जेएनयू रिटर्न कांग्रेस नेता, पूर्व वामपंथी कन्हैया कुमार का दर्शन सुनकर आप अपना सिर पीट सकते हैं. कन्हैया कुमार वामपंथी रहे हैं पर वामपंथी भी विकास के इतने बड़े विरोधी नहीं रहे हैं. कन्हैया कुमार ने बिहार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए एक नया दर्शन दिया है. उन्होंने दावा किया है कि बिहार में भारतमाला परियोजना की सड़कें राज्य का पानी लूटने के लिए बनाई जा रही हैं. कन्हैया कुमार समझाया है कि बिहार में पहले उद्योग क्यों नहीं आए और अब क्यों निवेश आ रहा है. कन्हैया ने कहा है कि सड़कों की कोई जरूरत नहीं है. वे सड़कें बनाने को एक साजिश करार देते हैं. कन्हैया का कहना है कि बिहार के पास बहुत पानी है, इसलिए यहां सड़कें बनाई जा रही हैं. उनके कहने का मतलब है कि ये सड़कें बिहार का पानी लूटने के लिए बनाई जा रही हैं. फिलहाल कन्हैया कुमार अनजाने में ही यह बात मान लिए हैं कि अब तक बिहार में सड़कें नहीं थी. पानी लूटने के लिए ही सही अब सड़कें बन रही हैं.
क्या बिहार को कन्हैया कुमार फिर से लालटेन युग में ले जाना चाहते हैं
कन्हैया कुमार की बातों से ऐसा लगता है कि वो बिहार को लालटेन युग में ले जाना चाहते हैं. लालू यादव की पार्टी आरजेडी का चुनाव चिह्न लालटेन रहा है. और उन्होंने पूरी कोशिश की थी बिहार लालटेन युग में चला जाए अब वही कोशिश कन्हैया कुमार कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर ताऊ के नाम से मशहूर कमलेश सिंह अपने ट्वीटर हैंडल पर कन्हैया पर व्यंग्य करते हैं कि-
'40 साल पहले जब ढंग की सड़कें नहीं थी, तब कारें कम थीं, दुर्घटनाएं बस पलटने से ही होती थीं. 7 मरे, 26 घायल.बिजली नहीं थी तो करंट लगने से एक मृत्यु नहीं होती थी. लोग खुशहाल थे, सिर्फ इलाज की कमी से मरते थे अगर नरसंहार में ज़िंदा बच गए. झूठी शान के नाम पर भाई भाई को दरांती से काट देता था, उसकी दरांती को कोई कट्टे से मात देता था. बंबइ, दिल्ली, गुजरात कमाने जाते थे, साल में एक बार आते थे. साथ में रेडियो लाते थे, साइकिल कसवाते थे और विविध भारती पर सैनिक भाइयों की फरमाइश के गाने सुनते-सुनवाते थे'
कन्हैया कुमार के दर्शन में प्रकृति की और लौटने की झलक मिलती है. बिहार में न विकास होगा न ही विकास संबंधी बुराइयां आएंगी. न धन होगा न चोरी-डकैती होगी.
बिहार में पानी कहर बरपाता रहा है उसे क्यों नहीं मुद्दा बनाते कन्हैया
बिहार में शायद मुद्दों की कमी हो गई है इसलिए कन्हैया कुमार को पलायन का दर्शन सबसे बेहतर लग रहा है. दरअसल आरजेडी भी इस बार उनके साथ नहीं है. बीजेपी और जेडीयू एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं. कन्हैया कुमार विकास के नाम पर अगर राजनीति करना चाहेंगे तो बिहार की जनता उन्हें झूठा ही समझेंगी. इसलिए कन्हैया कुमार को आसान लगा कि क्यों न विकास को ही गलत साबित कर दें. बस उन्होंने पानी के लूट की थियरी गढ़ दी. हालांकि देश के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि बिहार में अभी 44% भूजल का दोहन हो चुका है.
जबकि बिहार में कोई बड़ा औद्योगिक आधार भी नहीं है. ऐसा हम नहीं कह रहे हैं ये 2023 में जल शक्ति मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है. सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार में अभी तक किसी की भी नजर इस बात पर नहीं गई कि बिहार के पानी पर संकट है. बिहार में नदिया हर साल सुनामी लेकर आती हैं. जबकि किसी भी नदी का उदगम स्थल बिहार में नहीं है. बिहार से पानी लूटना होगा तो सबसे पहले नदियों के पानी को ही रोक दिया जाएगा. बिहार में पानी हर साल कहर बरपाता रहा है पर कन्हैया कुमार के लिए यह मुद्दा नहीं है. क्योंकि उनकी आंख में बिहार का विकास गड़ गया है. उन्हें और उनकी पार्टी को यह पच नहीं रहा है कि बिहार में इतनी तेजी से कैसे सड़कें और उद्योग धंधे लग रहे हैं.
कांग्रेस को अपने फॉर्मूलों पर भरोसा नहीं रहा
कांग्रेस को हमेशा से अल्पसंख्यक और दलित वोटों का सहारा रहा है. इसके अतिरिक्त सवर्ण वोट विशेषकर ब्राह्मण उसके साथ रहे हैं. कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है कि अब उसके पास इनमें से कोई नहीं है. आरजेडी ने मुस्लिम वोटों पर तगड़ी पैठ बना ली है. सवर्ण वोट यहां तक कि कन्हैया कुमार की बिरादरी भूमिहार भी बीजेपी के साथ हैं. रहे दलित तो उसमें पासी, दुसाध , मांझी आदि बीजेपी के साथ हैं. जो बचेंगे वो पहले आरजेडी के साथ जाएंगे. ऐसी स्थिति में कन्हैया कुमार को समझ में नहीं आ रहा कि जनता के बीच क्या बोले.
ऐसी दशा में उन्हें कुछ भी बोलने की मजबूरी हो गई है. हर दिन वो अपने वामपंथी दर्शन को कुछ सुधार कर जनता के सामने लाना चाहते हैं. कांग्रेस राज में बिहार की जो स्थिति हुई थी वो किसी से छुपी नहीं है.प्रधानमंत्री को आर्थिक सलाह देने वाली एक कमिटी की रिपोर्ट बताती है कि बिहार का देश की जीडीपी में हिस्सा 1960-61 में 7.8% हुआ करता था, वह आज 2.8 पर पहुंच चुका है. अगर इसमें झारखंड को भी मिला लें तो यह 4.3% पहुंचता है. पंद्रह साल पहले ये आंकड़े और भी बुरी स्थिति में थे.