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दंगल: आतंकवाद और सीजफायर साथ-साथ कैसे चलेगा?

दंगल: आतंकवाद और सीजफायर साथ-साथ कैसे चलेगा?

कश्मीर में आतंकवाद नहीं रुका है लेकिन सेना की बंदूकें आज से तब तक नहीं गरजेंगी जब तक उन पर हमला न हो. रमजान के नाम पर आज से वहां एंटी टेररिज्म ऑपरेशंस पर सीजफायर लागू हो गया है. एक हफ्ते पहले जब महबूबा सरकार ने इसकी मांग की थी तो किसी को भरोसा नहीं था कि आतंकवादियों से उन्हीं की जुबान में बात करने का दम भरने वाली मोदी सरकार इस पर राजी हो जाएगी. राज्य की बीजेपी ने भी सीजफायर लागू करने का विरोध किया था. ऐसे में जब सेना वहां आतंकियों के खात्मे के सफल अभियान में जुटी थी तो सवाल ये है कि क्या सीजफायर लागू करना राजनीतिक और रणनीतिक दोनों तरह से गलत फैसला नहीं? सरकार कह रही है कि इससे इस्लाम के नाम पर हिंसा और आतंक फैलाने वाले बेनकाब होंगे. सवाल ये है कि क्या आतंकवादी पहले से बेनकाब नहीं? सरकार तो इतिहास के पन्ने भी पलट सकती थी. रमजान पर सीजफायर को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने भी लागू किया था लेकिन उससे कोई हल नहीं निकला.

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