एक समय कट्टर हिंदुत्व की झंडाबरदार मानी जाने वाली शिवसेना की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार और देश के साधु संतों के बीच , इस समय तलवारें खिंची हुई हैं. महाराष्ट्र के पालघर में दो संतों की लिंचिंग की घटना के बाद से देश भर के साधु संत महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ़ लामबंद हो रहे हैं. जूना अखाड़े से जुड़े दो साधुओं को लॉकडाउन के दौरान ही घेर कर मार दिए जाने की वारदात के बाद से महाराष्ट्र की सरकार और पुलिस दोनों निशाने पर हैं. सरकार ने ये सोच कर राहत की सांस ली थी कि मामले में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. 110 लोग पकड़ भी लिए गए थे. लेकिन बीजेपी और आरएसएस ने सरकार के खिलाफ़ हाथ आए इस मौके को भुनाने में देर नहीं की. संघ से जुड़े संगठन वनवासी कल्याण आश्रम ने मामले में धर्मांतरण की साज़िश का भी आरोप लगा दिया है. अब कांग्रेस और एनसीपी के सहारे सरकार चला रही शिवसेना के सामने दोहरी चुनौती है. हिंदुत्व का मुखौटा बचाए रखने की भी और सेक्युलरिज़्म की कसमों पर बनी सरकार की छवि बनाए रखने की भी.ऐसे में आज हमारे साथ देश के कई बड़े साधु-संत होंगे, जिनसे पूछेंगे हम कि कोरोना की महामारी के इस दौर में भी, जब पूरा देश लॉकडाउन में है क्या साधु-संत नाराज़गी का इज़हार कर के सही मिसाल पेश कर रहे हैं?