इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भारत दौरे पर भी हिंदू-मुसलमान का राग शुरू हो गया है. लेफ्ट पार्टियों ने नेतन्याहू के दौरे का विरोध किया है. करगिल में मुस्लिम संगठनों ने नेतन्याहू के खिलाफ़ नारे लगा कर, इज़रायल के साथ भारत की दोस्ती पर सवाल उठाए हैं. ऐसे समय में जब भारत और इज़रायल के बीच – ऊर्जा, साईबर सिक्योरिटी, तेल, जैसे क्षेत्रों में नौ बड़े समझौते हुए हैं – विपक्ष ने एक तरह से नेतन्याहू के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. मोदी सरकार, इज़रायल को राष्ट्रवादी सोच वाला देश बता कर – हमेशा इज़रायल से बेहतर रिश्तों की वकालत करती रही है. बेशक इन रिश्तों की शुरूआत कांग्रेस के दौर में ही हुई, लेकिन कांग्रेस पर बीजेपी का आरोप है कि मुसलमान वोट बैंक को खुश रखने के लिए , मोदी से पहले किसी प्रधानमंत्री ने इज़रायल का दौरा नहीं किया.