अक्सर यह सवाल उठता है कि नादान इंसान बेहतर है या होशियार इंसान... वैसे भी कहा ये जाता है कि सही मायने में नादान इंसान ही जिंदगी का आनंद लेता है. होशियार तो हमेशा उलझे रहते हैं किसी ना किसी जुगत में. इस कहावत का इशारा इस तरह है कि होशियारी उतनी ही रहनी चाहिए. जितनी जरूरत हो जिंदगी जीने के लिए. अगर हर समय सतर्क रहेंगे तो जिंदगी का आनंद नहीं ले पाएंगे.