उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संकेत दिए हैं कि हिंदुत्व के प्रति उनके रुख में अभी कोई बदलाव नहीं होने वाला है. कोई कुछ भी कहे, वे अपनी ही बनाई लाईन पर चलने वाले नेता हैं. एकदम दो टूक. बिना घुमाए फिराए सीधी बात कहने और करने वाले. सांप्रदायिक सद्भाव पर उनका फॉर्मूला लिबरलों से बिल्कुल मेल नहीं खाता. हिंदू संस्कृति के बचाव को लेकर उनके विचार एकदम स्पष्ट हैं. किसी वोटबैंक की फिक्र किए बिना.
कुंभ मेले में आयोजित आजतक के कार्यक्रम धर्म संसद में योगी आदित्यनाथ जब संभल और वक्फ बोर्ड को लेकर तीखी बात कहते हैं, तो साफ समझा जा सकता है कि विवादित मुद्दों पर उनसे किसी तरह की नरमी की उम्मीद करना फिजूल है. प्रयाग महाकुंभ में मुसलमानों के प्रवेश पर प्रतिबंध के सवाल पर योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि यहां सभी लोग आ सकते हैं, सबका स्वागत है. लेकिन यदि कोई ये दावा करने के लिए आएगा कि महाकुंभ की जमीन हमारी है और हम इस पर कब्जा करेंगे, तो उन्हें डेंटिंग-पेंटिंग का सामना करना पड़ सकता है. योगी आदित्यनाथ अपनी चेतावनी में वक्फ बोर्ड को भी जोड़ लेते हैं. इतना ही संभल में हरिहर मंदिर के मुद्दे पर भी वो झुकने वाले नहीं हैं. सीएम योगी ने कहा, दोनों तरह के साक्ष्य हैं- शास्त्रीय प्रमाण हैं और आस्था के साक्ष्य भी हैं. मुझे लगता है कि न्यायालय को हस्तक्षेप करने की नौबत न आए बल्कि इस्लाम के अनुयाइयों को बड़े सम्मानजनक ढंग से कहना चाहिए कि ये आपकी है. आप अपनी अमानत को संभालिए. मतलब साफ है कि हिंदुत्व के ध्वज वाहक के रूप में योगी आदित्यनाथ का कारवां रुकने वाला नहीं है.
1-उपचुनावों में मिली जीत और मिल्कीपुर का टार्गेट
योगी आदित्यनाथ अपने 'बंटोगे तो कटोगे' के नारे को संदर्भ सहित समझाते हुए कहते हैं कि हमारा इतिहास ये बताता है कि जब जब हम बंटे हैं. हमें समूहों और जातियों में बांटा गया है, हम तब तब कटे हैं. योगी स्पष्ट करते हैं कि हमें बाहरी खतरे से तो सावधान रहना ही चाहिए, लेकिन हमारा ज्यादा नुकसान आस्तीन के सांपों ने किया है. यहां वे फिर जातिगत राजनीति करने वालों पर हमला करते हैं. योगी आदित्यनाथ को पता है कि उत्तर प्रदेश में राजनीति करनी है तो हिंदुत्व की तलवार से ही जातिवादी राजनीति को खत्म किया जा सकता है. यही फॉर्मूला उपचुनावों में कामयाब हुआ है. और प्रतिष्ठा वाली सीट मिल्कीपुर में भी यही काम आएगा. मिल्कीपुर (अयोध्या लोकसभा सीट की एक विधानसभा) की जीत से योगी लोकसभा चुनावों में अयोध्या की हार का बदला ले सकेंगे. अयोध्या में हारा का कारण जातिवादी राजनीति को ही बताया गया था.योगी को उम्मीद है कट्टर हिंदुत्व ही मिल्कीपुर में इस बार बीजेपी की लाज बचाएगा.
यही कारण है कि योगी आदित्यनाथ पूजा स्थल कानून को रिव्यू करने की जरूरत पर जोर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि न्यायालय इस मामले को देख रहा है और देखेगा भी. वे कहते हैं कि आस्था का जरूर सम्मान होगा. भारत एक आस्थावान देश है, ये महाकुंभ का आयोजन उस आस्था का एक प्रतीक है, जहां पर देश और दुनिया का हर आस्थावान व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के यहां पर आएगा. जाहिर है कि योगी के नजर में सभी मिल्कीपुर की सीट को किसी भी सूरत पर जीतना है.
2- 2027 के विधान सभा चुनाव में वक्फ बोर्ड बनेगा बड़ा मुद्दा
क्या कुंभ में मुसलमान आ सकते हैं के जवाब में योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि जो कोई भी भारतीय परंपराओं का सम्मान करता है, उसका स्वागत है. कई लोगों के पूर्वज दबाव में आकर इस्लाम धर्म अपना लिए थे, फिर भी वे भारतीय परंपराओं पर गर्व करते हैं.
अगर ऐसे लोग, जो परंपराओं का पालन करते हैं, गंगा में डुबकी लगाने आते हैं, तो कोई समस्या नहीं है. लेकिन अगर कोई जमीन पर दावा करने के इरादे से आता है, तो उन्हें डेंटिंग-पेंटिंग का सामना करना पड़ सकता है. जाहिर है कि योगी आदित्यनाथ का इशारा वक्फ बोर्ड के दावे पर जिसमें महाकुंभ की जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति बताया गया है. डेंटिंग पेंटिंग जैसे हार्ड शब्दों का यूज करने का मतलब है कि यह बात योगी को बहुत नागवार लगी होगी. योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहते हैं कि राज्य सरकार हर इंच जमीन वापस लेगी, जो वक्फ के बहाने कब्जा की गई है. कुंभ हजारों वर्षों से भारत की धरोहर का प्रतीक रहा है और हमेशा यहां हुआ है। यह वक्फ बोर्ड नहीं बल्कि भूमाफियाओं का बोर्ड है. जाहिर है कि 2027 में उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए यह बड़ा मुद्दा मिल गया है.
योगी आदित्यनाथ की ये टिप्पणी ऑल इंडिया मुस्लिम जमात (एआईएमजे) के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी के उस बयान के जवाब में आई है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि महाकुंभ 2025 की तैयारियों के लिए जिस जमीन का उपयोग किया जा रहा है, वह वक्फ की है और मुसलमानों की एंट्री पर पाबंदी लगाई जा रही है.
3-पार्टी में अपने अस्तित्व को बचाए रखने का संकट
संभल में हुई हिंसा के बाद संभल पुलिस एक्शन में है. लगातार मंदिर, कुएं, बावड़िया वगैरह मिल रही हैं. माना जा रहा है कि संभल अगला अयोध्या बनने वाला है. जाहिर है कि योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के सबसे बड़े खिलाड़ी जब तक बने रहेंगे, उनको पार्टी के अंदर भी कोई चैलेंज करने के लिए सामने नहीं आएगा. योगी का यह दूसरा टर्म है. किसी भी पार्टी में किसी भी बड़े नेता को जितना बाहरी लोगों से टक्कर लेना पड़ता है उससे अधिक उसे अपनी पार्टी के लोगों से खतरा होता है. योगी जानते हैं कि संभल के मुद्दे पर वह हिंदुत्व को आसानी से अपने पक्ष में खड़ा कर लेंगे और पार्टी के अंदर उनका वर्चस्व बना रहेगा. आज तक की धर्म संसद में वह आइन-ए-अकबरी का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि 1526 में श्री हरि विष्णु मंदिर को तोड़कर ढांचा खड़ा किया गया है. जो भी चीजें हुई हैं, उस पर अगर हिंदू आस्था आग्रह करती है, तो सुना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि नए भारत के लिए उस आस्था को बहुत पवित्रता के साथ देश के निर्माण और 140 करोड़ भारतीयों को कल्याण के लिए आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.उन्होंने आगे कहा, देश मुस्लिम लीग की मानसिकता से नहीं चलेगा, भारत की आस्था के अनुरूप चलेगा. हमने दुनिया के हर संप्रदाय के लोगों को आश्रय दिया है.
4-आरएसएस और पीएम मोदी का रुख
'धरोहर को पुनः प्राप्त करना बुरी बात नहीं है. अब संभल में सनातन प्रमाण दिख रहा है. विवादित ढांचों को मस्जिद नहीं कहा जाना चाहिए. भारत मुस्लिम लीग की मानसिकता से नहीं चलेगा.' आदित्यनाथ ने यह सभी बातें उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद विवाद का जिक्र करते हुए कहीं हैं.
हां, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जरूर मंदिर-मस्जिद विवादों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की और लोगों को ऐसे मुद्दों को उठाने से बचने की सलाह दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो एकतरफ चुनावों में एक हैं तो सेफ हैं का नारा देते हैं, वहीं दूसरी ओर सर्वधर्म सद्भाव का उदाहरण पेश करते हुए अजमेर शरीफ दरगाह के उर्स पर अपनी ओर से चादर भेज रहे हैं.