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दंगल: कोर्ट की दलीलों में राम के अस्तित्व को नकारना सही है?

दंगल: कोर्ट की दलीलों में राम के अस्तित्व को नकारना सही है?

राम क्या सिर्फ एक कल्पना हैं, काव्य का एक किरदार हैं? ये बहस अयोध्या केस में चल रही सुन्नी वक्फ बोर्ड की दलीलों से उठ खड़ी हुई है.  बीते 4 दिनों से अपना पक्ष रख रहे सुन्नी वक्फ बोर्ड ने रामायण को वाल्‍मीकि की कल्पना कहा है. हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने जब विवादित स्थल पर बाबरी मस्जिद होने के दावे को लेकर बहुत सारी दलीलें रखी हैं तो ये माना है कि वहां बाहरी चबूतरे पर पूजा होती आई है. 2007 में रामसेतु के मामले को लेकर कोर्ट में यूपीए सरकार ने भी राम के अस्तित्व से इनकार किया था, हालांकि अगले ही दिन यूपीए सरकार अपने इस दावे से पलट गई थी. अयोध्या केस में विवादित स्थल के मालिकाना हक की सुनवाई सबूतों और दलीलों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट को करना है, लेकिन हमारा सवाल है कि कोर्ट की दलीलों में राम के अस्तित्व को नकारना सही है? क्या राम के नाम पर सब छूट है? क्या ये राम का अपमान नहीं?

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