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एंकर चैट: चुनावी मजबूरी, जाति जनगणना ज़रूरी?

एंकर चैट: चुनावी मजबूरी, जाति जनगणना ज़रूरी?

मशहूर कवि गोरखपांडे ने लिखा कि समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आई. हाथी से आई, घोड़ा से आई. नोटवा से आई, बोटवा से आई. लेकिन जो सियासी हालात हैं उसमें कहा जा रहा है कि समाजवाद बबुआ जाति से आई. जाति जनगणना की मांग तेज होने लगी है. क्षेत्रीय पार्टियां लामबंद होने लगी हैं. आज बिहार की पार्टियों ने नीतीश की अगुवाई में पीएम मोदी से मुलाकात की. तो क्या ये कमंडल बनाम मंडल पार्ट-2 की तैयारी है. इसी मुद्दे पर आजतक के दर्शकों ने अंजना ओम कश्यप के साथ रखी अपनी बात और पूछे सवाल क‍ि क्या चुनावी मजबूरी, जाति जनगणना ज़रूरी?

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