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आजम खान और मनीष सिसोदिया दोनों भ्रष्टाचार के आरोपी लेकिन इनकी तरफदारी की वजह अलग-अलग

आजम खान और उनके करीबियों के यहां हुई छापेमारी को लेकर समाजवादी पार्टी बिलकुल वैसे ही बचाव कर रही है, जैसे आम आदमी पार्टी मनीष सिसोदिया का. ये ठीक है कि आजम खान और मनीष सिसोदिया दोनों पर आरोप तो भ्रष्टाचार के ही लगे हैं, लेकिन दोनों की तरफदारी में थोड़ा फर्क भी है.

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आजम खान और मनीष सिसोदिया का बचाव एक तरीके से कैसे किया जा सकता है?
आजम खान और मनीष सिसोदिया का बचाव एक तरीके से कैसे किया जा सकता है?

समाजवादी पार्टी नेता आजम खान और उनके करीबियों पर इनकम टैक्स की ताबड़तोड़ छापे पड़े हैं. उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश तक आजम खान के अली जौहर ट्रस्ट के सभी 11 ट्रस्टी आयकर के रडार पर थे - और उन सभी के यहां छापेमारी हुई है.

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पहले तो समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव पर आजम खान को नजरअंदाज किये जाने तक के आरोप लग चुके हैं. आजम खान के जेल में रहते समाजवादी पार्टी के मुस्लिम विधायकों की नाराजगी तक की खबरें सुर्खियां बन चुकी हैं, लेकिन घोसी उपचुनाव में जीत के बाद जोश से लबालब समाजवादी पार्टी घर का हर कोना मजबूत करने में जुट गयी लगती है. 

आजम खान हेट स्पीच के एक मामले में सजा हो जाने के कारण विधान सभा की सदस्यता भी गवां चुके हैं. बड़े पैमाने पर चल रही छापेमारी के बाद समाजवादी पार्टी बचाव में आगे आयी है.

आजम खान के केस में समाजवादी पार्टी बिलकुल वैसे ही बचाव कर रही है, जैसे आम आदमी पार्टी मनीष सिसोदिया का. आजम खान और मनीष सिसोदिया दोनों पर आरोप तो भ्रष्टाचार के ही लगे हैं, लेकिन थोड़ा फर्क भी है.

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आजम खान पर भ्रष्टाचार के जो आरोप लगे हैं, वे शिक्षा क्षेत्र से ही जुड़े हुए हैं, जबकि मनीष सिसोदिया दिल्ली शराब नीति में गड़बड़ियों को लेकर जेल में हैं. मनीष सिसोदिया के बचाव में आम आदमी पार्टी को कोई और बात नहीं सूझी तो उसने दिल्ली में शिक्षा में सुधार के लिए किये गये उनके काम को आधार बनाया. दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्रों से चिट्ठी लिखवायी गयी, पत्नी की बीमारी की दुहाई भी दी गयी. 

आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया के बचाव का कोई खास असर तो नहीं दिखा है, सवाल है कि क्या समाजवादी पार्टी को आजम खान का वैसी है बचाव करके कुछ हासिल हो सकता है?

बचाव का ये तरीका कितना फायदेमंद

दिल्ली के डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया के यहां सीबीआई के छापे पड़े थे तो आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल उनके बचाव में शिक्षा और दिल्ली के स्कूलों में सुधार किये जाने की दुहाई दे रहे थे. लेकिन लगे हाथ राजनीतिक एजेंडा भी चला रहे थे. कह रहे थे कि अगर मनीष सिसोदिया गिरफ्तार हो जायें तो गुजरात में AAP की सरकार बन जाएगी. तब तो नहीं, लेकिन बाद में सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया. और अब तक वो जेल में ही हैं.

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अगर फायदे की बात करें तो गुजरात में अरविंद केजरीवाल की पार्टी कुछ खास नहीं कर सकी, लेकिन दिल्ली में हुए एमसीडी चुनाव में बीजेपी से सत्ता छीन लेने में कामयाब जरूर रही. 

आजम खान के मामले में भी समाजवादी पार्टी शिक्षा के क्षेत्र में किये गये उनके काम ही गिना रही है. सोशल मीडिया साइट X पर समाजवादी पार्टी के एक पोस्ट में लिखा है, ‘जनाब आजम खान साहब सच की आवाज हैं. उन्होंने बच्चों के बेहतर भविष्य की नींव रखी,  तालीम-शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय बनाया… आजम साहब सदैव फिरकापरस्त ताकतों से लड़ते रहे हैं… आज उनकी आवाज के साथ हम सब एकजुट होकर खड़े हैं.’

यूपी में समाजवादी पार्टी घोसी उपचुनाव में मिली कामयाबी से जोश से भर उठी है. लेकिन उसे ये नहीं भूलना चाहिये कि आगे भी घोसी जैसा ही प्रदर्शन जारी रहे, जरूरी नहीं है. 2019 से पहले समाजवादी पार्टी ने गोरखपुर और फूलपुर के साथ साथ कैराना की भी सीट जीत ली थी, लेकिन आम चुनाव में उसे डिंपल यादव की सीट भी गंवानी पड़ी थी.

अब अगर सिसोदिया से तुलना करके अखिलेश यादव आजम खान के जरिये मुस्लिम वोटर की सहानुभूति चाहते हैं तो आने वाले चुनाव तक ही ये तस्वीर भी साफ हो जाएगी, फायदा मिलता है या नहीं. 

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वैसे भी समाजवादी पार्टी पहले आजम खां की लोक सभा सीट, और फिर विधानसभा सीट बीजेपी के हाथों गंवा चुकी है. रामपुर विधानसभा सीट पर मैनपुरी लोक सभा सीट के साथ ही उपचुनाव हुए थे. पूरी समाजवादी पार्टी मैनपुरी में डट गयी थी, आजम खान का इलाका अकेले उनके हवाले छोड़ दिया गया था. उससे पहले भी जब आजमगढ़ के साथ रामपुर लोक सभा सीट पर चुनाव हो रहे थे, समाजवादी पार्टी का वैसा ही रवैया दिखा था.

आजम खान और मनीष सिसोदिया पर लगे आरोपों में फर्क है

समाजवादी पार्टी नेता आजम खान पर रामपुर में एक यूनिवर्सिटी बनाने में भ्रष्टाचार का आरोप है. इल्जाम है कि ट्रस्ट के नाम पर जो पैसा जुटाया गया, उसमें हेर फेर की गयी है.

आजम खान ने रामपुर में मौलाना अली जौहर के नाम पर अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी बनवायी थी. यूनिवर्सिटी के संचालन के लिए अली जौहर ट्रस्ट बनाया गया. आजम खान ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, जबकि उनकी पत्नी डॉक्टर तजीन फातिमा सचिव हैं. 

यूनिवर्सिटी के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर शुरू से ही विवाद रहा. कैंपस के लिए काफी जमीन ली गयी थी. हालांकि, अब वो सब सरकार ने टेकओवर कर लिया है. 

मनीष सिसोदिया के जेल जाने का मामला दिल्ली सरकार की शराब नीति से जुड़ा है. दिल्ली सरकार ने 2021 में नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी - और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दावा था कि ऐसा करने से सरकार के राजस्व में इजाफा होगा, और माफिया राज खत्म होगा. बाद में दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना की सिफारिश के बाद सीबीआई केस की जांच कर रही है.

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आजम खान और मनीष सिसोदिया पर लगे आरोपों में एक बड़ा फर्क भी है. समाजवादी पार्टी भले ही शिक्षा के क्षेत्र में आजम खान के काम की दुहाई दे रही हो, लेकिन आरोप भी शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार से ही जुड़े हुए हैं - मनीष सिसोदिया का मामला थोड़ा अलग है.

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