पीओके में आतंकियों पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो सबूत अब दुनिया के सामने आ गए हैं. अब कोई नहीं कह सकेगा कि सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई थी. इस सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो सबूत आने के बाद उन लोगों ने अपने बयानों में जरूरी बदलाव किए हैं जो अब तक फर्जिकल स्ट्राइक जैसे जुमले उछाल रहे थे. हालांकि वीडियो के सामने आने के बाद इस पर सियासत थमी नहीं है, बल्कि बढ़ गई है. वीडियो के सामने आने की टाइमिंग पर सवाल उठाए जाने लगे हैं. वैसे होना तो ये चाहिए था कि वीडियो जारी होने की टाइमिंग पर नहीं बल्कि सेना के ऑपरेशन में कमांडर्स की टाइमिंग पर बात होनी चाहिए थी. सेना की स्पेशल फोर्सेज के कमांडर्स 28-29 सितंबर 2016 की उस रात को पीओके के भीतर घुसे थे. 3 किलोमीटर तक सेना एलओसी के भीतर घुस गई थी. भीम्बर, हॉटस्प्रिंग, केल और लीपा सेक्टर्स में आतंकियों के 7 लॉन्चिंग पैड्स नष्ट किए गए थे.