पहली बार 1963 में इसरो को साइकिल के कैरियर में रॉकेट बांधकर नारियल के पेड़ों के बीच थुंबा लॉन्चिंग स्टेशन पहुंचना पड़ा था और आज भारत दुनिया भर के सौ से ज्यादा सैटेलाइट को एक साथ लॉन्च करने की स्थिति आ चुका है. लेकिन अंतरिक्ष देखना छोड़ दें तो जमीन पर खड़ी साइकिल की स्थिति में कोई बदलाव आया नहीं है. 2017 में भी बात गरीबों की होगी, किसानों की होगी, मजदूरों और भूखों की होगी. यानी बैलगाड़ी पर सवार देश के 80 फिसदी लोगों की रफ्तार साइकिल से तेज हो नहीं पा रही है. सत्ता के लिए नेतागण किसान, मजदूर और गरीबी के राग से आगे निकल नहीं पा रहे हैं.
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