मुख्यमंत्री कोई हो, सत्ता किसी की भी हो, पार्टी कोई भी हो. हर बार सत्ता के निशाने पर इमानदारी आ गई और इमानदारी की सजा खेमका को मिली. 2004 में चौटाला तो 2012 में हुड्डा तो 2017 यानी अब खट्टर. एक वक्त मामला शिक्षकों का था, एक वक्त मामला रॉबर्ट वाड्रा का और अब मामला बुजुर्ग पेंशन के घोटाले से लेकर सरकारी गाड़ी के दुरुपयोग का है.