मध्य प्रदेश के धार में एक भर्ती प्रक्रिया के दौरान दलित उम्मीदवारों के छाती पर जाति लिखे जाने का मामला तूल पकड़ चुका है. खुद बीजेपी के दलित नेता इसे caste profiling कह रहे हैं. निशाने पर आई शिवराज सरकार ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं. इस मामले के मद्देनजर हम बड़ा सवाल उठाना चाहते हैं कि क्या ये सिस्टम में मौजूद दलित विरोधी मानसिकता का नतीजा है? या फिर मोदी राज में ही दलितों को सम्मान नहीं मिल रहा है? या फिर ये दोनों का मिलाजुला असर है? जब हम ये सवाल पूछ रहे हैं तो हमारे सामने अभी रविवार को ही बुद्ध पूर्णिमा पर हुए दलितों के धर्म परिवर्तन का मामला भी सामने हैं. गुजरात के उना में दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया इनमें वो परिवार भी शामिल है जिन्हें कथित गोरक्षकों ने 2016 में पीटा था. वैसे तो मोदी सरकार खुद को दलितों का शुभचिंतक बताती है, लेकिन क्या दलितों को लेकर सरकार की कथनी और करनी में फर्क है?