्य कारणों से अब कांग्रेस और राहुल गांधी उतना समय नहीं दे पा रही हैं जितना पहले दिया करती थीं. प्रियंका गांधी के साथ राहुल गांधी के संबंध कहने को तो बहुत अच्छे हैं पर अंदरूनी कलह की खबरें आती रहती हैं. फिलहाल बड़े घरानों में वर्चस्व की जंग चलती ही रहती है. यह कोई नई बात नहीं है. राहुल जिस तरहा का व्यवहार आजकल कर रहे हैं उससे उनके अकेले पड़ने का कारण भी समझा जा सकता है.