2007 के मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस का आज फैसला आया है जिसमें सबूतों के अभाव में असीमानंद समेत सभी 5 आरोपी बरी कर दिए गए हैं. ये केस सिर्फ चंद लोगों के बरी हो जाने का नहीं है. बल्कि ये केस उस सियासत का भी है जिसमें राजनीति ने हिंदू या भगवा आतंकवाद जैसे जुमले इस्तेमाल किए थे. इसलिए जब ये आरोपी बरी हुए हैं तो सवाल उठा है कि क्या सियासी फायदे के लिए हिंदुओं को बदनाम किया गया था? राजनीति ने कई बार बताया है कि आतंकवाद का मजहब नहीं होता लेकिन मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस, मालेगांव ब्लास्ट केस और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस जैसे मामलों के बाद हिंदू आतंकवाद की बात की गई थी. हालांकि, अब कोई ऐसे शब्द इस्तेमाल नहीं कर रहा है लेकिन बीजेपी के विरोधी अभी भी कह रहे हैं कि जानबूझकर NIA की जांच कमजोर होने दिया गया.