पूरे देश की नजरें किसान और केंद सरकार के बीच 8वें दौर की मीटिंग पर थी. 40 दिन से चले आ रहे क्राइसिस के साल्यूशन की आस इस मीटिंग से थी. लेकिन चार घंटे के मंथन का नतीजा शून्य रहा,यानी गतिरोध खत्म नहीं हुआ,एक बार फिर नई तारीख सामने आई. अब बातचीत की नई तारीख आ गई यानी आठ जनवरी को फिर एक बार किसान और केंद्र सरकार टेबल पर बैठकर बात करेंगे. अब चार दिनों तक केंद्र सरकार फिर मंथन करेगी,यानी कृषि सुधार कानन रद्द होगा या फिर केंद्र सरकार संशोधन पर अडिग रहेगी. सवाल ये भी है कि अगर किसानों का रुख साफ है कि तीनों कृषि कानून रद्द किए बिना कोई समाधान नहीं होगा, तो ऐसे में बार-बार बातचीत से पहले सरकार अपना रूख क्यों साफ नहीं करती?