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क्‍या वाकई वक्फ बोर्ड कानून बनाकर कांग्रेस ने बाबा साहेब के संविधान का गला घोंटा? । opinion

पीएम नरेंद्र मोदी जिस तरह वक्फ बोर्ड के बारे में आजकल बोल रहे हैं उससे ये संदेश जा रहा है कि वह इस संशोधन बिल को लेकर बेहद गंभीर हैं. देश की निगाहें संसद के शीतकालीन सत्र की ओर हैं. क्या सरकार इस बार वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को पास कराकर ही दम लेने वाली है?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी के मुख्यालय पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा पार्टी के मुख्यालय पर

संसद के शीतकालीन सत्र में वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर पर आर-पार होने वाला है. संभल में हुई हिंसा ने बीजेपी के एजेंडे को और धार दे दी है. क्‍योंकि संभल का जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर विवाद की जड़ भी इसी तुष्टिकरण के भीतर हैं. महाराष्ट्र चुनाव की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा मुख्‍याललय पर दिये अपने भाषण में वक्फ बोर्ड कानून के बहाने कांग्रेस की तुष्टिकरण वाली राजनीति पर हमला बोला था. जिसकी सबसे खास बात ये थी कि कैसे कांग्रेस ने वोटबैंक पॉलिटिक्‍स करने के लिए बाबा साहेब के संविधान का गला घोंट दिया था. जिसमें वक्‍फ जैसी किसी व्‍यवस्‍था के लिए कोई जगह नहीं थी.

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1-मोदी के निशाने पर वक्‍फ बोर्ड के बहाने कांग्रेस है निशाने पर

महाराष्‍ट्र चुनाव नतीजों के बाद भारतीय जनता पार्टी के दिल्‍ली मुख्‍यालय पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाषण देते हैं तो वे सिर्फ राजनीतिक विरोधियों ही नहीं, उनके बहाने कई नीतिगत मामलों पर भी तीखी टिप्‍पणी करते हैं. मोदी कहते हैं कि 'जब भारत आजाद हुआ तब पंथ-निरपेक्षता की नींव पड़ी थी. लेकिन कांग्रेस ने झूठी धर्मनिरपेक्षता के नाम पर तुष्टिकरण की नींव रख दी. उसने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए. सुप्रीम कोर्ट की परवाह नहीं की. मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ विश्वासघात है और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा. दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला. तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए. उसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है. दिल्‍ली के लोग तो चौंक जाएंगे कि कैसे 2014 में सत्ता से जाते जाते दिल्ली के आसपास की कई संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी गईं. बाबा साहेब के संविधान में वक्‍फ वोर्ड जैसी चीज़ के लिए कोई जगह नहीं थी. लेकिन कांग्रेस ने ऐसा इसलिए किया, क्‍योंकि वोटबैंक की राजनीति की जा सके. उसने संविधान को मृत्‍युदंड देने की कोशिश की.'

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 मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ विश्वासघात है और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा. दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला. तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए. 

2-क्या वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लाने की है तैयारी?

पीएम मोदी के इस बयान से यह साफ जाहिर है कि वक्फ बोर्ड संशोधन बिल जल्दी ही हकीकत बन सकता है. जिस तरह पीएम मोदी ने हाल के भाषणों में वक्फ बोर्ड का जिक्र किया है उससे यही लगता है कि सरकार इस बिल को लेकर गंभीर है. हो सकता है कि 2024 के अंत से पहले ही सरकार आनन फानन में यह बिल पेश करके पास भी करा दे. क्योंकि अगले साल दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनाव हैं.सरकार इसे अपनी उपलब्धि के रूप में जनता के सामने पेश कर सकती है. आज संसदी के शीतकालीन सत्र की शुरूआत भी हो गई है. सबकी नजरें वक्फ बिल पर होंगी. इस विशेष सत्र में पांच नए विधेयक पारित होंगे. वक्फ बिल पर सबकी नजरें टिकी हैं. वक्फ विधेयक संसद की संयुक्त समिति में है.जेपीसी बैठक में इस पर कई बार हंगामा हो चुका है. वक्फ बिल को लेकर समिति अब तक 27 बैठकें कर चुकी है. मतलब साफ है कि सरकार इसे ठंडे बस्ते में डालने की नियत नहीं रखती है. इस शीतकालिन सत्र में समिति अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपेगी. उसके बाद उम्मीद है सरकार इसे पास कराने की कोशिश करे.

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3-अंबेडकर,  संविधान और वक्फ बोर्ड

भारतीय संविधान के निर्माण के समय वक्फ बोर्ड के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी . वक्फ़ बोर्ड की स्थापना 1954 में वक्फ़ एक्ट के तहत हुई थी. वक्फ़ एक्ट को भारतीय संसद ने पारित किया , जिसका काम मुस्लिम धार्मिक और सामाजिक संस्थानों का प्रबंधन करना तय किया गया. पर धीरे-धीरे इस एक्ट को कई संशोधनों के जरिए कांग्रेस सरकारों ने इतना मजबूत बना दिया कि इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग शुरू हो गया. आज की तारीख में ये एक्ट इतना मजबूत हो चुका है कि देश के किसी भी राज्य में स्थित किसी भी जमीन को यह कानून वक्फ बोर्ड की जमीन घोषित कर सकता है. इसके साथ ही वक्फ बोर्ड के इस दावे को किसी भी लोकल कोर्ट में चैलेंज भी नहीं किया जा सकता. इस तरह आज की तारीख में वक्फ बोर्ड के पास सेना और रेलवे के बराबर जमीन कब्जे में है. 

वक्फ बोर्ड के बनने के पहल डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने भारत के कानुून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. पर संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर आंबेडकर की विचारों को देखते हुए यह समझना आसान है कि वह कभी भी वक्फ बोर्ड का समर्थन नहीं करते.   संविधान सभा की बहस के दौरान, केएम मुंशी, अल्लादी कृष्णावामी और अंबेडकर ने यूसीसी (यूनिवर्सन सिविल कोड) का बचाव किया. जबकि मुस्लिम नेताओं ने तर्क दिया कि यह वैमनस्य को बढ़ावा देगा.  संविधान सभा के दौरान होने वाली बहसों में भी यह दिखता है कि भीमराव आंबेडकर समान नागरिक संहिता के पक्ष में थे. दरअसल वक्फ बोर्ड की विचारधारा समान नागरिक संहिता के विचारधारा के खिलाफ है इसलिए जाहिर है कि बीआर आंबेडकर इस तरह के बोर्ड बनाने की इजाजत कभी नहीं देते.

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शायद यही कारण है कि पीएम मोदी ने भी भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच अपनी स्पीच में इस एक्ट को लेकर सख्त संदेश दिए. महाराष्ट्र चुनावों में जीत से सरकार का मनोबल बढ़ा हुआ है.

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