हमारे देश में भी अजीबोगरीब रंग देखने को मिलते हैं. हमेशा चुनावी रंग में सराबोर रहने वाले हमारे देश में आम जनता से जुड़े मुद्दे तो सिरे से गायब ही रहते हैं. कहीं राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाज सड़क पर फल बेचने को मजबूर है तो कहीं खेतिहर-मजदूर अपनी समस्याएं तक किसी से साझा नहीं कर सकता. वोटिंग के दिनों में नेताओं के दिखने वाले काफिले और फिर ठन-ठन गोपाला....