किसान संगठनों और सरकार के बीच क्या अब अघोषित बॉर्डर खिंच आया है? किसान प्रदर्शन के तीनों बड़े ठिकानों सिंघू बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने कंटीली तारों, कीलों और बड़े-बड़े पत्थरों के जरिए ऐसी पुख्ता दीवार खड़ी कर दी है कि उन्हें पार करना लगभग नामुमकिन है. दिल्ली पुलिस की ये तैयारी किसानों के शक्ति प्रदर्शन के पार्ट-2 से पहले है. 6 फरवरी को 3 घंटे तक देश भर के हाईवेज को जाम करने का फैसला किसान संगठनों ने किया है. जहां किसान संगठन दिल्ली पुलिस की बाड़ेबंदी को उत्पीड़न कह रहे हैं, तो वहीं दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव ने इसका ये कह कर बचाव किया है कि 26 जनवरी से सबक लेते हुए ऐसा करना जरूरी था. इस बीच इस बाड़ेबंदी और किसानों के पूरे मसले पर विपक्ष के तेवर और गर्म होते जा रहे हैं. नेता अब खुलकर सामने आ रहे हैं. कांग्रेस 26 जनवरी के बाद हुई गिरफ्तारियों पर कानूनी मदद देगी. शिवसेना के नेता गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों से मिले हैं तो उधर राज्यसभा की आज की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई. क्या अब किसान आंदोलन के मुद्दे पर सरकार घिर गई है, और क्या जो बाड़ेबंदी है, जो कीलें उससे आंदोलन पर असर पड़ेगा? कील से होगा आंदोलन सील? देखें दंगल, रोहित सरदाना के साथ.