दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर 50 दिनों से बैठे किसान कृषि कानूनों की प्रतियां जला रहे हैं. लोहड़ी पर किसान संगठनों का विरोध जताने का ये तरीका है. इसी के साथ किसान 26 जनवरी को अपनी प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के तेवर का ट्रेलर भी दिखाने वाले हैं. सवाल ये कि क्या अब सिर्फ आर-पार के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है? किसान संगठनों की ओर से सुप्रीम कोर्ट का बताया रास्ता भी नामंजूर कर दिया गया है. किसान संगठन पहले से ही कृषि कानूनों को रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं होने की रट लगा रहे थे तो अब उन्हें SC की कमेटी में सुझाए गए चारों नामों को लेकर भी एतराज है. इस बीच कांग्रेस किसानों की प्रस्तावित तिरंगा रैली को समर्थन देती नजर आ रही है? कुल मिलाकर किसानों के नाम पर राजनीति हर ओर से भरपूर नजर आ रही है. किसान खड़ा बाजार में, मांगे सबसे खैर. क्या यही है सच्चाई, देखें दंगल, रोहित सरदाना के साथ.