2009 से मसूद अजहर पर अटके संयुक्त राष्ट्र के बैन पर कल सफलता मिली है, लेकिन अब देश में इस पर राजनीति शुरू हो गई है. उमर अब्दुल्ला और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने बैन के प्रस्ताव में पुलवामा का जिक्र न होने को लेकर सरकार को घेर लिया है और कहा है कि ये बैन सिर्फ दिखावटी है. वहीं, कमलनाथ और मायावती जैसे नेताओं को लग रहा है कि इस बहाने सरकार चुनावी राजनीति में जुट गई है. उधर बीजेपी का दावा है कि ये सरकार के कूटनीतिक प्रयासों की जीत है, जिस पर पूरे देश को गर्व होना चाहिए. उधर विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि भारत ने मसूद अजहर के खिलाफ UN की सैंक्शन कमेटी को जो सबूत दिए उसका नतीजा है कि उस पर बैन लग सका. विदेश मंत्रालय के मुताबिक पुलवामा की घटना ने बैन लगने में रोल निभाय़ा है.
Masood Azhar is the leader of Jaish-e-Mohammed (JeM), which carried out a suicide bombing in February killing 40 troops in Pulwama. The UN move comes after China dropped its objection to the listing. BJP government hailed it as a diplomatic victory and creaming it out in the polls of 2019. But the leaders of opposition are saying that BJP is using this agenda for the electoral benefit.