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योगी और अखिलेश यादव दोनों के लिए लोकसभा जितना ही अहम है यूपी का उपचुनाव

उत्तर प्रदेश में जल्दी ही 10 विधानसभा सीटों के लिए उप चुनाव होने जा रहे हैं. योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के लिए ये उप चुनाव नाक की लड़ाई बन चुके हैं, लेकिन राहुल गांधी और मायावती के लिए भी ये उतने ही महत्वपूर्ण हैं.

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उत्तर प्रदेश में लोकसभा जितना ही दिलचस्प होने जा रहा है 10 विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव
उत्तर प्रदेश में लोकसभा जितना ही दिलचस्प होने जा रहा है 10 विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव

यूपी बीजेपी में मची हलचल करीब करीब शांत होती लग रही है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार की समीक्षा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब राज्य की 10 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों की तैयारी में जुट गये हैं - और 2027 को लेकर उनकी अपील पर सहयोग के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी तैयार हो गये हैं. 

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दूसरी छोर से अखिलेश यादव भी बीजेपी को ललकार रहे हैं. अखिलेश यादव का दावा है कि लोकसभा चुनाव में पीडीए और इंडिया गठबंधन की जीत के बाद 2027 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, बीजेपी का सफाया कर देगी. अखिलेश यादव का कहना है कि अयोध्या ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी है, और समाजवादी पार्टी की सरकार बनने पर अयोध्या को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाया जाएगा. 

केशव प्रसाद मौर्य की तरफ से संगठन बनाम सरकार की बहस शुरू किये जाने के बाद बीजेपी में उथल-पुथल को लेकर अखिलेश यादव ने सोशल साइट एक्स पर लिखा है, तोड़फोड़ की राजनीति का जो काम बीजेपी दूसरे दलों में करती थी, अब वही काम वो अपने दल के अंदर कर रही है.

बीजेपी की तरफ से डिप्टी सीएम मौर्य ने भी X पर ही जवाब दिया है. लिखा है, सपा का PDA धोखा है... यूपी में सपा के गुंडाराज की वापसी असंभव है, भाजपा 2027 विधानसभा चुनाव में 2017 दोहराएगी.

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बेशक उप चुनावों में भी मुख्य लड़ाई बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही होगी, लेकिन राहुल गांधी कांग्रेस के लिए तो मायावती भी बीएसपी के लिए मैदान में डटी हुई हैं - देखा जाये तो ये चुनाव यूपी के सभी राजनीतिक दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है.

योगी बनाम अखिलेश फिर से

उपचुनाव भले ही 10 सीटों पर होने जा रहे हों, लेकिन सबसे दिलचस्प लड़ाई मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाली है, जिसे अयोध्या पार्ट 2 के रूप में देखा जा सकता है. 

फैजाबाद की मिल्कीपुर विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद के लोकसभा पहुंच जाने की वजह से खाली हुई है - और जिस तरीके से अखिलेश यादव, अवधेश प्रसाद को अयोध्या के सांसद के रूप में पेश करते हुए बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं, मिल्कीपुर जीतने के लिए बीजेपी ने भी पूरी ताकत लगा दी है. 

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप चुनावों के लिए मंत्रियों की एक टास्क फोर्स बना दी है, जिसे सुपर स्पेशल 30 भी कहा जा सकता है, क्योंकि इस टीम में यूपी के 30 मंत्रियों को शामिल किया गया है - ध्यान देने वाली बात ये है कि स्पेशल टीम में दोनो में से किसी भी डिप्टी सीएम को जगह नहीं मिली है. 

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कोई चाहे तो इसे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का खास संदेश भी समझा जा सकता है.   

मुकाबला बराबरी पर है, नतीजे क्या होंगे

दिल्ली में अखिलेश यादव के बराबर अटेंशन लेने वाले अवधेश प्रसाद के लिए भी मिल्कीपुर उप चुनाव इम्तिहान जैसा ही है - अवधेश प्रसाद फैजाबाद सीट जैसा करिश्मा मिल्कीपुर में दिखा पाते हैं या नहीं हर किसी को इंतजार होगा. 

जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, फिलहाल मुकाबला बराबरी का लगता है. दस में से चार सीटें जहां समाजवादी पार्टी के विधायकों के सांसद बन जाने से खाली हुई हैं, वहीं पांच सीटों पर अभी एनडीए का कब्जा है. कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट तो सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा हो जाने की वजह से खाली हुई है. 

2022 में सपा के हिस्से में आईं पांच सीटों पर पलड़ा तो उसी का भारी लगता है. मैनपुरी की करहल सीट अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद बन जाने की वजह से खाली हुई है. मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से जियाउर्रहमान बर्क विधायक थे, जो अब सांसद बन चुके हैं - और वो सीट भी सपा के लिए करहल जैसी ही है. 

बीजेपी के हिस्से की फूलपुर, मझवां और गाजियाबाद के उसके पास बने रहने की संभावना हो सकती है, लेकिन मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट आसान नहीं होगी. 2022 में सपा और आरएलडी के बीच गठबंधन था, लेकिन लोकसभा चुनाव में जयंत चौधरी के बीजेपी में चले जाने के बाद समीकरण बदल गये हैं, जाहिर है हालात भी बदले हुए होंगे. मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट गंवा चुकी बीजेपी के लिए आरएलडी के लिए कहां तक मददगार साबित होगी, कहा नहीं जा सकता. मीरापुर में समाजवादी पार्टी का खासा प्रभाव माना जाता है.   

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अखिलेश और राहुल में फिर फंसेगा पेच

लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने राहुल गांधी को खूब छकाया था. जब तक समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा फाइनल नहीं हुआ, अखिलेश यादव ने राहुल गांधी की न्याय यात्रा में शामिल होने तक से इनकार कर दिया था - लेकिन चुनाव बाद बहुत कुछ बदल चुका है. 

अगर अखिलेश यादव यूपी के मजबूत नेता बनकर उभरे हैं, तो राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता बन चुके हैं - और कांग्रेस का जोश भी बहुत हाई है. ऐसे में उप चुनाव के लिए भी सीटों पर मोलभाव शुरू हो गया है. 

सुनने में आ रहा है कि कांग्रेस ने अपने लिए 4 सीटों की मांग रखी है, लेकिन अभी समाजवादी पार्टी इसके लिए तैयार नहीं बताई जा रही है. कांग्रेस की तरफ से जिन 4 सीटों की डिमांड रखी गई है, वे हैं - मझवां, फूलपुर, मीरापुर और कुंदरकी विधानसभा क्षेत्र.

मुश्किल ये है कि मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से जियाउर्रहमान बर्क विधायक थे, और वहां मुस्लिम आबादी होने की वजह से समाजवादी पार्टी का खासा दबदबा है - कांग्रेस चाहे जो भी दावा करे, यूपी में तो चलेगी अखिलेश यादव की ही. 

आकाश आनंद का बड़ा इम्तिहान 

उत्तर प्रदेश में बीएसपी के पास महज एक विधायक है, जबकि लोकसभा चुनाव में 2014 की तरह फिर से खाता तक नहीं खुल सका है. लेकिन मायावती की दिलचस्पी उप चुनाव में लोकसभा से भी ज्यादा लग रही है - ऐसा लगता है ये भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद के नगीना लोकसभा सीट से संसद पहुंच जाने का प्रभाव है.

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चंद्रशेखर आजाद ने भी सभी सीटों पर उप चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है. बीएसपी की उप चुनाव में खास दिलचस्पी की बड़ी वजह भी यही लगती है - और इसके लिए मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को मोर्चे पर तैनात किया है.

लोकसभा चुनावों के बीच ही मायावती ने आकाश आनंद को अपरिपक्व बताते हुए बीएसपी के नेशलन कोऑर्डिनेटर के पद से हटा दिया था, लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद उनको फिर से अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए नेशनल कोऑर्डिनेटर भी बना दिया. 

देखें तो आकाश आनंद के लिए उप चुनाव इम्तिहान जैसे ही हैं - और उनका प्रदर्शन भी इस बात पर निर्भर करता है कि मायावती की तरफ से आकाश आनंद को फ्री-हैंड कितना मिलता है. 
 

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