समुद्र मंथन में निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया. भक्तों को विष से बचाने के लिए महादेव ने जो किया उसका लाभ धरती वासियों को अभी तक मिल रहा है. भगवान शिव की अराधना में ही सुख की कुंजी है.