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चाल चक्र: क्या है पितृपक्ष और क्या है इसकी परंपरा?

चाल चक्र: क्या है पितृपक्ष और क्या है इसकी परंपरा?

चाल चक्र में आज हम आपको बताएंगे पितृपक्ष और इसकी परंपरा के बारे में. भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण अमावस्या तक पितृपक्ष होता है. इस समय में हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं. इसमें उनके द्वारा किए गए उपकारों के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं. इस पूरी अवधि में हम अपने खान पान, आचरण और व्यवहार में परिवर्तन करते हैं. यह समय पुण्य प्राप्त करने का होता है. इसमें हम अपनी तमाम समस्याओं का निवारण भी कर सकते हैं. तर्पण न करने के परिणाम  गंभीर हो सकते हैं और तमाम समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है. इस समय नए और शुभ कार्य करने की वर्जना होती है. जिन पुरुषों के माता पिता जीवित हैं और जिन स्त्रियों के सास ससुर जीवित हैं, उनके ऊपर पितृ पक्ष के नियम लागू नहीं होते. इस बार पितृपक्ष 13 सितंबर से 28 सितंबर तक रहेगा.

Pitru Paksha is a 16 day period when Hindus pay homage to their ancestors through the offerings of food and money. It is celebrated from the Bhadrapada Poornima of Ashwin month to Amavasya of Ashwin month. Pitru Paksha dates keep changing every year. This year, it will begin from 13th September and will end on September 28 with the Amavasya also known as Sarvapitri Amavasya or Mahalaya Amavasya.

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