आजतक रेडियो' के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में आज सुनेंगे कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे बसवराज बोम्मई की कहानी, कैसा है उनका राजनीतिक सफर, उनके मुख्यमंत्री चुने जाने के पक्ष में कौन सी बातें रहीं. चर्चा कोरोना पर होगी जहां पर मामले कम लेकिन पॉजिटिविटी रेट बढ़ा रहा चिंता. किसान और सरकार में बढ़ती तकरार, कर्ज में डूबता अन्नदाता, इस मुद्दे पर भी होगी विस्तार से बात.
आजतक रेडियो पर हम रोज़ लाते हैं देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियां और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब किताब. आगे लिंक भी देंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं.
1. कर्नाटक के नए सीएम होंगे बसवराज बोम्मई, क्या मायने?
दक्षिण भारत में भारतीय जनता पार्टी के इकलौते दुर्ग कर्नाटक की, जहां इस दुर्ग के सबसे ज़रूरी स्तम्भ बीएस येद्दयुरप्पा की रुख़्सती के बाद से ही नए नाम को लेकर कल दिनभर क़यास लगाया जाता रहा. फिर आखिरकार, कल रात बसवराज बोम्मई को कर्नाटक का नया मुख्यमंत्री चुन लिया गया, कहा जा रहा कि उनके अलावा 3 उप- मुख्यमंत्री भी बनाये जाने की चर्चा है.परसों ही राज्य सरकार के 2 साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जी किशन रेड्डी को कर्नाटक का ऑब्जर्वर बनाया था, इसी कड़ी में कल बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक हुई. बैठक में कार्यवाहक मुख्यमंत्री येदुरप्पा ने बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया और फिर कल रात धर्मेंद्र प्रधान ने ऐलान किया कि बसवराज कर्नाटक के नए CM होंगे.
अब आज दोपहर बसवराज बोम्मई सीएम पद की शपथ लेंगे. लेकिन प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बोम्मई का प्रोफ़ाइल और बैकग्राउंड क्या है, उनके मुख्यमंत्री चुने जाने के पक्ष में कौन सी बातें हैं ? और पार्टी लिंगायत से हटकर वोक्कालिगा, ब्राह्मण और दलित मुख्यमंत्री के नामों पर विचार कर रही थी, लेकिन फिर घूम फिर कर आख़िर भाजपा लिंगायत से बाहर किसी और को क्यों नहीं चुन पाई ? नए मुख्यमंत्री के सामने किस तरह के चैलेंजेस होंगे जिनसे उन्हें पार पाना होगा आने वाले दिनों में ?
2. कोरोना मामले कम, पॉजिटिविटी ज्यादा क्यों?
मंगलवार को भारत में कोरोना के 30 हज़ार से कम केसेस दर्ज़ किए गए. ये 16 मार्च 2021 के बाद सबसे कम है. जब ऐसे माहौल में जहां कोरोना की तीसरी लहर की आशंका हो और उसी दरम्यान इतने कम केसेस दर्ज हो तो राहत की बात हो जाती है. हालांकि केसेस तो कम हो रहे हैं लेकिन इसके साथ ही पॉजिटिविटी रेट बढ़ रहा है. जो चिंता की बात है. लेकिन सवाल यही है कि ये पॉजिटिविटी रेट क्या ऑल इंडिया बढ़ रहा है या फिर कुछ ही राज्य हैं जहां पॉज़िटिविटी रेट बढ़ा है और इसके पीछे की वजह क्या है?
अच्छा अब इन बढ़ते केसेस तो कभी कम होते केसेस, पॉजिटिविटी रेट के बीच एकमात्र हथियार है कोरोना वैक्सीन. 21 जून से सबके लिए फ्री वैक्सीनेशन का कैंपेन शुरू किया गया था. केंद्र सरकार ने वैक्सीन खरीद की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी और निजी अस्पतालों के अलावा बाकी सब जगह फ्री वैक्सीनेशन का ऐलान हुआ. लेकिन उसके अगले दिन ही वैक्सीनेशन का आंकड़ा गिर गया था. साथ ही भारत सरकार ने इस साल के अंत तक अपनी पूरी एलिजिबल आबादी यानी करीब 94 करोड़ के कोरोना वैक्सीनेशन का टारगेट रखा है. लेकिन इसके पूरा होने की आशंका हर गुजरते महीने के साथ कम हो रही है. आलम ये है जुलाई का ही टारगेट पूरा नहीं हो सका है. तो आखिर टारगेट को अचीव करने में दिक़्क़त कहां आ रही है?
3. किसानों पर बढ़ता कर्ज, क्या समाधान?
मौजूदा मॉनसून सत्र में विपक्ष पेगासस जासूसी, कोविड मिस मैनेजमेंट के अलावा जिस एक मुद्दे पर बहुत आक्रामक है , वो है किसानों के हितों को लेकर, प्रतीकात्मक तौर पर जब राहुल गांधी ट्रैक्टर से संसद पहुंचे तो उसने विपक्ष की मनःस्थिति को बयान किया कि वे किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते, इसी कड़ी में एक मुद्दा समय-समय पर किसानों पर भारी कर्ज का भी है, किसानों के मुद्दे को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री भागवत किशनराव कराड ने कल एक जवाब देते हुए बताया कि देश के किसानों पर फिलहाल करीब 17 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है और फिलहाल केंद्र सरकार की कर्ज माफी की कोई योजना नहीं है.
सरकारी जवाब के मुताबिक तमिलनाडु के किसान सबसे ज्यादा कर्ज में डूबे हैं. तमिलनाडु के किसानों पर 1.89 लाख करोड़ का क़र्ज़ है. दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश के किसान हैं जिन पर 1.69 लाख करोड़ का क़र्ज़ है. और तीसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश है. जहां किसानों पर कर्ज की राशि 1.55 लाख करोड़ है. लेकिन किसान ही आख़िर इतने क़र्ज़ में क्यों फंसा रहता है? इसकी वजह क्या हैं ? कर्ज़ से प्रभावित राज्यों में दक्षिण के राज्य क्यों टॉप पर हैं?
इन सब ख़बरों पर विस्तार से बात के अलावा हेडलाइंस,आज के दिन की इतिहास में अहमियत और सीधे टोक्यो से ओलंपिक अपडेट सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.