चाल चक्र में आज हम आपको बताएंगे भगवान जगन्नाथ और रथयात्रा के बारे में. भगवान जगन्नाथ जी की मुख्य लीला भूमि उड़ीसा की पुरी है जिसको पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है. राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं और कृष्ण भी उनका एक अंश हैं. उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की काष्ठ की अर्धनिर्मित मूर्तियाँ स्थापित हैं, जिनका निर्माण राजा इन्द्रद्युम्न ने कराया था. भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार जनसामान्य के बीच जाते हैं, इसलिए इसका इतना ज्यादा महत्व है. भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को जगन्नाथपुरी में आरंभ होती है, और दशमी तिथि को समाप्त होती है. रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज पर श्री बलराम, उसके पीछे पद्म ध्वज रथ पर माता सुभद्रा व सुदर्शन चक्र और अंत में गरुण ध्वज पर या नंदीघोष नाम के रथ पर श्री जगन्नाथ जी सबसे पीछे चलते हैं.
Jagannath Rath Yatra festival is dedicated to Lord Jagannath (Lord Krishna), his sister Goddess Subhadra and his elder brother Lord Balabhadra or Balaram. Jagannath Rath Yatra is widely celebrated and one of the biggest festivals of India where millions of devotees arrive and participate in the Rath Yatra processions and seeks blessings of Lord Jagannath. Jagannath Rath Yatra is organised at Puri in Odisha. It is believed that Lord Jagannath every year wishes to visit his birthplace. Various stories are associated with this festival.