आज दंगल में मुद्दा था कि कोरोना का धर्म किसने बताया? ये सवाल हमने इसलिए उठाया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहना पड़ा है कि कोरोना धर्म, नस्ल, जाति देखकर नहीं हमला करता, हमें एकजुट रहना होगा.सवाल उठता है कि क्या तबलीगी जमातियों के कोरोना मामलों की वजह से कोरोना पर सांप्रदायिक राजनीति हुई? 25 मार्च से चल रहे लॉकडाउन के दौरान रामनवमी, ईस्टर, शब-ए-बारात और ओडिया नया वर्ष जैसे त्योहार पड़े हैं लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हुआ है तो वहीं कोरोना के मामलों को छुपाने और एकसाथ नमाज पढ़ने जैसी घटनाएं भी हुई हैं तो मजहब के आधार पर भेदभाव के मामले भी सामने आए हैं. इसलिए हमारा सीधा सवाल है कि ये नौबत क्यों आई? आखिर कोरोना पर धर्म को किसने बीच में लाकर खड़ा कर दिया?