चाल चक्र में आज जानें क्या है आलस्य में ग्रहों की भूमिका. कुंडली का तीसरा, छठा और ग्यारहवां भाव पराक्रम का होता है. इन भावों के मजबूत होने पर व्यक्ति कर्मठ होता है. जबकि इन भावों के कमजोर होने पर व्यक्ति आसली हो जाता है. शनि कमजोर हो तो आलस्य की संभावना ज्यादा होती है.अग्नि तत्व के कमजोर होने पर भी व्यक्ति के अंदर आलस्य आ जाता है. चंद्रमा और शुक्र भी आलस्य में बड़ी भूमिका निभाते हैं. जल और वायु की राशियों में आलस्य की संभावना ज्यादा होती है. चंद्रमा प्रभावित आलस लगातार नहीं रहता. मन की स्थितियों के आधार पर आता-जाता रहता है. ऐसी स्थिति में रोज स्नान जरूर करें. स्नान के बाद शरीर को रगड़कर सुखाएं. रोज सुबह बोल-बोलकर गायत्री मंत्र का जाप करें. नारंगी रंग का प्रयोग करें. रात में भोजन जल्दी से जल्दी करें.