जिंदगी हमें अपने ही तरीके से समझती है. कभी ढेर सारी खुशियां दे देती है. यह देखने के लिए कि कहीं हम इन खुशियों में पागल तो नहीं हो गए हैं. कभी हमें ढेर सारी मुश्किलों में उलझा देती है. यह देखने के लिए कहीं हम बिखर तो नहीं गए. इन्हीं दोनों के बीच हमें अपना संतुलन बनाना पड़ता है. हमें अपने आपको संभालना पड़ता है. हमें अपने आपको संवारना पड़ता है. यही वो वक्त है जो हमें मांझता भी है.