दंगल में आज बहस इस बात पर कि उत्तर प्रदेश के सियासी संकेतों के बाद क्या अब बीजेपी को जीत के लिए हिंदुत्व के मुद्दे पर फिर जोर लगाना होगा? यूपी के उपचुनाव में बीएसपी ने समाजवादी पार्टी को सिर्फ मौखिक समर्थन ही दिया था लेकिन बीजेपी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है. अखिलेश और मायावती की मुलाकात के बाद 2019 में उनकी दोस्ती कायम रहने के संकेत मिले हैं, हालांकि कांग्रेस को लेकर नरम रुख रख रहे अखिलेश के उलट मायावती ने आज सामाजिक न्याय के मुद्दे पर कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा किया है. शायद कमजोर कांग्रेस को मायावती यूपी में विपक्षी एकता के फॉर्मूले से अलग रखना चाहती हों. लेकिन इन समीकरणों के बीच बीजेपी क्या करेगी?. वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा कहते रहे हैं कि वो 2019 में जब चुनाव में जाएंगे तो अपने 5 साल के कामकाज का हिसाब देंगे।लेकिन बदली परिस्थितियों में सिर्फ इससे बीजेपी का काम चलेगा?