जम्मू कश्मीर पर दिल्ली से बातचीत की कोशिशों को अलगावाद की आग ने पलीता लगाने का काम शुरू कर दिया. हुर्रियत जैसों की जुबान पर पाक परस्ती की एक्सट्रा लेयर चढ़ी हुई है. लेकिन सरकार और सत्ता के गलियारों वालों ने भी मौके देखकर रंग बदलना शुरू कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को अपने कश्नीर की थोड़ी बहुत फिक्र है तो पाक कब्जे वाले कश्नीर की कुछ ज्यादा ही. फारुक को लगता है कि पाक कब्जे वाला कश्मीर पाक का है, लेकिन देश उनको साफ कर देना चाहता है कि कि कश्मीर पूरा हमारा था- हमारा है और हमारा रहेगा. रही सही कसर अभिनेता ऋषि कपूर ने पूरी कर दी, जिन्हें पाकिस्तान में अपनी जड़ों की तलाश में फारुक का बयान सही लगता है. अब सवाल ये उठता है कि कश्मीर पर फारुख की जुबान पाकिस्तानी क्यों हो गई.