कर्नाटक में चुनावी शंखनाद फूंका जा चुका है - 12 मई को वोटिंग और 15 मई को नतीजे ये तय कर देंगें कि कर्नाटक का किला कांग्रेस बचा सकेगी या बीजेपी दक्षिण के दंगल में विजय दर्ज करेगी. सवाल ये भी है कि हार पर हार के बाद कांग्रेस अपने राज्य पर पंजा बरकरार रखेगा या सत्ता का कमल खिलेगा. मठों से लेकर मंदिरों तक राहुल और अमित शाह मत्था टेक रहा हैं लेकिन वोट देवता का फैसला अभी बाकी है. उपर से बीजेपी के आईटी सेल के मुखिया ने आयोग से पहले तारीखें बताकर जैसे सेल्फ गोल कर दिया है.